बाल मजदूरी, कराहता बचपन

बाल श्रम एक बहुत बड़ा सामाजिक मुद्दा हो गया है जो राष्ट्र के विकास
को बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित करता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, बच्चे देश का भविष्य होते हैं तो फिर
लोग क्यों बाल श्रम को अपने थोड़े से फायदे के लिए प्रयोग कर रहे हैं। वो हमारे
नजरिये से क्यों नहीं देखते, वो
क्यों छोटे, मासूम
बच्चों को अपना बचपन नहीं जीने देते? वो क्यों बच्चों को उनके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार से वंचित
करते हैं। कुछ उद्यमी और व्यापारी कुछ कामों में बच्चों को बहुत कम कीमत पर शामिल
करते हैं। वो यह सब अपने लालचीपन और कम कीमत पर अधिक काम कराने के लिए करते हैं।
बाल श्रम छोटे बच्चों को उनके मासूम, यादगार व बचपन के पलों से महरुम कर देता है। यह उनकी स्कूली शिक्षा
को जारी रखने में बाधा उत्पन्न करता है क्योंकि यह उन्हें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और नैतिक रुप से परेशान करता है। यह बच्चों के साथ-साथ देश
के लिए भी बहुत ही खतरनाक और हानिकारक बीमारी है। यह शोषणकारी प्रथा पूरे विश्व
में, कड़े नियमों और
कानूनों, जो बाल श्रम को
निषेध करते है, के
बावजूद आज भी विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में जारी है। यह सामाजिक मुद्दा समाज
में प्राचीन काल से ही बहुत वर्षों से चला आ रहा है जिसने विकास को बड़े स्तर पर
प्रभावित किया है।
बाल श्रम में अधिकतर बच्चे मैदानी कार्यों जैसे - कृषि, कारखनें, सामूहिक घरेलू कार्य, खनन, उत्पादन और अन्य कार्यों में लगे हुए हैं। उनमें से कुछ रात की
शिफ्रट (पाली) में या समय से अधिक काम (ओवर-टाइम) की आवश्यकता और घर की वित्तीय
हालत को सुधारने के लिए अधिक आय प्राप्ति करने के लिए करते हैं। उनके काम करने की
सामान्य दिनचर्या 12
घंटे लम्बी होती है जिसके लिए उन्हें बहुत कम राशि वेतन के रुप में मिलती है। बाल
श्रम के लिए बहुत कम पारिवारिक आय,
गरीब बच्चों के लिए उचित सुविधाओं के साथ स्कूलों की अपर्याप्त
संख्या, और गरीब
माता-पिता की अशिक्षा सबसे
महत्वपूर्ण व प्राथमिक कारक हैं।
यह मुद्दा बहुत बड़े विस्तार से विकासशील देशों में गरीबी, खराब स्कूली शिक्षा के अवसर, अधिक जनसंख्या दर, वयस्कों के लिए प्रतिस्थापनों की कमी
आदि के कारण एक वायरस की तरह फैल रहा है। बाल श्रम की सबसे ज्यादा घटनाएं 2010 में उप-सहारा अफ्रीका में दर्ज की गयी
थी। इसके अनुसार, अफ्रीका
के 50» से अधिक बच्चे
(जिनकी आयु 5-14
साल के बीच थी) कार्यरत थे। वर्षों से पूरे संसार में, कृषि क्षेत्र सबसे अधिक बाल श्रमिकों
को रखता है। बाल श्रम का एक बड़ा प्रतिशत ग्रामीण परिवेश और अनौपचारिक शहरी
अर्थव्यवस्था में पाया जाता है जहाँ बच्चे जबरदस्ती माता-पिता या नियोत्तफ़ाओं के
द्वारा काम पर लगाये जाते हैं। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विश्वभर में बाल श्रम की घटनाओं में
गिरावट आयी है (1960
में 25% थी हालांकि 2003 में, 10% की कमी आयी है)।
हमें विस्तार से इस समस्या के बारे में जागरुक होना चाहिये और इस
मुद्दे को समाज से हटाने के लिए कुछ सकारात्मक कदमों को उठाना चाहिये। देश के युवा
होने के नाते, हमें
देश के विकास और वृद्धि के लिए अधिक जिम्मेदार होना चाहिये, इसलिए इस समस्या को बढ़ने में अपनी दखल
देकर रोकें और सकारात्मक रुप से कार्य करें।
बच्चों के मासूम बचपन के खोने पर,
बिलख रहा हैं विश्व,
न रोका गया इसे जल्दी से तो,
खदेगा हर राष्ट्र अपना भविष्य ।।