नोट छापने की मशीनें और भी हैं

चपटी नाक के नीचे घनी मूछों की वजह से उसका चेहरा आम चेहरों से अलग
लगता था। वह हुलिया भी ऐसा बनाए रहता था कि दूर से पहचान में आ जाता था।
कुदरत उल्लाह ऐसा आदमी था, जिसे कहीं भी पहचाना जा सकता था। लंबे
कद और दुबले-पतले शरीर वाले कुदरतउल्लाह की आंखें छोटीछोटी थीं और गालों की हिîóयां
उभरी हुईं। उन उभरी हिîóयों के बीच में एक काला मस्सा था, जो किसी तालाब
के टापू की तरह उभरा था, लेकिन माथा काफी ऊंचा था। उस की गरदन
काफी छोटी, जो लंबे कद पर बड़ी विचित्र लगती थी। चपटी नाक के नीचे घनी मूछों की
वजह से उस का चेहरा आम चेहरों से अलग लगता था। वह हुलिया भी ऐसा बनाए रहता था कि
दूर से पहचान में आ जाता था। कुल मिला कर उस का डीलडौल ऐसा था कि उस से मिलने आने
वालों को उस के बारे में किसी से पूछने की जरूरत नहीं पड़ती थी। निसार चौधरी भी
बिना किसी से कुछ पूछे उस के पास जा पहुंचे थे। कुदरतउल्लाह ने उन्हें नीचे से ऊपर
तक देखते हुए पूछा, ‘‘आप की तारीफ?’’
‘‘मुझे निसार चौधरी कहते हैं।’’ निसार ने बिना इजाजत लिए सामने रखे कुर्सी खींच कर बैठते हुए कहा, ‘‘आप के बारे में मुझे सब पता है। फरजंद अली ने मुझे सब बता दिया था।’’
‘‘मैं भी आप का ही इंतजार कर रहा था।’’ कुदरतउल्लाह ने अपने पतले
होंठों पर मुसकराहट सजाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा, ‘‘फरजंद अली ने
मुझे भी आप के बारे में सब बता दिया था।’’
‘‘इधर-उधर की बातों में समय बेकार करने के बजाए सीधे काम की बात करनी
चाहिए,’’ निसार ने कुदरतउल्लाह से चाय मंगाने का इशारा करते हुए कहा,
‘‘मुझे
इस कारोबार में आए अभी 2 साल ही हुए हैं। वैसे तो मेरे पास अभी 4 मशीनें हैं,
लेकिन
उन में एक ही मशीन ऐसी है, जो ठीकठाक प्रोडक्शन देती है। मैं ने
यह बात फरजंद अली से कही तो उन्होंने आप के बारे में बताया कि आप के यहां तैयार
मशीनें और कारखाने में तैयार मशीनों से अच्छा काम करती हैं।’’
‘‘मुझे जानने वालों का यही खयाल है।’’ कुदरतउल्लाह ने कहा, ‘‘इस
समय मेरे पास 3 मशीनें हैं, जिन्हें मैं एक साथ बेचना चाहता हूं।
जो आदमी तीनों मशीनें एक साथ खरीदेगा मैं उसी को बेचूंगा।’’
‘‘ऐसा क्यों?’’ निसार ने हैरानी से कहा, ‘‘भई
मुझे तो 2 ही मशीनें चाहिए।’’
‘‘बाकी बची एक मशीन का मैं क्या करूंगा? दरअसल मैं अपना
कारखाना कहीं और शिफ्रट करना चाहता हूं।’’
‘‘क्योंकि? लोग बाहर से आकर यहां कारखाने लगाते हैं और आप यह शहर छोड़ कर कहीं और
जा रहे हो। मशीनें तैयार करने के लिए यहां जैसा कच्चा माल शायद कहीं और नहीं
मिलेगा?’’
‘‘कच्चा माल तो वाकई यहां बड़ी आसानी से और सस्ता मिल जाता है, लेकिन
यहां के कच्चे माल से तैयार की गई मशीनें जल्दी बिकती नहीं। लोग इन्हें कम ही खरीदते हैं। वजह शायद यह है कि यहां की मशीनें उन के दिल में नहीं उतरतीं।’’
‘‘खैर, यह लंबी बहस का विषय है,’’ निसार ने कहा, ‘‘चूंकि मैं पहली
बार आप के यहां आया हूं, इसलिए मुझे मालूम नहीं कि आप की मशीनों
की कीमत क्या है। अगर आप बताएं तो---’’
‘‘कीमत मशीन के हिसाब से होती हैं। इस समय मेरे पास जो मशीनें हैं,
उन
में से केवल एक 20 हजार रुपए की है, बाकी की 2 मशीनें 50-50
हजार की हैं।’’
‘‘कीमत कुछ ज्यादा नहीं है?’’
‘‘ज्यादा नहीं है भाई, मैं बहुत कम बता रहा हूं।’’
‘‘इतनी रकम वसूलने में ही सालों लग जाएंगे। उस के बाद फायदे का नंबर
आएगा।’’ निसार ने कहा, ‘‘मेरे पास जो मशीनें हैं, वे 10-15
हजार से ज्यादा की नहीं हैं।’’
‘‘इसीलिए तुम ऐसी बात कर रहे हो,’’ कुदरतउल्लाह ने
कहा, ‘‘मेरी मशीनें ऐसी हैं, जिन के प्रोडेक्शन पर लोग गर्व करते
हैं। 3-4 महीने में ही लाभ देने लगती हैं। मेरे साथ जो कारीगर काम करते हैं,
उन्हें
मेरी मशीनों का बहुत अच्छा अनुभव है।’’
‘‘मैं ने यह तो नहीं कहा कि तुम्हारी मशीनें फायदा नहीं देंगी।’’ निसार
ने दबे लहजे में कहा, ‘‘लेकिन मेरे पास उतनी रकम नहीं हैं, जितनी तुम मांग
रहे हो। तीनों मशीनों की कीमत एक लाख 20 हजार रुपए होती है ऊपर से आप तीनों
मशीनें एक साथ बेचना चाहते हैं।’’
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‘‘इस कारोबार में उधार बिलकुल नहीं चलता। वैसे भी मैं यह शहर ही छोड़ कर
जा रहा हूं, इसलिए पैसे भी नकद चाहिए।’’
‘‘क्या तुम मुझे मशीनें दिखा सकते हो?’’
‘‘कारखानों में ले जाकर दिऽाना तो मुश्किल है, क्योंकि कारखाना
दिखाना हमारे उसूल के िऽलाफ है।’’ कुदरतउल्लाह ने कहा, ‘‘मेरे पास मशीनों
की तस्वीरें हैं, उन्हें देख कर आप को अंदाजा हो जाएगा कि मेरे कारीगरों ने इन पर
कितनी मेहनत की हैं।’’
निसार चौधरी कुदरतउल्लाह से तस्वीरें ले कर एकएक कर के ध्यान से
देखने लगा। वाकई उन मशीनों को तैयार करने में काफी मेहनत की गई थी। निसार ने
तस्वीरों को उस की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता कि अभी आप मुझ से 70
हजार रुपए ले लें और बाकी की रकम बाद में।’’
‘‘मेरी एक बात मानोगे?’’ कुदरतउल्लाह ने कहा।
‘‘एक नहीं, आप की 10 बातें मानूंगा।’’ निसार ने खुशदिली से कहा।
‘‘फरजंद अली आपका दोस्त है न?’’
‘‘हां, मेरे उनसे बहुत अच्छे संबंध हैं।’’
‘‘तो ऐसा करो कि उधार करने के बजाए बाकी रकम उससे उधार लेकर दे दो।’’
‘‘भाई साहब, वह ऐसे ही रुपए नहीं देता, मोटा ब्याज लेता है। जबकि मैं ब्याज पर
रकम ले कर कारोबार करना ठीक नहीं समझता। क्योंकि जो कमाई होगी, वह
ब्याज अदा करने में ही चली जाएगी।’’
‘‘फिर तो आपका आना बेकार गया,’’ कुदरतउल्लाह ने
कहा।
निसार चौधरी उठने ही वाले थे कि उस ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘अच्छा,
आप
एक काम करो, 30 हजार रुपए का इंतजाम करके एक लाख रुपए में सौदा कर लो। उस के बाद
मुझे बता दो कि मशीनें कहां पहुंचानी है।’’
‘‘ठीक है कोशिश करता हूं। इस वत्तफ़ मेरे पास 50 हजार रुपए हैं, इन्हें रख लीजिए।’’ निसार ने 5 सौ रुपए की एक गîóी निकाल कर कुदरतउल्लाह की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘बाकी रुपए मैं कल पहुंचा दूंगा।’’
‘‘आप शायद मेरी मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं?’’ कुदरतउल्लाह ने गîóी जेब में रखते हुए कहा, ‘‘वैसे मशीनें कहां पहुंचानी होंगी?’’
‘‘बंदर रोड पर त्रिभुवनलाल जगमल का जो बोर्ड लगा है, उस
के सामने वाली गली में मशीनें पहुंचानी हैं।’’ निसार ने कहा, ‘‘बाकी
पैसे भी मैं वहीं दे दूंगा।’’
‘‘मशीनें कल रात 11 बजे पहुंच जाएंगी। लेकिन रुपए आप को
दिन में देने होंगे। दोटांकी के पास एक शानदार कैफे है। कल दोपहर को मैं वहां
पहुंच जाऊंगा। वहीं आ जाना।’’
‘‘क्या आप को मुझ पर विश्वास नहीं है।’’
‘‘यहां विश्वास की बात नहीं है। कारोबार के अपने नियम होते हैं। हमारा
कारोबार परचून की दुकान नहीं है कि बेच कर पैसे अदा कर दोगे। इस कारोबार में
लेनदेन का अपना अलग नियम है।’’ कुदरतउल्लाह ने एक-एक शब्द पर जोर दे कर कहा,
‘‘अभी
आपकी मशीनें कहां लगी हैं?’’
‘‘मेरी मशीनें अच्छी जगहों पर लगी हैं। बड़ी मुश्किल से उन जगहों को मैं ने पगड़ी की मोटी रकम दे कर हासिल किया था। मुंबई में आजकल जगह की बड़ी कमी है। लोगों ने पहले से ही अच्छी जगहों पर कब्जा जमा रखा है।’’
‘‘मेरे पास अपनी एक जगह भी है, अगर आप वहां अपनी मशीन लगाना चाहें
तो---?’’
‘‘उस जगह के भी आप मुंहमांगे दाम लेंगे?’’
‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं है,’’ कुदरतउल्लाह ने मुसकराने की कोशिश करते
हुए कहा, ‘‘अगर आप चाहें तो मैं उसे किराए पर भी दे सकता हूं। किराया आप मेरे घर
पहुंचा दिया करना।’’
‘‘जगह की बात मैं अभी नहीं कर सकता। इस बारे में फरजंद अली से मेरी बात
चल रही है। उस के पास भी अच्छी---’’
‘‘अगर फरजंद अली से आप की बात चल रही है तो ठीक है।’’ कुदरतउल्लाह ने
निसार की बात काटते हुए कहा, ‘‘चलो, अब चला जाए।
सौदा तय हो ही गया है।’’
दोनों कमरे से बाहर आए तो उन का स्वागत ट्रैफिक के शोर ने किया। वे
दोनों फुटपाथ पर आ कर खडे हो गए। निसार ने कहा, ‘‘आप कहां से बस पकड़ोगे?’’
‘‘मुझे तो उस सामने के चौराहे से बस मिल जाएगी।’’ कुदरतउल्लाह ने सामने
इशारा करते हुए कहा, ‘‘और आप को?’’
‘‘चलिए पहले आप को बस पर बैठा दूं।’’
‘‘इस की कोई जरूरत नहीं है। मैं चला जाऊंगा।’’ कुदरतउल्लाह ने लालबत्ती
की ओर देखते हुए कहा।
‘‘इंसानियत के भी कुछ फर्ज होते हैं जनाब,’’ निसार चौधरी ने
गंभीरता से कहा।
फुटपाथ के दाईं ओर एक पतली सी गली के नुक्कड़ पर एक जूस की दुकान के
जगमग करते बोर्ड के पास वाले खंभे पर पोलियो से सुरक्षित रखने के संदेश वाला बोर्ड
टंगा था। कुदरतउल्लाह उसे ध्यान से पढ़ने लगा, इसलिए उस ने
निसार को जवाब में कुछ नहीं कहा। दोनों खामोशी से आगे बढ़ने लगे। जैसे ही वे चौराहे
पर पहुंचे तो मसजिद में अजान की आवाज सुनाई दी।
‘‘मेरा खयाल है, कहीं आसपास ही मसजिद है?’’ कुदरतउल्लाह
ने निसार की ओर देखते हुए कहा।
‘‘हम लोग जहां जा रहे हैं, उसी चौराहे के दाईं ओर मस्जिद है।’’
‘‘तो पहले वहीं चलें---’’
तभी दर्द में डूबी एक आवाज सुनाई दी, ‘‘अल्लाह के नाम
पर कुछ दे दे बाबा।’’
‘‘चलो हरी बत्ती हो गई है।’’ चौधरी ने आगे बढ़ते हुए कहा तो कुदरतउल्लाह
का ध्यान भंग हुआ।
कुदरतउल्लाह रुक गया। उस के सामने थोड़ी दूर पर 10-11
साल का एक लड़का चौराहे के कोने में गंदे से कपड़े पर लेटा था। उसके दोनों पैर
घुटनों से नीचे लकड़ी की तरह सूखे हुए थे। बायां हाथ भी लकड़ी जैसा हो गया था।
उस मासूम का ऊपरी होंठ आधे से अधिक कटा हुआ था, जिससे
उसके पीले-पीले दांत नजर आ रहे थे। उसकी एक आंख का पपोटा कटा हुआ था, जिससे
उसकी आंख बड़े भयानक अंदाज में बाहर निकली हुई थी। उसे देऽ कर घृणा और दया के भाव गîóमîó
हो
रहे थे।
कुदरतउल्लाह ने उस लड़के की ओर अंगुली से इशारा करते हुए कहा,
‘‘इसे
देख रहे हो चौधरी?’’
‘‘हां हां, देख रहा हूं।’’
‘‘यह मेरे कारखाने की तैयार की हुई मशीन हैं।’’ कुदरतउल्लाह ने गर्व से सीना फुलाते हुए कहा, ‘‘यह मशीन पिछले साल मैं ने ही फरजंद अली को बेची थी। यह सुबह से देर रात तक बड़ी आसानी से हजार 2 हजार रुपए छाप लेती है। तुम्हें जो 2 मशीन दे रहा हूं वे भी इस मशीन से किसी भी तरह कम नहीं हैं। अगर तुम उन्हें अच्छी जगह फिट कर दोगे तो वे भी इसी तरह नोट छापेंगी।’’
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