कभी साइकिल के पार्ट्स बनाते थे और आज हैं भारती एयरटेल कंपनी के मालिक!

2018-10-03 0

आज दुनिया में Airtel का नाम कौन नहीं जानता, एयरटेल का इस्तेमाल लाखों  उपभोत्तफ़ा करते हैं रपव और एयरटेल में आये दिन कोई न कोई टक्कर चलती ही रहती है सबसे सस्ते प्लान और अच्छा नेटवर्क दोनों की कोशिश रहती है देने की। लेकिन क्या आप जानते हैं एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल के संघर्षाे के बारे में! जिन्होंने भारत में नई क्रान्ति लाई आप कहते हैं कि परेशानियों ने आपको हर जगह से घेर लिया लेकिन सुनील मित्तल के सामने तो दो बार उनका चलाया बिजनेस नाकाम रहा वो सफल होने ही वाले होते और सरकार उस पर बैन लगा देती! लेकिन देखिए  वो आज भी देश की नंबर 1 टॉप कंपनी के मालिक हैं धनी व्यत्तिफ़यों में उनका नाम गिना जाता है और यही नहीं उनके दिए हुए यन्त्र का इस्तेमाल करके आज लोगों को एक दूसरे जोड़ दिया है। उनके बारे में ज्यादा कुछ मिला नहीं है लेकिन इतना जरुर कह सकते हैं कि अपने एक्सपीरियंस का उपयोग उन्होंने बहुत अच्छी तरह से किया है। दुनिया के बीच ऐसी टेक्निकल पॉवर रखी  है जिसे आज करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं।

23 अक्टूबर 1957 पंजाब के लुधियाना शहर में जन्मे सुनील मित्तल जिन्हें आज भारती एयरटेल कंपनी के मालिक के नाम से पूरी दुनिया जानती है। शुरुआती सफर काफी मुश्किल भरा रहा। इनके पिता राजनीति से जुड़े थे और सुनील को राजनीति से दूर-दूर तक कोई लगाव नहीं था और न ही पढाई में ज्यादा दिलचस्पी थी। उनका मन बिजनेस में था हमेशा से ही खुद  का बिजनेस खोलने  की इच्छा थी जैसे तैसे उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पूरा किया! वैसे तो जब वो 18 साल के थे तभी उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर साइकिलों का

बिजनेस शुरू कर दिया था और ब्रजमोहन मोहन मुंजाल (जो की पाकिस्तान से भारत आये थे और साइकिलों के पार्ट्स बनाने का कार्य करते थे जिन्हें आज पूरी दुनिया हीरो मोटो कॉर्प में मालिक के नाम से जानती है) की कम्पनी के लिए साइकिल के पार्ट्स बनाने शुरू किये लेकिन ज्यादा दिनों तक ये दोनों साथ नहीं रहे। उन्हें ये व्यवसाय कुछ जमा नहीं इसलिए उन्होंने अपने साइकिल और दूसरे धंधों को बेच दिया और मुंबई चले गए।

इसके बाद मुंबई में पंजाब के एक्सपोर्टर से उन्होंने फ्प्उचवतज सपदबमदबमय्(दूसरे देश से माल या किसी भी तरह का सामान हम आयात करते हैं तो पउचवतज सपदबमदबम के बिना हम आयात नहीं कर सकते) ऽरीदा और जापान से पोर्टेबल जेनरेटर का आयात करना शुरू कर दिया और उनकी बिक्री करने लगे। इस कार्य में उनका अच्छा खासा प्रॉफिट होने लगा व्यवसाय भी जमने लगा सेलिंग और मार्केटिंग से जुड़ी कई जानकारियां उनको मिलने भी लगीं, लेकिन किस्मत ने उनका यहां पर भी साथ नही दिया। उस समय सरकार ने जेनरेटर के आयात पर रोक लगा दी और सुनील का व्यवसाय रातों-रात बंद हो गया। उस समय सरकार किन्हीं 2 कंपनियों को भारत में जेनरेटर निर्माण का सपदबमदबम दे रही थी, इसलिए सुनील आगे के लिए सतर्क हो गए कि अगर फिर से भारतीय कंपनी को सपदबमदबम देने की बारी आई तो वो ये मौका नही छोड़ेंगे।

1986 में सुनील ने भारती टेलीकॉम लिमिटेड (बी टी एल) की स्थापना की थी। इस कंपनी में फैक्स मशीन, तार रहित फोन और अन्य दूरसंचार उपकरण बनाये जा रहे थे। 1990 तक सुनील की कंपनी यही कार्य कर रही थी और धीरे धीरे अपने कारोबार को बड़ा रही थी। 1992 में सरकार पहली बार मोबाइल फोन सेवा के लिए लाइसेंस बांट रही थी और सुनील ने ये मौका नहीं छोड़ा और दिल्ली के साथ-साथ दूसरे शहरों के सेलुलर सपदबमदबम को प्राप्त कर लिया। उसके बाद तो सुनील के कदम थमे नहीं।

उसके बाद 1995 में सुनील मित्तल ने एयरटेल ब्रांड के तहत कार्य करने के लिए और सेल्युलर सेवाओं की पेशकश के लिए भारती सेल्युलर लिमिटेड (बीसीएल) की स्थापना की। देऽते ही देऽते इनकी कंपनी कामयाबी की सबसे ऊंची सीढ़ी को छू लिया और ये पहली ऐसी कम्पनी बनी जिसके 2 लाऽ उपभोत्तफ़ा से भी ज्यादा थे। इसके बाद भारती सेल्यूलर लिमिटेड ने फ्इंडिया वनय् नाम से भारत की पहली निजी राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय लंबी दूरीSTD/ISD टेलीफोन सेवा प्रारम्भ की और आज उनकी सफलता के चर्चे आप खुद  ही जानते हैं। कांग्राचुलेशन मित्तल जी! आपके जज्बे को शत्-शत् नमन।



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