बाल विवाह के खिलाफ़ आवाज उठाने वाली लड़की ने पीयूसी परीक्षा में 90 प्रतिशत अंक हासिल किये

2019-06-01 0

र्नाटक की लड़की, रेखा वी ने हाल ही में घोषित दूसरी पीयूसी परीक्षा परिणामों में 90.3% स्कोर करने के बाद सभी को चौंका दिया। दूसरा पीयूसी पाठड्ढक्रम एक प्री-यूनिवर्सिटी सिलेबस है जो भारत में राज्य शिक्षा संस्थानों या बोर्डों द्वारा संचालित एक इंटरमीडिएट कोर्स है जो दो साल की अवधि के रूप में जाना जाता है (10 + 2 )। रेखा को उसकी मां ने दो साल पहले शादी करने के लिए मजबूर किया था। लेकिन उसने अपने घर से भागकर शादी करने की बजाये अपनी पढ़ाई खत्म करने का फैसला किया।

18 वर्षीय रेखा, कर्नाटक में चिक्कबल्लपुरा जिले के बागपल्ली तालुक के कोट्टरू गाँव की निवासी है और उसकी माँ घरेलू मदद का काम करती है। 2017 में जब रेखा ने एसएसएलसी परीक्षा में 74% स्कोर किया, जो कि मूल रूप से 10 वीं कक्षा का है, तो उसकी मां और उसके परिवार के अन्य रिश्तेदारों ने उसे शादी करने के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया। न केवल रेखा ने शादी न करने के लिए लड़ाई की, बल्कि वह एक दोस्त की मदद से अपने घर से बेंगलुरु भाग गई। जैसे ही वह बेंगलुरु आई, उसने हेब्बाल में कंप्यूटर प्रशिक्षण कक्षाएं शुरू कीं, लेकिन उसको उनसे संतुष्टि महसूस नहीं हुई और इसके बजाय अपनी शिक्षा पूरी करने में मदद के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया।

2017 में जब रेखा ने एसएसएलसी परीक्षा में 74% स्कोर किया, जो कि मूल रूप से 10 वीं कक्षा का है, तो उसकी मां और उसके परिवार के अन्य रिश्तेदारों ने उसे शादी करने के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया। किन्तु रेखा ने शादी करने से मना कर दिया और अपने घर से भी भाग गई।

बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) केअधिकारियों ने रेखा के साथ मुलाकात की और उसे मथिकेरे में स्पर्शा ट्रस्ट में भेज दिया। उन्होंने गोल्लहल्ली, नेलमंगला में गवर्नमेंट पीयू कॉलेज में सीट मांगी। रेखा ने इतिहास विषय में पूरे 100 अंकों सहित 600 में से 542 अंक हासिल किए। उन्होंने अपने विषयों के रूप में इतिहास, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के साथ कला में ग्रेजुएशन करने का फैसला किया है। फ्रेखा निर्धारित और लक्ष्य पर केंद्रित थी। सीडब्ल्यूसी द्वारा उनकी मदद मांगने के बाद उन्हें बचाया गया। हमें उसकी उपलब्धि पर गर्व है।

रेखा ने बचपन में अपने पिता को खो  दिया और कम उम्र में ही शिक्षा प्राप्त करने का महत्व समझ गई थी। अब इंटरमीडिएट परीक्षा में इतने अच्छे प्रदर्शन के बाद वह वकील बनना चाहती है और फिर सिविल सेवा परीक्षा देना चाहती है।

‘‘मैं भागकर बेंगलुरु आ गयी और पढ़ाई करने के लिए नयी शुरुआत की, मैंने अपनी माँ से बात की। मैंने अपनी पढ़ाई की योजना उन्हें बता  दी है और अब हमारे बीच कोई दरार नहीं है। मैं छुट्टियों  में अपने गाँव वापस जाती  हूँ और मेरी माँ भी अब मेरा साथ देती है। वह मेरे अंकाें से  बहुत खुश थी और चाहती थी कि मैं बेहतर करूं।’’ - रेखावी

रेखा ने बताया कि वह 95% स्कोर करने का लक्ष्य बना रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से वह केवल 90% ही प्राप्त कर सकी। मैंने अपनी माँ से बात की। मैंने उन्हें अपनी पढ़ाई के बारे में अपनी योजना स्पष्ट कर दी है और अब हमारे बीच कोई दरार नहीं है। मैं छुट्टी के दौरान अपने गाँव वापस जाती हूँ और मेरी माँ भी अब मेरा साथ देती है। वह मेरे अंकों से बहुत खुश हुई और चाहती है कि मैं और बेहतर करूं। "

रेखा ने कहा, फ्मेरी मां को इस बात के बारे में बुरा लगता है कि वह मुझे अच्छी तरह से वो चीजे प्रदान नहीं कर सकी जिसकी मुझे जरूरत थी और वह नशे में अपना जीवन व्यतीत करती थी, लेकिन अब मेरे अंकों और पढ़ाई में रुचि के साथ, वह मुझ पर गर्व महसूस करती है। मैं अब कानून का अध्ययन करना चाहती हूं और मैं अभी भी अच्छे कॉलेजों की तलाश कर रही हूं।



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