जब आप सो रहे थे तब मैंने फतह हासिल कर ली

2018-09-11 0

एक विश्व-स्तरीय धाावक होने के साथ ही हिमा सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर होकर अपनी राय रखती रही हैं और उसके लिए काम भी किया है। उन्होंने अपने गांव और पास-पड़ोस में शराबबंदी करने के लिए काफ़ी काम किया है। 

भारत की 18 वर्षीया हिमा दास ने फिनलैंड में आयोजित विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप में 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर खलबली मचा दी है। वह एकमात्र भारतीय हैं जिसने इस प्रतियोगिता में स्वर्णपदक जीता है। यानी आज तक किसी भी भारतीय ने यह कारनामा नहीं किया। हिमा ने 400 मीटर की रेस 51-46 सेकेंड्स में पूरी की। रेस में विजय हासिल करने के बाद हिमा ने अपने पिता से फोन पर बात की और कहा, ‘जब आप सो रहे थे, तब मैंने दुनिया में अपना झंडा बुलंद कर दिया।’

हिमा असम की रहने वाली हैं और उनके पिता एक किसान हैं। उन्होंने बात करते हुए कहा-मैंने उससे कहा कि हम सभी टीवी पर उसे दौड़ते हुए देखने के लिए जगे हुए थे, इतना सुनने के बाद वह रो पड़ी।’ एक विश्व-स्तरीय धावक होने के साथ ही हिमा सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर होकर अपनी राय रखती रही हैं और उसके लिए काम भी किया है। उन्होंने अपने गांव और पास-पड़ोस में शराबबंदी के लिए काफी काम किया है। हिमा के एक पड़ोसी ने कहा, ‘वह गलत चीजों पर बोलने से कभी नहीं डरती। वह हम सबके लिए एक रोल मॉडल है’ हिमा को उनके गांव वाले ‘धींग एक्सप्रेस’ बुलाते हैं। 

हिमा ने 400 मीटर की रेस 51-46 सेकेंड्स में पूरी की। रेस में विजय हासिल करने के बाद हिमा ने अपने पिता से फ़ोन पर बात की और कहा, ‘जब आप सो रहे थे, तब मैंने दुनिया में अपना झंडा बुलंद कर दिया।’’


फिनलैंड में स्वर्णपदक जीतकर हिमा ने अपने जीवन की उपलब्धियों में एक नया अध्याय लिख दिया। हालांकि वह पहले फुटबॉल की खिलाड़ी थीं और देश के लिए खेलना चाहती थीं, लेकिन उनके अध्यापक शम्सुल शेख ने उनकी तेज गति को देखकर उन्हें धावक बनने की सलाह दी। हिमा ने अपने गुरु की सलाह मानी और फुटबॉल का सपना छोड़कर धावक बनने के लिए धींग से गुवाहाटी आ गयीं। यहां वे सरुसजई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में निपोन दास की देखरेख में टेªनिंग करती थीं। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च में निपोन दास ने इसी साल मार्च में इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें खुशी होती अगर वे हिमा को तीनों वक्त की खुराक दे पाते। दरअसल हिमा के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे उसे अच्छी टेªनिंग दिलवा सकें। एक स्थानीय डॉक्टर प्रतुल शर्मा ने हिमा के रहने का इंतजाम किया। अपने पांच भाइयों-बहनों में सबसे छोटी हिमा ने अपने एथलेटिक्स करियर की शुरुआत 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंटर रेस से की थी। लेकिन बाद में उन्होंने वरिष्ठ कोच की सलाह पर 400 मीटर की प्रैक्टिस शुरू कर दी। 

हिमा ने अपनी पहली 400 मीटर प्रतियोगिता में फेडरेशन कप में पदक जीता था और इस साल गोल्ड कोस्ट में सम्पन्न हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 6वें स्थान पर रहीं। फिनलैंड में पदक जीतने के बाद हिमा के दूसरे कोच ने उनसे फोन पर बात की। हिमा ने उनसे कहा, ‘मैंने क्या कर दिया है?’ इतना कहने के बाद हिमा के स्वर कांपने लगे और वह रो पड़ीं। कोच ने कहा ये आंसू खुशी के थे। हिमा अपनी सफलता से खुद आश्चर्यचकित हो गई थी। कोच ने कहा हिमा इतनी परिश्रम करती है कि वह एशियन गेम्स में भी स्वर्णपदक हासिल कर सकती है। इतनी ही नहीं, उसमें 50 सेकेंड्स के रिकॉर्ड को भी ध्वस्त करने की क्षमता है। 

हिमा के 52 वर्षीय पिता का मानना है कि हिमा हमेशा से उनकी प्रेरणास्रोत रही हैं। उन्होंने कहा, ‘वह पत्थर की तरह दृढ़ है। यहां तक कि जब हम शुभकामनाएं दी हैं। उसे गांव से स्टेशन टेªन पर बिठाने गए थे तो उसने हमें कहा था कि चिन्ता नहीं करनी वह सब संभाल लेगी। मैं उसका साहस देखकर काफी प्रेरित हुआ।’ हिमा दास की सफलता पर पूरे देशवासी उत्साहित हैं और उन्हें हर तरफ से बधाइयां मिल रही हैं। प्रधानमंत्री ने भी इस सफलता के लिए बधाई दी है।  



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