बंपर रिटर्न वाले शेयर की तलाश पूरी, लंबी रेस का घोड़ा है यूएसएल

देश की सबसे बड़ी शराब कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) ने एक बार फिर अच्छे तिमाही नतीजे पेश किए।
देश की सबसे बड़ी शराब कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) ने एक बार फिर अच्छे तिमाही नतीजे पेश किए। प्रीमियम प्रॉडक्ट्स की बिक्री बढ़ने से यूएसएलकी ग्रोथ बढ़ी है। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर 2018 तिमाही में उसकी आमदनी में 11 पर्सेंट और मुनाफे में 43 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। वहीं, वित्त वर्ष 2019 की पहली तीन तिमाहियों में यूएसएल की आमदनी में 12 पर्सेंट और मुनाफे में 52 पर्सेंट की तेजी आई है।
यूएसएल की मालिक ब्रिटिश कंपनी डायाजियो है। वह दुनिया भर में नए
प्रॉडक्ट्स और प्रॉडक्ट्स के नए वेरिएंट्स लाकर बिक्री बढ़ाने की रणनीति अपना चुकी
है। मिसाल के लिए, डायाजियो को अमेरिका में 17 पर्सेंट और अफ्रीका में 24
पर्सेंट बिक्री नए प्रॉडक्ट्स से मिल रही है। हालांकि, भारत में कंपनी
की कुल आमदनी में नए प्रॉडक्ट्स का योगदान सिर्फ 5 पर्सेंट है।
भारत में इस इनोवेशन और रेनोवेशन अजेंडा पर आगे बढ़ने के लिए कंपनी 250
करोड़ रुपये निवेश करने जा रही है। भारत में भले ही अभी तक कंपनी ने इस योजना में
बड़ी सफलता हासिल नहीं की है, लेकिन लग्जरी सेगमेंट में उसकी ग्रोथ
इंडस्ट्री की एवरेज ग्रोथ से अधिक रही है। इसलिए समय-समय पर नए प्रॉडक्ट्स या
प्रॉडक्ट वेरिएंट्स लाने से यूएसएल की ग्रोथ कई साल तक काफी तेज रह सकती है।
कंपनी की लॉन्ग टर्म स्टोरी मजबूत दिख रही है, लेकिन हाल में
उसे कई अस्थायी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। कुछ समय पहले एथनॉल और ग्लास जैसे
कच्चे माल के दाम में बढ़ोतरी से यूएसएल के मार्जिन पर दबाव बना था। दिसंबर 2018
तिमाही में इसी वजह से कंपनी का ग्रॉस मार्जिन तिमाही आधार पर 1-7
पर्सेंट कम हुआ था। जनवरी-मार्च 2019 तिमाही में एथनॉल के दाम में और 2
पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है।
दरअसल, ऑइल मार्केटिंग कंपनियों की तरफ से एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के लिए
इसकी मांग बढ़ी है। इस वजह से एथनॉल महंगा हो रहा है। हालांकि, मार्केट
ऐनालिस्टों का कहना है कि लॉन्ग टर्म में यूएसएल कच्चे माल के दाम में बढ़ोतरी का
बोझ ग्राहकों पर डालने में सफल रहेगी और उसका मार्जन मजबूत बना रहेगा। वह
प्रॉडक्शन या मार्केटिंग की लागत में कटौती करके भी मार्जिन को ऊंचे स्तर पर बनाए
रख सकती है। इसके अलावा, शराब उद्योग की मुश्किलें भी कम हो रही
हैं। महाराष्ट्र को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में इस साल शराब पर टैक्स नहीं बढ़ा है।
यह इंडस्ट्री के लिए अच्छी खबर है।
हालांकि, नॉन-प्रीमियम सेगमेंट में कुछ मसले सामने आए हैं। इस सेगमेंट से यूएसएल को 50 पर्सेंट आमदनी मिलती है। हालांकि, इन समस्याओं का हल वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही तक निकलने की उम्मीद है। सबसे बड़ी बात यह है कि शराब उद्योग के संगठित होने से यूएसएल जैसी बड़ी कंपनियों को फायदा होगा। इसलिए कंपनी लॉन्ग टर्म में नॉन-प्रीमियम सेगमेंट में दोहरे अंकों की ग्रोथ मेंटेन कर सकती है। कर्ज में कमी से ब्याज पर यूएसएल का खर्च घटा है। दिसंबर 2018 तिमाही में कंपनी की इंटरेस्ट कॉस्ट में 16 पर्सेंट और वित्त वर्ष 2019 की पहली तीन तिमाहियों में 25 पर्सेंट की कमी आई है।