पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की विदेश नीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती है भारत

2018-09-01 0

अफगानिस्तान के साथ तनाव, अमेरिका के साथ रिश्तों में आई दूरी और भारत के साथ बेहद गंभीर रूप से ऽराब संबंध। इन्हीं सब का नतीजा है कि आज पाकिस्तान पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ा हुआ है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि नए प्रधानमंत्री इमरान ऽान के लिए देश को दोबारा पटरी पर लाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम होने वाला है। विश्लेषकों की मानें तो इमरान की विदेश नीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती अफगान या अमेरिका नहीं बल्कि भारत है। 

पाकिस्तान की विदेश नीति का स्थायी तत्व है - हिन्दू काफिर भारत के साथ सदाबहार दुश्मनी। पाकिस्तान बनते समय नारा लगाते थे - हंस के लिया है पाकिस्तान, लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान- ये पाकि--

चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद पूर्व क्रिकेटर इमरान ने अपने विजयी भाषण में कहा था, हमारे सामने विदेश नीति को लेकर फिलहाल बहुत बड़ी चुनौती है। अगर कोई देश है जहां शांति और स्थिरता की जरूरत है तो वह पाकिस्तान है। लेकिन इस शांति और स्थिरता तक पहुंचना पहली बार पीएम बने इमरान के लिए आसान नहीं होगा। 

अमेरिका के साथ पाकिस्तान के रिश्ते उस वक्त  ठंडे पड़े जब राष्ट्रति डॉनल्ड ट्रम्प ने इसी साल जनवरी में पाकिस्तान पर आतंक के िऽलाफ पर्याप्त कार्रवाई न करने और आतंकियों के सुरक्षित ठिकाना बनने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जा रही अरबों डॉलर की सैन्य सहायता को भी रोक दिया। चुनाव से पहले और प्रचारों के दौरान इमरान ऽान लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे आतंक विरोधी अभियान में पाकिस्तान के हिस्सा बनने की वजह से ही उसकी अपनी धरती पर बीते एक दशक में आतंकवाद बढ़ा है। 

हालांकि अब एक प्रधानमंत्री के तौर पर 

अमेरिका को लेकर उनके तल्ऽ तेवरों में नरमी आई है और उन्होंने कहा कि वह अमेरिका के साथ एक संतुलित रिश्ता चाहते हैं न कि उससे मिल रही आर्थिक मदद के बदले उसकी लड़ाई का हिस्सा बनना चाहते हैं। 

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी भी तालिबान के साथ वार्ता के लिए जोर दे रहे हैं और उन्होंने बीते रविवार नए सशर्त सीजफायर का प्रस्ताव भी दिया। पेइचिंग पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त रहा है और दोनों देशों के बीच साल 2013 में रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तान ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में शामिल होने पर हामी भरी। यह प्रोजेक्ट चीन के महत्वकांक्षी वन बेल्ट वन रोड इनिशेटिव का हिस्सा है। चीन हमेशा से पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण रहा और इमरान ऽान ने भी यह कहा कि वह इन संबंधों को और मजबूत करेंगे। 

कहा जा रहा है कि वह भारत ही है जो पाकिस्तान की विदेश नीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगा। परमाणु संपन्न प्रतिद्वंद्वी देश 1947 में ब्रिटिश राज से आजाद होने के बाद अब तक तीन बार युद्ध कर चुके हैं, जिनमें से दो कश्मीर को लेकर हुए हैं। नई दिल्ली से अच्छे संबंधों का रास्ता उस पाकिस्तान के लोकतांत्रिक सरकारों के प्रधानमंत्रियों के लिए जोिऽम भरा रहा है जहां विदेश और रक्षा नीतियां ताकतवर सेना के द्वारा तय होती हैं। 

इमरान खान  के भारत-विरोधी बयानों ने दोनों देशों में कई लोगों को उकसाया है और इसकी वजह से उनके नेतृत्व में दोनों देशों के संबंध और भी ऽराब हो सकते हैं। खान  ने अपने विजयी भाषण में कहा था, ‘जिस तरह भारतीय मीडिया ने मुझे पेश किया उससे मैं निराश हूं। उन्होंने मुझे बॉलीवुड फिल्म के विलेन की तरह पेश किया।’ हालांकि, इसके बाद अपने बयान से लगभग पलटते हुए उन्होंने शांतिपूर्ण संबंधों की वकालत की। इमरान ऽान के नए विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि विदेश नीतियां विदेश विभाग में ही बनेंगीं। 


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