ऐसा कोई देश नहीं, जिसने आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक बदलाव एक साथ किये हों

2018-10-03 0

आज हमारा लोकतंत्र  न केवल बहुत अच्छी स्थिति में है, बल्कि बहुत शत्तिशाली लोकतंत्र  के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है। हमने दुनिया को दिखा दिया है कि एक विकासशील देश भी लोकतांत्रिक प्रणाली न केवल अपना सकता है, बल्कि उसके मूल्यों को सुदृढ़ बना सकता है।

आजादी के बाद से हम यानी भारतीयों ने तीन ऐतिहासिक बदलाव देखे , जिसमें आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलाव महत्वपूर्ण हैं। यही लक्ष्य आजादी के समय रखे गए थे। तब की तुलना में आज कई क्षेत्रें में हमने उल्लेखनीय प्रगति की है, जो महत्व रती है। विश्व के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि तीनों इतने बड़े लक्ष्य रखे गए, उनका बीड़ा उठाया गया। बहुत से देशों ने एक के बाद एक ऐसे लक्ष्य रखे और बहुत से देश यह हासिल नहीं कर सके। चीन को ही देखें , वहां अब तक राजनीतिक परिवर्तन हुआ ही नहीं है। हमारे राजनीतिक बदलाव के बारे में यह कहा जाता था कि हिन्दुस्तान ने जो जनतांत्रिक व्यवस्था अपनाई है, वह कारगर नहीं हो पाएगी, विफल हो जाएगी क्योंकि न तो यहां साक्षरता ज्यादा है, न लोगों की आय, कोई डेवलपमेंट नहीं है। इसके बावजूद विपरीत परिस्थितियों में हमने 1947 से अब तक उल्लेखनीय बदलाव करके दिखाए। आज दुनिया हमारे लोकतंत्र का मॉडल देख  रही है।

आज हमारा लोकतंत्र न केवल बहुत अच्छी स्थिति में है, बल्कि बहुत शत्तिफ़शाली लोकतंत्र के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है। हमने दुनिया को दिखा  दिया है कि एक विकासशील देश भी लोकतांत्रिक प्रणाली न केवल अपना सकता है, बल्कि उसके मूल्यों को सुदृढ़ बना सकता है। अगर आप लैटिन अमेरिका, एशिया के कई देश और अफ्रीका में देखेंगे तो पाएंगे कि जहां-जहां लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाई गई, वह अधिकांश जगह विफल हो गई। सामाजिक परिवर्तन की दिशा में हमने बिना किसी हिंसा या खून-राबे के बड़ा बदलाव हासिल किया है। आप देखिए, सबसे बड़े राज्य में दलित वर्ग की महिला चार बार मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। हमारी लोकसभा अध्यक्ष दलित रही हैं, हमारे राष्ट्रपति भी दलित रहे हैं। कई राज्यों में दलित मुख्यमंत्री भी रहे हैं। मौजूदा राष्ट्रपति भी दलित हैं। बिना किसी क्रांति के पूरी सामाजिक व्यवस्था पलट देना, कम उपलब्धि नहीं है। दलितों के शोषण जैसी कोई बात हमारी व्यवस्था में नहीं है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस पर हमें गर्व करना चाहिए।

आर्थिक मोर्चे पर बड़ा बदलाव हमारे देश ने खुद  हासिल किया है। 1947 में जब स्वतंत्रता मिली, तब हमारी जीडीपी के अनुसार प्रति व्यत्तिफ़ आय 150 डॉलर (तब की स्थिति में तकरीबन 9000) थी, जो आज 2000 डॉलर (1-30 लाख  से अधिक) है। तब हम कई क्षत्रों  में मजबूर थे, जिसमें खद्यान्न भी शामिल है। 1960 के दशक में बिहार में अकाल की स्थिति थी, हम बहुत सारा खाद्याखाई न्न आयात करते थे। राज्यों को पर्याप्त मात्र में खाद्यान्न नहीं मिल पाता था। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने लोगों से एक दिन व्रत रखने की अपील की थी। उस हालत को देखिए और आज  देखिए, हमारे खाद्यान्न भंडार भरे पड़े हैं। आज मध्य प्रदेश सहित कई राज्य खाद्यान्न उत्पादन में बहुत आगे हैं। यही कारण है कि आज कोई यह नहीं कह सकता कि हम अपने नागरिकों को खाद्यान्न सुरक्षा प्रदान करने में कहीं चूके हैं या उसमें कोई कमी है। तब हमारी मर्यादाएं बहुत थीं, आज स्थिति बिल्कुल अलग है। 1947 के बाद से अब तक हमारे यहां हरित क्रांति भी हो गई, श्वेत क्रांति भी हो गई। आज हमारे यहां पर्याप्त मात्र में दूध का उत्पादन होता है।



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गरीबी के स्तर पर देखिए, देश ने 1940 का दशक भी देखा । 1942 में बहुत मुश्किल स्थिति का सामना किया, आज हम गरीबी उन्मूलन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि आज गरीबी-अमीरी की खाई हमारे यहां बहुत बड़ी नहीं है। हमने वित्त आयोग की सिफारिशें लागू कीं, कई कार्यक्रम अपनाए, उनका लाभ हमें मिला। सभी क्षेत्रें के विकास पर हमने ध्यान दिया और उसमें सफलता हासिल की, इसमें लोगों का जीवनस्तर उठाना भी शामिल है।

राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की तुलना में आर्थिक बदलाव अभी पूरा नहीं हुआ, हम मध्य में हैं, क्योंकि हमने इसे सुचारु रूप से नहीं चलाया। 1980 में चीन और हमारी निजी आय बराबर थी। हम कई क्षेत्रें में उससे आगे थे परंतु आज चीन की निजी आय (पर कैपिटा इनकम) हमसे पांच गुना ज्यादा है। यह विचारणीय है कि ऐसा क्यों हुआ और अब हमें क्या करने की जरूरत है। हमारे सामाजिक और राजनीतिक बदलाव के लक्ष्य इसलिए पूरे हो सके, क्योंकि महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने इसे जनआंदोलन बनाया। अंबेडकर, नेहरू जैसे कई नेताओं ने इसे आगे बढ़ाया। आर्थिक विकास को हम जनआंदोलन नहीं बना पाए। आज मौजूदा प्रधानमंत्री ने ‘नए भारत’ का आ“वान किया है, 2022 तक उस लक्ष्य को पूरा करना है जो बहुत जरूरी है। हममें से प्रत्येक व्यत्तिफ़ को नए भारत की कल्पना करनी चाहिए। हम इस पर फोकस करें कि जो भी कर रहे हैं उसमें देश का विकास एवं युवक-युवतियों के लिए नौकरियां पैदा हों, तो हमारी सारी नीतियां अच्छी बन जाएंगी। सभी राज्य एकजुट होकर काम करेंगे और सफल होंगे। हमारे में सामर्थ्य है, हम सक्षम हैं, हमारे में ऐसी कोई कमी नहीं कि यह लक्ष्य पूरा न कर सकें।

यह कहना गलत होगा कि हमारा आर्थिक विकास नहीं हुआ। लोहा, सीमेंट, बिजली उत्पादन, सर्विस सेक्टर, कारखाने, उद्योग, आईटी आदि क्षेत्रें में हमने उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। कई देशों से हम आगे हैं परंतु हमें अभी और आगे बढ़ना है। यह लक्ष्य भी हो कि 2047 में जब आजादी के 100 वर्ष पूरे हों, तब हम दूसरी बड़ी आर्थिक शत्तिफ़ बनकर उभरें। जब ऐसा हो जाएगा तब हम पूरी दुनिया में आदर्श बन जाएंगे कि कैसे हिन्दुस्तान ने सभी को साथ लेकर अपना सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास किया। 



(राजीव कुमार, उपाध्यक्ष, नीति आयोग)  

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