पर्यावरण शिक्षा आज की जरूरत है!

2018-10-03 0

हमारी कल्पना की तुलना में पर्यावरण बहुत तेजी से दूषित हो रहा है। ज्यादातर मानव गतिविधियों के कारण पर्यावरण दूषित होते है। जिससे वैश्विक और क्षेत्रीय दोनों स्तर प्रभावित होतें हैं। ओजोन परत का पतला होना और ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में वृद्धि वैश्विक स्तर पर होने वाले नुकसानों के उदाहरण हैं। जबकि जल प्रदूषण, मृदा अपरदन मानव गतिविधियों द्वारा रचित कुछ क्षेत्रीय परिणामों में से एक हैं और उनके द्वारा पर्यावरण को भी प्रभावित किया जाता है।

इसलिए, हम लोगों द्वारा जो कुछ भी गलत किया गया है, उसे केवल हम लोगों को ही सुधरना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए हमारी आवाज  पर्यावरण शिक्षा के लिए आवश्यक है। यह लोगों और समाज को वर्तमान एवं भविष्य के संसाधनों का बेहतरीन ढंग से उपयोग करने के तरीके को सिखाने का एक सही कदम है। पर्यावरण शिक्षा के जरिए, सभी लोग स्थानीय प्रदूषण की ओर अग्रसर होने वाले मौलिक मुद्दों को सही करने का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

मनुष्यों के मध्य सभी रिश्तों और सभी पर उसका असर एवं उन सभी को प्रभावित करने के लिए, पर्यावरण को उचित ढंग से परिभाषित किया गया है - "कैल्डवेल एल. के. 1993"।

पर्यावरण शिक्षा (ई-ई-) क्या है?

पर्यावरण शिक्षा में लोगों को बताया जाता है कि प्राकृतिक पर्यावरण के तरीके और प्रदूषण मुत्तफ़ पर्यावरण को बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे व्यवस्थित रखना चाहिए? इससे संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्यावरण शिक्षा आवश्यक कौशल और विशेष ज्ञान को प्रदान करता है। इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्रदान कराना, जागरूकता पैदा करना, चिंतन का एक दृष्टिकोण पैदा करना और पर्यावरणीय चुनौतियों को नियंत्रित करने के आवश्यक कौशल को प्रदान करना है।

1972 में यूनेस्को द्वारा आयोजित मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद ई.ई. ने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा हासिल की थी। इस सम्मेलन के तुरंत बाद यूनेस्को ने अंतर्राष्ट्रीय   पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (आई. ई-ई. पी.) की भी शुरुआत की थी।

क्यों आवश्यक है पर्यावरण शिक्षा?

प्रत्येक देश शिक्षा के साथ पर्यावरणीय संबधी चिंताओं को सुलझाने के प्रयासों में लगा रहा है। इन विभिन्न देशों के अनुसार, ई-ई- को केवल शिक्षा प्रणाली का ही हिस्सा नहीं होना चाहिए बल्कि राजनैतिक व्यवस्था में भी भाग लेना चाहिए जिससे राष्ट्रीय स्तर पर कार्य, नीतियाँ और उचित योजनाएं तैयार की जा सकें।

पर्यावरणीय शिक्षा को पर्यावरण की स्थिति का आँकलन करने में सक्षम होना चाहिए और पर्यावरण की क्षति का निवारण करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। ई-ई- को नियमानुसार योजनापूर्ण बनना चाहिए क्योंकि दैनिक जीवन में सामान्य बदलाव पर्यावरण को सुधारने में ये बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।

पर्यावरण की सुरक्षा हर किसी की जिम्मेदारी है। इसलिए पर्यावरण शिक्षा एक समूह या समाज तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि हर व्यत्तिफ़ को पर्यावरण के बचाव संबंधी जानकारी होनी चाहिए। यह एक निरंतर और जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए तथा पर्यावरण शिक्षा के प्रति व्यावहारात्मक होना चाहिए ताकि इसे भलीभाँति लागू किया जा सके।

अगर बच्चों को संसाधनों, पर्यावरणीय प्रदूषण, मृदा अपरदन, अवनति और संकटग्रस्त पौधों एवं विलुप्त जानवरों के बचाव तथा संरक्षण के बारे में सिखाया जाता है तो पर्यावरण के संरक्षण में काफी हद तक सुधार हो सकता है। शिक्षा एक तरह का निवेश है जो समय के साथ-साथ एक मूल्यवान संपत्ति में बदल जाता है


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