देश के बीस उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्व-स्तरीय बनाने में जुटी मोदी सरकार

2018-09-01 0

मौजूदा समय में देश में 800 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं। लेकिन इनमें से विश्व-स्तरीय रैंकिग में टॉप 100 और 200 में एक-दो संस्थान ही आते हैं। देश के बीस उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्व-स्तरीय बनाने में जुटी सरकार में पहली खेप में आईआईटी, दिल्ली, मुम्बई व बेंगलुरु सहित देश के छह उच्च शिक्षण संस्थानों को इसके योग्य पाया है। इनमें रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट, मनीपाल एकैडमी और बिट्स पिलानी भी शामिल हैं। सरकार ने लम्बी चयन प्रक्रिया के बीच इन संस्थानों के चयन को अंतिम रूप दिया है। सरकार ने इन के नामों की भी जल्दी घोषणा करने के संकेत दिये हैं। संस्थानों के इस चयन में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम जियो इंस्टीट्यूट का है, जिसे अभी अस्तित्व में आना है। मानव विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने सोमवार को ट्वीट कर उत्कृष्ट संस्थानों के चयन की यह जानकारी दी। साथ ही उम्मीद जताई है कि इस पहल से आने वाले दिनों में उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार आएगा। 


उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देश में 800 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं, लेकिन इनमें से उच्च-स्तरीय रैंकिग में टॉप 100 और 200 में एक-दो संस्थान ही आते हैं। ऐसे में नई पहल से विश्व-स्तरीय रैंकिग में भारतीय उच्च-शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ेगी। शिक्षा को विश्व-स्तरीय बनाने में जुटी मोदी सरकार, खर्च होंगे एक लाख करोड़ उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्व-स्तरीय बनाने की इस प्रस्तावित योजना के तहत पांच सालों में सरकार को 20 शिक्षण संस्थानों को इसके लिए चयनित करना है। इसके तहत दस सरकारी और दस निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों का चयन होना है। सरकार ने इसके लिए देशभर से सभी संस्थानों से प्रस्ताव मांगे थे। 114 संस्थानों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन पहली खेप में आईआईटी दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरु सहित छह संस्थानों को ही इसके योग्य पाया गया। है।



इसके तहत इनमें से चयनित होने वाली सरकारी संस्थानों को विश्व-स्तरीय बनाने के लिए सरकार अगले पांच सालों में प्रत्येक संस्थान पर एक हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी जबकि निजी संस्थानों को इसके लिए अपने स्तर पर ही पैसा जुटाना होगा।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधाी की जयंती पर देश में बड़े पैमाने पर कैदियों की होगी आम रिहाईसंस्थानों का यह चयन उनके इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधन शोध कार्यों में गुणवत्ता, शिक्षकों की संख्या और विदेशी छात्रें की संख्या के आधार पर किया गया है। इसके लिए यूजीसी ने एक कमेटी का गठन किया है। जो अलग-अलग मापदंडों पर संस्थानों का आंकलन करती है। योजना के तहत विश्व-स्तरीय संस्थानों को सरकार ज्यादा स्वायत्तता देगी। साथ ही ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने की आजादी भी देगी, जिससे कौशल विकास को बढ़ावा मिले।  


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