मिशन 2019

2018-09-01 0

दूसरे दलों से आए नेता के जरिए विपक्षी खेमे में सेंधा लगाएगी बीजेपी

 

आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा का सामाजिक जनाधार बढ़ाने में सपा, बसपा आदि दलों से आए नेताओं की अहम भूमिका रहेगी। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में यह नेता प्रभावी भूमिका में रहेंगे जहां पिछड़ा व दलित समीकरण काफी महत्वपूर्ण है। भाजपा इन नेताओं के जरिए विपक्षी खेमे में और सेंध लगाएगी। 

भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा तो विकास और सुशासन रहेगा, लेकिन वह राज्यों की जातीय व सामाजिक समीकरणों को भी पूरी तरह साधकर रखेगी। सूत्रें के अनुसार देश में बड़ी संख्या वाले पिछड़ा व दलित समुदाय की विपक्षी रणनीति की काट के लिए भाजपा पूरी तरह से उतरेगी। पिछड़ा वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो उसका चेहरा हैं ही, साथ ही हर संसदीय क्षेत्र के समीकरणों के लिए उसके पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति मोर्चा कमान संभालेंगे। दोनों मोर्चा राज्य व जिला स्तर पर अपनी समितियों के जरिए संपर्क कर रहे हैं और केन्द्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं। 



उत्तर प्रदेश में भाजपा ने पिछली बार 71 सीटें जीती थीं। इस बार उसने 75 का लक्ष्य रखा है। हालांकि विपक्षी खेमे के सपा, बसपा, कांग्रेस व रालोद के गठबंधन की अटकलों के बीच इस बार चुनौती कड़ी होगी। पार्टी में सपा व बसपा से आए नेताओं ने खुद ही आगे बढ़कर मोर्चा संभालने की बात कही है। इनमें कई नेता सांसद व विधायक होने के साथ राज्य व केन्द्र सरकार में मंत्री भी हैं। इनका अपनी व्यक्तिगत जनाधार भी हैं और वे अपने समुदाय को प्रभावित करने की क्षमता भी रखते हैं। जिन दलों से यह नेता आए हैं उनमें भी यह सेंध लगाने की कोशिश करेंगे। विपक्षी रणीनीति का केन्द्र भी उत्तर प्रदेश भाजपा सूत्रें के अनुसार अभी भी उत्तर प्रदेश व बिहार के कई विपक्षी नेता भाजपा के संपर्क में हैं और वे लोकसभा से पहले भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा नेतृत्व ने भी नेताओं को रणनीतिक छूट दे दी है। भाजपा का सबसे ज्यादा जोर उत्तर प्रदेश पर है, जहां से खुद प्रधानमंत्री सांसद हैं। इस समय भी भाजपा उत्तर प्रदेश में इन वर्गों के सामाजिक संगठनों के जरिए सम्मेलन कर रही है। राज्य में सरकार भी भाजपा की है, जिसका उसे लाभ मिल रहा है। 


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