रिश्ते नाते और उनके मायने

2018-09-01 0

-- शोभित आचार्या 

जानिए, क्या हैं रिश्ते और उनके मायने रिश्तों के मायने अलग लोगों के लिए अलग होते हैं। कुछ लोग सब कुछ अपने प्रेमी-प्रेमिका के साथ ही करना चाहते हैं, कुछ उनके साथ एक ही आंगन में रहना चाहते हैं। 

भारतीय संस्कृति प्राचीन काल से ही संस्कारों, तीज-त्यौहारों, परंपराओं एवं रिश्तों के महत्व को समझने व निर्वहन करने की रही है। हमारे देश भारत की संस्कृति सारे संसार में सबसे प्राचीन संस्कृति है जिसका अपने आपमें बहुत ही महत्व है। 

भारतीय संस्कृति से सारा संसार प्रभावित है इसी का कारण है कि पूरे विश्व के लोग समय-समय पर भारत की संस्कृति की अनुभूति करने भारत आया करते हैं और भारतीय संस्कृति से रिश्तों का संदेश लेकर ही अपने देश लौटे हैं और हमारी इसी पुरातन सभ्यता ने भारतीय समाज को रिश्तों की एक अनमोल विरासत उपहार स्वरूप भंेट की है। 

जिस प्रकार हम सभी को गर्व है कि हमारे देश में रिश्तों का अत्यध्कि महत्व है, पारिवारिक रिश्तों से लेकर सामाजिक रिश्तों तक का महत्व हम भारतीयों की आत्मा में रचा-बसा है। भारत देश के ग्रामों में निवास करने वाले लोग चाहे किसी भी ध्र्म या संप्रदाय के हों उनको उम्र के अनुसार ही सम्मान सूचक शब्दों से संबोध्ति किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति हमारे दादाजी के उम्र का है तो सभी बच्चे उन्हें दादाजी के समान आदर करते हैं एवं वह व्यक्ति भी अपने बच्चों से लेकर ग्राम के सभी बाल-गोपालों से प्रेम व स्नेह का रिश्ता रखते हुए अपने सगे नाती जैसा व्यवहार करता है। यही रिश्ते शहरों में भी एक मोहल्ले से शुरू होकर दूसरे मोहल्ले के निवासियों में परस्पर देखे जा सकते हैं जहां विदेशों में दंपत्ति अपना रिश्ता उम्र भर नहीं निभा पाते और अपने रिश्तों से असंतुष्ट होकर कई विवाह कर लेते हैं वहीं हमारे देश में पति-पत्नी इस पवित्रा रिश्तों को सात जन्मों तक निभाने का संकल्प लेते हैं साथ ही हमारे देश में आज भी संयुक्त परिवार में रहकर बच्चों को रिश्तों के मायने समझने को मिलते हैं। 

जहांं एक ही चूल्हे पर पचास-पचास सदस्यों का भोजन पकाया जाता है एवं सभी सदस्य बड़े ही प्रेम से साथ मिलकर भोजन करते हैं यह अनूठा स्नेह केवल हमारे देश में ही देखा जा सकता है। वह भारत देश ही हो सकता है जहां माँ स्वयं गीले में सोती है लेकिन अपने बच्चे को सूखे मेंे सुलाती है जबकि विदेशी महिलाएं अपने बच्चे की नाक रूमाल से पोंछती है वहीं भारतीय महिला प्रेम बस अपने बच्चे की नाक स्वयं की साड़ी से पोंछती है। इसी प्रकार पिता को भी अपने बच्चे स्वयं के प्राणों से भी अध्कि प्रिय होते हैं। 

अब बात करते हैं उस रिश्ते की जो रिश्ता हमारी संस्कृति का सबसे सुन्दर एवं भावनात्मक रिश्ता है। वह रिश्ता है दादा, दादी से उनके नाती, पोतों के बीच का। क्योेंकि यह वह रिश्ता होता है जिसमें दादा अपने पोतों में ही स्वयं का बचपन देखता है। हमारे देश में यह यह कहा भी जाता है कि मूल से अध्कि ब्याज प्यारा होता है और यह बात वात्सल्य और प्रेम के इसी संदर्भ में कही जाती है। बहन का भाई के प्रति पे्रम, बुआ-भतीजे का प्रेम, चाचा से भतीजे का प्रेम, बच्चों का अपने ननिहाल के प्रति लगाव। 

यह सभी रिश्ते वह रिश्ते हैं जिनके प्रेम व स्नेह का वर्णन शब्दों में किया जाना संभव नहीं है बस आवश्यकता है इन रिश्तों के महत्व और मायने समझने की क्योंकि रिश्तों के मायने बहुत ही गहरे व लगावपूर्ण होते हैं। 


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