क्यों अपने बच्चे के नाम खाता खुलवाना है फ़ायदेमंद?

2018-11-01 0

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) खाते के नियम आपको अपने और अपने नाबालिग बच्चे के लिए खाता ख़ोलने की अनुमति देते हैं। आपको अपने बच्चे के लिए पीपीएफ खाता क्यों खुलवाना चाहिए, इसकी कई वजहें हैं।

इन्हीं में से एक कारण यह है कि पीपीएफ खाते में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है। इस तरह अगर आप अपने बच्चे के लिए शुरुआती चरण में ही पीपीएफ खाता खुलवाते हैं, तो जब तक वह नौकरी के लायक या बालिग होगा, तब तक खाता मैच्योर हो जाएगा या फिर मैच्योर होने के करीब होगा।

हालांकि, इस बात का ध्यान रखे  कि दोनों खातों में (यानी, आपके और आपके बच्चे के पीपीएफ खाते में) जमा की जाने वाली कुल रकम किसी वित्त वर्ष में 1-5 लाख़  रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। मौजूदा कानून एक वित्त वर्ष में इतनी रकम ही जमा करने की अनुमति देते हैं। आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1-5 लाख़ रुपये की रकम पर ही टैक्स छूट का लाभ मिलता है।

आइए, देख़ते हैं कि आपके बच्चे को पीपीएफ खाता खुलने से कैसे फायदा हो सकता है।

जैसा कि पहले भी बताया गया है कि पीपीएफ खाते के फायदों में से एक इसकी 15 साल की लॉक-इन अवधि है। बच्चे के बालिग यानी 18 साल का होने पर खाते का संचालन उसके हाथ में आ जाता है। यानी पैसे निकालने या जमा करने के लिए उसके हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी। एक बार बच्चे के बालिग हो जाने और खाते के 15 साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि पूरी कर लेने पर वही यह तय कर सकता है कि खाता बंद करना है या इसे आगे चलाना है।

इस मामले में आपके बच्चे को यह फायदा होगा कि उसे 15 साल के सामान्य लॉक-इन के मुकाबले छोटी अवधि के लॉक-इन के साथ पीपीएफ खाता चलाना पड़ेगा। आम तौर पर किसी व्यत्तिफ़ को नया पीपीएफ खाता खुलवाने पर 15 साल की लॉक-इन अवधि का सामना करना पड़ता है।

यह इसलिए फायदेमंद है क्योंकि अभी पीपीएफ खाते को ईईई का दर्जा मिला हुआ है। यानी इसमें योगदान पर टैक्स छूट मिलती है। ब्याज कर मुत्तफ़ है। निकाली जाने वाली रकम पर भी टैक्स नहीं पड़ता है।


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इसलिए पीपीएफ को अच्छा निवेश विकल्प माना जाता है। लेकिन, 15 वर्षों की लंबी लॉक-इन अवधि के कारण लिक्विडिटी इसमें बड़ी समस्या लगती है। आपके बच्चे के लिए यह परेशानी तब दूर हो जाती है जब आप शुरू से ही उसका पीपीएफ खाता खुलवा देते हैं।

पीपीएफ खाते को बढ़वाने का विकल्प 

पीपीएफ खाते की मैच्योरिटी पर खाताधारक के पास दो विकल्प होते हैं। पहला, वह चाहे तो इसमें से पैसा निकालकरखाते को बंद कर दे। दूसरा, योगदान के साथ या इसके बगैरखाते को चालू रखे। इसे पांच-पांच साल के ब्लॉक में बढ़वाया जा सकता है।

इसका मतलब यह हुआ कि यदि आपका बच्चा मौजूदा खाते (परिपक्वता के बाद) को जारी रखना चाहता है, तो खाते की लॉक-इन अवधि पांच वर्ष होगी। न कि 15 साल। उसके पास विकल्प होगा कि चाहे तो वह योगदान या बगैर योगदान के इसे चालू रखे या इसमें से पैसे निकालकर खाते को बंद करवा दे।

आंशिक निकासी की सुविधा

पीपीएफ नियमों के अनुसार, आपको अपने पीपीएफ खाते से 7वें वर्ष से कुछ शर्तों के साथ पैसे निकालने की अनुमति है। हालांकि, जिनमें पीपीएफ को बढ़ाया जाता है।

पीपीएफ खाते के विस्तार वाले वर्षों में खाता

धारक के पास वित्त वर्ष में एक बार धन निकालने का विकल्प होता है। हालांकि, आप जिस अधिकतम राशि को निकाल सकते हैं, वह इस पर निर्भर करेगा कि आपने खाते को योगदान के साथ या बगैर योगदान के बढ़ाया है कि नहीं।

यदि पीपीएफ खाता किसी भी योगदान के बिना बढ़ाया जाता है, तो खाते में बैलेंस से कितनी भी रकम निकाली जा सकती है। दूसरी तरफ, यदि खाते को नए योगदान के साथ बढ़ाया गया है। तो, पांच साल के ब्लॉक के दौरान निकासी की राशि विस्तार की अवधि की शुरुआत में उपलब्ध बैलेंस का 60 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है।

याद रखे

पीपीएफ खाता मैच्योर होने पर अपने खाता कार्यालय को सूचित करना न भूलें। यह खाता कार्यालय वह होना चाहिए जहां आपका

पीपीएफ खाता है। मैच्योरिटी की तारीख़ से एक वर्ष पहले आपको बताना होगा कि आप इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं कि नहीं। यदि आप ऐसा नहीं करते

हैं तो खाता अपने आप बिना किसी नए योगदान के विस्तारित मान लिया जाएगा।


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