उभरती अर्थव्यवस्था

2018-09-01 0

करेंसी बाजार में डॉलर ने खड़ी की नई चुनौती

  

बीजिंग और वाशिंगटन से शुरू हुई वर्तमान वैश्विक फाइनेंशियल समस्याओं ने एक ओर उभरती अर्थव्यवस्थाओं, शेयर बाजार, कमोडिटी बाजार से लेकर क्रूड आयल तक की सभी वस्तुओं (कमोडिटीज) के लिए जोखिम तो खड़ा किया ही है, साथ में बहुत सारे देशों के विकास के सामने भी चुनौती खड़ी की है। राष्ट्रपति ट्रम्प के नवीनतम तघलखी आदेशों ने ट्रेड वॉर को, दैनिक 5-1 ट्रिलियन डॉलर के सौदे होते फोरेक्स बाजार को करेंसी वॉर स्जटेज में तब्दील कर डाला है। वैश्विक व्यापार के परस्पर सम्बंधों में व्यापक रूप से खटराग पैदा करने में और एक-दूसरे देशों के बीच करेंसी सहकार के सामने नया जोखिम खड़ा हुआ है, ऐसा वॉल स्ट्रीट के अग्रणी करेंसी स्ट्रेटेजिस्ट जेंस नो²दग का मानना है। 

चीन, यूरोप और अन्य देशों की करेंसी विश्व में अब सवाल पूछे जाने लगा है कि डोनाल्ड ट्रम्प के सामने टेªड वॉर में बीजिंग ने दूसरा मोर्चा खोल दिया उसकी वजह से वैश्विक करेंसी में आई कमजोरी, क्या करेंसी वॉर में परिवर्तन हुई है? पिछले सप्ताह ट्रम्प ने चीन से आयात होती सभी 500 अरब की वस्तुओं पर शुल्क लगाने का आदेश जारी किया था। ट्रम्प ने एक ट्वीट में कहा था कि चीन, यूरोप और अन्य देश ब्याज-दर नीचे रखकर करेंसी के साथ तांडव कर रहे हैं। 




जून महीने में व्यापक गिरावट के साथ चीन की करेंसी युआन अब तक पांच प्रतिशत से अधिक घटकर, एक डॉलर के सामने 6-788 युआन के नए तल तक पहुंच गया था। बाजार आधारित एक्सचेंज रेट में परिवर्तन आए ऐसा चीन चाहता है। क्या यह अमेरिका की इच्छाओं के मुताबिक नहीं है? ऐसा सवाल सरकार की सलाहकार समिति में थिंक टैंक माने जाने वाले ज“न्ग बिन ने किया है। 

डॉलर-युआन एक्सचेंज रेट का मुद्दा पिछले एक दशक से अमेरिका-चीन के आर्थिक सम्बंधों का महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। 2005 में चीन ने युआन पर मजबूत नियंत्रण हल्का कर डालने के बाद 2014 में 6-03 युआन के ऑल टाइम हाई टच होने से पहले युआन 37 प्रतिशत जितना मजबूत हुआ था। 




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