भारतीय सेना के रौबीले आॅफिसर कुलमीत कैसे बने एडोब इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर

2018-09-01 0

उनके पिता फ़ोर्स में थे। इसकी वजह से वे हमे"ाा चाहते थे कि उनका बेटा भी आर्मी में जाये। एनडीए अकैडमी में तीन साल बिताने के बाद उन्हें इंडियन 

मिलिट्री अकैडमी देहरादून में भेजा गया जहां से उन्हें सेकेंड  लेफ्टिनेंट के तौर पर सेना में कमी"ांड किया गया। उस वक्त उनकी उम्र सिफ़र् 20 साल थी। वहीं उन्होंने सीखा कि किसी भी मुि"कलात का मुकाबला सामने से करना है, पीछे से नहीं---

सेना की नौकरी करने के बाद बिजनेस की दुनिया में कदम रखने वाले कुलमीत बावा की पर्सनैलिटी ऐसी है कि आप एक बार देखने के बाद उन्हें 

नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। कुलमीत अभी एडोब इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर काम करते हुए कंपनी की ग्रोथ को लीड कर रहे हैं। एक निजी बातचीत में कुलमीत ने अपने ऑफिस के कोने से अपनी जिन्दगी की दास्तान साझा की। मूल रूप से पंजाब के रहने वाले कुलमीत ने दिल्ली से स्कूलिंग की और 16 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया। उसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे में दाखिला लिया।  

कुलमीत बताते हैं, मेरे पिता फोर्स में थे इस वजह से हमेशा से मेरा आर्मी में जाने का सपना था। एनडीए अकैडमी में तीन साल बिताने के बाद मुझे इंडियन मिलिट्री अकैडमी देहरादून में भेजा गया। इसके बाद मुझे सेकेंड लेफ्रिटनेंट के तौर पर सेना में कमीशंड किया गया। उस वक्त मेरी उम्र 20 साल थी। एनडीए में मुझे सिखाया गया कि किसी भी मुश्किल का मुकाबला सामने से करना है।’’ कुलमीत के लिए सेना की दुनिया काफी नई थी। आर्मड कॉर्प्स में कमीशंड मिलने के बाद कुलमीत ने 12 साल तक अपनी सेवाएं दीं। वह गवर्नर ऑफ स्टेट को एडीसी के तौर पर सेवाएं देते रहे। 

‘‘मूल रूप से पंजाब के रहने वाले कुलमीत बावा ने दिल्ली से स्कूलिंग की और 16 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया। उसके बाद उन्होंने राज्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे में दाखिला लिया। कुलमीत अभी एडोब इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर काम करते हुए कंपनी की ग्रोथ को लीड कर रहे हैं।’’

कुलमीत कहते हैं कि ‘‘बिना टीम के आप कोई युद्ध नहीं जीत सकते, यदि आप कोई गलती करते हैं तो पूरी टीम को उसकी सजा भुगतनी पड़ती है।’’ कुलमीत ने जम्मू-कश्मीर में अपनी सेवा के कई साल बिताए। वह कहते हैं कि सेना से बेहतर लीडरशिप सिखाने वाला कोई संस्थान नहीं  मिलेगा। सेना में कुलमीत को काफी कुछ सीखने को मिला। वह बताते हैं कि ‘‘मुझे यह स्वीकार करना पड़ा कि एनडीए में बिताने वाली जिन्दगी काफी मुश्किलों भरी होती है। वहां रैगिग भी होती है, लेकिन अनुशासन भी काफी ज्यादा होता है। मुझे वहां सबसे बड़ी सीख ये मिली कि कैसे टीम वर्क का इस्तेमाल किया जा सकता है।’’ वह कहते हैं कि बिना टीम के आप कोई भी युद्ध नहीं जीत सकते हैं। अगर आप कोई गलती करते हैं तो पूरी टीम को उसकी सजा भुगतनी पड़ती है। इसलिए एक-दूसरे से अच्छा तालमेल भी बनाकर रखना पड़ता है। इसके लिए कई सारे समझौते भी करने पड़ते हैं। यह सीख कभी बेकार नहीं जाती और आप जिन्दगी भर के लिए इसे गांठ बांधकर रख लेते हैं। इसीलिए कुलमीत इसे अपनी जिन्दगी की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण चीज मानते हैं। आर्मी में रहते हुए खाली समय में कुलमीत ने कई सारी टेक्निकल स्किल भी सीखीं। उन्होंने MCSE, CCNA, CCNP,  और CISSP जैसे कोर्स किए। 12 साल सेना में बिताने के बाद उन्होेंने रिटायरमेंट ले लिया और वापस स्कूल की ओर लौट गए। यह स्कूल बिजनेस स्कूल था। उन्होंने वॉर्टन डिग्री लेने के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस की ओर रुख किया। यहां से डिग्री लेने के बाद उन्होंने यूनीलीवर और कुछ अन्य कंपनियों से नौकरी के ऑफर मिले, लेकिन आखिरी में उन्होंने सन माइक्रोसिस्टम के साथ काम करने का फैसला किया। 

कुलमीत बताते हैं कि सन माइक्रोसिस्टम के प्रेसीडेंट भास्कर प्रमाणिक ने उन्हें कॉरपोरेट वर्ल्ड में आने की टेªनिंग दी। उन्होंने 6 साल से भी ज्यादा वक्त यहां पर बिताया, इसके बाद माइक्रोसॉफ्रट के साथ एक साल तक काम किया और इसके बाद एडोब के साथ जुड़ गए। कुलमीत कारपोरेट की दुनिया में टीमवर्क के सिद्धान्त और अनुशासन के साथ काम करते हैं जो कि उन्होंने सेना में सीखा था। 

वह कहते हैं कि मैं किसी के काम में दखलंदाजी नहीं करता। आपको अपनी टीम पर भरोसा करना होगा और उन्हें सोचने की भी छूट देनी होगी ताकि वो बड़ा सोच सकें। वह मानते हैं कि मजबूत टीम के आधार पर ही आप अच्छी परफॉर्मेंस दे सकते हैं। वे कहते हैं, ‘‘जब मेरे पास कोई इंटरव्यू के लिए आता है तो मैं उस इंसान की प्रोफाइल अपने सामने नहीं रखता हूं। मैं वह नहीं देखना चाहता जो लोग दिखाना चाहते हैं। मैं तो यह देखता हूं कि उस व्यक्ति के अंदर कौन-सी प्रतिभा छुपी हुई है जो हमारे काम आ सकती है। मैं देखता हूं कि व्यक्ति ने किसी जगह पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया है। कुलमीत के मुताबिक किसी भी बिजनेस को बढ़ाना काफी चैलेंजिग होता है लेकिन इसमें मजा भी आता है।  


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