पृथ्वी शॉ एक 18 साल का युवा जिसने सिर्फ दो टेस्ट मैच खेले हों, उसे आप कितनी गंभीरता से लेंगे?

अगर उन्होंने इन दो मैचों में 237 रन बनाए हों।
रन बनाने का औसत 118-5 हो। टेस्ट में रन जुटाने की रफ्रतार यानी स्ट्राइक रेट 94 हो
और उनके हाथ में मैन ऑफ द सिरीज की ट्रॉफी भी हो।
कोच रवि शास्त्री को उनमें महान सचिन तेंदुलकर, ब्रायन
लारा और वीरेंद्र सहवाग का ‘डेडली कॉम्बिनेशन’ दिखता हो।
एक अरब से ज्यादा क्रिकेट फैन्स की नजरें उन पर हों और उनका नाम
पृथ्वी शॉ हो तो उन्हें गंभीरता से न लेने का सवाल ही नहीं उठता।
ये जोखिम न उनकी विरोधी टीम केखिलाड़ी उठाना चाहेंगे और न ही
समीक्षक।
वेस्टइंडीज के खिलाफ शृंखला में पृथ्वी शॉ मैन ऑफ द मैच पृथ्वी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कामयाबी की पहली झलक भले ही ‘कमजोर’ वेस्ट इंडीज के खिलाफ दिखाई हो, लेकिन इसे कोई तुक्का मानने को तैयार नहीं है।
कोच रवि शास्त्री याद दिलाते हैं, ‘वो आठ साल से
क्रिकेट मैदान पर हैं यानी अब तक एक दशक पिच पर बिता चुके हैं।’
शॉ के बल्ले से निकले पहले टेस्ट शतक के बाद शतकों के शहंशाह सचिन
तेंदुलकर ने उनके आक्रामक अंदाज की तारीफ करते हुए सलाह दी, ‘बिना
डर के बैटिंग करना जारी रखो ।’
सचिन की तरह ही पृथ्वी शॉ ने अपने रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी के
पहले मैच में शतक जमाया। उन्होंने पहले टेस्ट में भी शतक जड़ा। ये कमाल सचिन भी
नहीं कर सके थे।
असली परीक्षा ऑस्ट्रेलिया में होगी हालांकि, उन्हें खेलता देखने वाले विशेषज्ञों को उनकी तकनीक में कुछ खोट भी दिखी और विजय लोकपल्ली जैसे समीक्षकों ने ये भी कहा, ‘उनकी असल परीक्षा ऑस्ट्रेलिया में होगी।’ लेकिन पृथ्वी शॉ न तो परेशान हैं और न ही उतावले।
टेस्ट सिरीज में मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार लेने के बाद उन्होंने कहा,
‘मुझे
नहीं पता आगे क्या होने वाला है। मैं अभी इस पल का मजा ले रहा हूं।’
ये बात जाहिर करती है कि बड़े प्रदर्शन के बाद उनके आगे भले ही
उम्मीदों के बड़े पहाड़ खड़े करने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन उनमें वही
जोश है, वही जुनून है और वही जिद है जो हाल में बचपन की दलहीज पार करने वाले
जोशीले युवा में दिखती है। वो हर तरह की चुनौती का मजा लेने को तैयार हैं।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पृथ्वी शॉ पहले भी इम्तिहान दे चुके हैं।
न्यूजीलैंड में हुए अंडर 19 वर्ल्ड कप में उनकी कप्तानी में
भारतीय टीम फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को ही मात देकर चैम्पियन बनी थी। फरवरी में हुए
उस टूर्नामेंट में पृथ्वी शॉ ने 65-25 के औसत से 261 रन बनाए और
बतौर कप्तान अंडर-19 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय का रिकॉर्ड अपने
नाम किया।
वर्ल्ड कप जीतने की चाहत
पृथ्वी शॉ को ऑस्ट्रेलिया की पिचों का खौफ दिखाया जा रहा है, लेकिन
वो खुद भी ऑस्ट्रेलिया की फिक्र बढ़ाने के इरादे में है।
ऑस्ट्रेलिया पर दबाव सिर्फ पृथ्वी शॉ के अंडर-19, प्रथम
श्रेणी और पहली टेस्ट सिरीज में जुटाए गए रन नहीं बनाएंगे। ऑस्ट्रेलियाई खेमे में खलबली उनके आगे के लक्ष्य जानकर होगी।
आगे के लक्ष्यों को लेकर पृथ्वी शॉ कहते हैं, ‘मैं भारत के लिए जितने हो सकें, उतने मैच जीतना चाहता हूं। वर्ल्ड कप भी।’ मौजूदा वनडे वर्ल्ड चौम्पियन ऑस्ट्रेलिया ये सोचकर तसल्ली नहीं पा सकती कि पृथ्वी अभी वनडे टीम में नहीं हैं। पहली टेस्ट सिरीज में उनकी आक्रामक बल्लेबाजी देखने के बाद उन्हें वनडे टीम में जगह देने की मांग उठने लगी है।
पृथ्वी शॉ- एक परिचय
पृथ्वी शॉ मुंबई के बाहरी इलाके विरार में पले बढ़े हैं। जब वो सिर्फ चार साल के थे तब मां का साया उनके सिर से उठ गया था। आठ साल की उम्र में बांद्रा के रिजवी स्कूल में उनका एडमिशन कराया गया ताकि क्रिकेट में करियर बना सकें। स्कूल से आने जाने में उन्हें 90 मिनट का वक्त लगता था जिसे वो अपने पिता के साथ तय किया करते थे। 14 साल की उम्र में कांगा लीग की ‘ए’ डिविजन में शतक जड़ने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बने। दिसंबर 2014 में अपने स्कूल के लिए 546 रन का रिकॉर्ड बनाया। पृथ्वी मुंबई की अंडर-16 टीम के कप्तान रह चुके हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड में बतौर कप्तान भारत को अंडर-19 वर्ल्ड कप भी दिलाया है। उन्होंने रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और टेस्ट क्रिकेट के पहले मैच में शतक जमाया है।