आपकी सेहत का रास्ता आंत से होकर जाता है

इंसान के शरीर में आंत को ‘दूसरा मस्तिष्क’ कहते हैं। इसमें एक रीढ़
की हड्डी से ज्यादा न्यूरॉन होते हैं और
ये शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बिल्कुल अलग काम करता है।
आंत का जटिल काम हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। डॉक्टरों का
मानना है कि हमारी पाचन प्रणाली खाने को पचाने के अलावा भी कई काम करती है। डॉक्टर
इस बारे में पता लगा रहे हैं कि क्या इसकी मदद से दिमागी बीमारी और प्रतिरक्षा
प्रणाली से जुड़ी बिमारियों का इलाज किया जा सकता है या नहीं।
आंत से जुड़े जरूरी तथ्यों को समझने के लिए बीबीसी ने आंत की जानकार
ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर मेगन रॉसी से बात की। उन्होंने इसे लेकर कुछ बेहद दिलचस्प
बातें बताईं।
डॉक्टर रॉसी बताती हैं, ‘‘हमारे शरीर के बाकी अंगों से अलग आंत
अकेला काम करता है। यानी इसकी कार्यप्रणाली किसी अन्य प्रणाली से प्रभावित नहीं
होती। इसे काम करने के लिए मानव मतिष्क से निर्देश की जरूरत नहीं होती।’’
आंत का नियंत्रण आंतरिक तंत्रिका तंत्र करता है। ये एक स्वतंत्र
तंत्रिका तंत्र है जिसका कामकाज केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बिलकुल अलग होता है।
ये सीधे तौर पर पाचन प्रणाली के लिए जिम्मेदार होता है।
ये तंत्रिका तंत्र ऊतकों के जरिए पूरे पेट और पाचन प्रणाली में फैला
होता है। साथ ही इसके अपने तंत्रिका सर्किट होते हैं। हालांकि, केंद्रीय
तंत्रिका तंत्र से स्वतंत्र रूप से काम करने वाली ये तंत्रिकाएं केंद्रीय तंत्रिका
तंत्र से संपर्क में रहती हैं।
व्यत्तिफ़ की रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए आंतों की भूमिका बेहद
महत्वपूर्ण है। रोग-प्रतिरोधक प्रणाली की 70 फीसदी कोशिकाएं
आंत में होती हैं।
जानकारों के मुताबिक, सबसे ताजा शोध बताते हैं कि अगर
व्यत्तिफ़ को आंत से जुड़ी कोई परेशानी है तो वह सामान्य बिमारियों जैसे फ्रलू का
शिकार आसानी से हो जाता है।
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मल में होते हैं 50% बैक्टीरिया
हमारा मल पूरी तरह शरीर ना निकलने वाला नहीं होता है। इसका लगभग 50
फीसदी हिस्सा बैक्टीरिया होता है। ये बैक्टीरिया फायदेमंद होते हैं। डॉक्टर रॉशी
ने बताया, ‘‘शोध कहते हैं कि एक स्वस्थ शख्स एक दिन में तीन बार से लेकर एक
हफ्रते में तीन बार तक मल का त्याग करता है।’’
हमारी आंत में अरबों की संख्या में माइक्रोब्स काम करते हैं। जो शरीर
को रोगाणुओं से बचाते हैं, भोजन से शरीर को ऊर्जा देने का काम
करता है और शरीर को विटामिन देता है।
आपका भोजन है बेहद अहम
जानकार कहते हैं कि माइक्रोब्स एक छोटे बच्चे की तरह होते हैं तो
इनका खास ख्याल रखना पड़ा है। माइक्रोब्स को विभिन्न तरह के भोजन से पोषण मिलता है।
साफ शब्दों में कहें तो जितना विविध प्रकार का आपका भोजन होगा माइक्रोब्स उतने ही
विभिन्न प्रकार और स्वस्थ होंगे। अगर आप एक ही तरह का खाना खाते हैं तो आपका
माइक्रोब्स कमजोर होगा।
आंतों का स्ट्रेस से कनेक्शन
डॉक्टर रॉसी बताती हैं, ‘‘अगर आपको आंत से जुड़ी परेशानी हो रही
है तो सबसे पहले ये देखें कि क्या कितने मानसिक तनाव में हैं। मैं अपने मरीजों को
दिनभर में 15 से 20 मिनट तक मेडिटेशन की सलाह देती हूं।’’
कई तरह के शोधों से ये सामने आया है कि मानसिक बीमारियों जैसे
डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के माइक्रोबियम सामान्य लोगों के माइक्रोबियम से अलग
होते हैं। ये सही है कि कुछ आंते सामान्य से ज्यादा
संवेदनशील होती हैं। डॉक्टर मेगन रॉसी एक शोध का हवाला देते हुए कहती
हैं, ‘‘अगर आप किसी एक तरह के खाने को खाने से डरते हैं और उसे खा लेते हैं
तो आपको पेट में दर्द का अहसास होता है। दरअसल ये डर ही इस लक्षण को जन्म देता
है।’’
वह कहती हैं, ‘‘अपने क्लीनिक में मैंने कई ऐसे लोगों
को देखा है जहां उनका यकीन उनकी बीमारी का कारण बन जाता है।’’
कैसे अपने पाचन तंत्र को मजबूत बनाएं मेगन रॉसी के मुताबिक, कुछ चंद बातों का ख्याल रखकर आप अपने पाचन स्वास्थ्य और आंतों के माइक्रोबियम को बेहतर बना सकते हैं। विभिन्न प्रकार के भोजन का सेवन करें इससे माइक्रोबियम स्वस्थ बनेंगे। तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन और
मानसिक योगा करना चाहिए। अगर आपको आंत से जुड़ी कोई परेशानी है तो
शराब का सेवन न करें।
अगर आप नींद से समझौता कर रहे हैं तो ये आपके आंतों के माइक्रोब्स के
लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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