अर्जुन पुरस्कार के लिए सिफ़ारिश और नौकरी के आश्वासन से सविता के करियर को संजीवनी

एशियाड से लौटने के बाद राठौड़ सर ने खुद एक समारोह में मिलने पर मुझे
बुलाकर नौकरी का आश्वासन दिया। मुझे उम्मीद है कि 9 साल का मेरा
इंतजार अब खत्म हो जाएगा और पूरा ध्यान खेल पर लगा सकूंगी।’
पिछले नौ साल से नौकरी मिलने का इंतजार कर रहीं भारतीय महिला हॉकी
टीम की गोलकीपर सविता पूनिया को उम्मीद है कि खेल मंत्री से मिले नौकरी के आश्वासन
और अर्जुन अवॉर्ड के लिए उनके नाम की सिफारिश से करियर को नई संजीवनी मिल जाएगी। 28
बरस की हरियाणा की इस स्टार गोलकीपर के परिवार ने करियर में हमेशा साथ दिया है
लेकिन नौकरी नहीं होने और बढ़ती उम्र के साथ रिश्तेदारों में शादी को लेकर कानाफूसी
शुरू हो गई थी।
सविता ने अर्जुन अवॉर्ड के लिए उनके नाम की सिफारिश किए जाने के बाद
कहा, ‘मेरे परिवार ने हमेशा मेरी हौसला-आफजाई की लेकिन लोग तो बातें करते
ही हैं कि उम्र बढ़ रही है और शादी हो जानी चाहिए। अब अर्जुन पुरस्कार के बाद तो
मुझे लगता है कि 4-5 साल कोई कुछ नहीं कहेगा।’
बेरोजगारी से परेशान रहीं सविता ने यह भी बताया कि खेल मंत्री
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर टीम के लौटने के बाद
उन्हें व्यत्तिफ़गत रूप से नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया है। पिछले 10
साल से भारतीय सीनियर टीम के साथ खेल रहीं गोलकीपर ने कहा, ‘एशियाड
से लौटने के बाद राठौड़ सर ने खुद एक समारोह में मिलने पर मुझे बुलाकर नौकरी का
आश्वासन दिया। मुझे उम्मीद है कि 9 साल का मेरा
इंतजार अब खत्म हो जाएगा और पूरा ध्यान खेल पर लगा सकूंगी।’
सविता ने अर्जुन पुरस्कार को अपनी मां के लिए तोहफा बताते हुए कहा,‘जब
भी कोई पदक या पुरस्कार मिलता है तो मेरी मां का पहला सवाल होता है कि अब तो नौकरी
पक्की ना। वह पढ़ी-लिखी नहीं है और उन्हें पुरस्कार की अहमियत नहीं पता लेकिन पापा
ने उन्हें समझाया। यह पदक और पुरस्कार मेरी तरफ से उन्हें तोहफा है।’ एशियन गेम्स
के बाद भारतीय हॉकी टीम को एक महीने का ब्रेक मिला और एक अक्टूबर से कैंप फिर शुरू
होगा।
सविता ने कहा, ‘एशियाड में हम भले ही गोल्ड नहीं जीत पाए लेकिन सिल्वर ने टीम के हौसले बुलंद किए। सभी खिलाड़ियों की सोच सकारात्मक है और हमें यकीन है कि टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वॉलीफाइ कर हम पदक जीतेंगे।’