पीएम मोदी की पहली यात्रा मालदीव क्याें?

2019-07-01 0

शाम होने को है और हरे-नीले समंदर की लहरें तेज और ऊँची हो रही हैं।

हम मालदीव की राजधानी माले के बोडुथाकुरुफानु मागु इलाके के बीच फ्रंट पर खड़े एक भारतीय का इंतजार कर रहे थे। बगल की जेट्टी पर दर्जनों स्टीमर समंदर के बीच में बसे एक दूसरे द्वीप से लोगों को लाते-ले जाते रहते हैं।

खुशबू अली भारत के मुरादाबाद शहर के रहने वाले हैं जहाँ से वह दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके में बस गए थे। काम की तलाश उन्हें मालदीव तक ली आई। उन्होंने बताया, ‘पेशे से एसी मेकैनिक हूँ, उधर हवाई अड्डे के पास कुछ फॉल्ट रिपेयर करने गया था’।

भौगौलिक और जनसंख्या की नजर से मालदीव एशिया का सबसे छोटा देश है। हालाँकि देश की कुल आबादी करीब पाँच लाख है लेकिन आमदनी का असल जरिया पर्यटन हैं क्योंकि सालाना दस लाख से भी ज्यादा पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं।

मालदीव में भारतीय मूल के लोगों की तादाद तीस हजार के आस-पास है लेकिन सामरिक दृष्टि से भारत के लिए मालदीव बहुत कीमती है। खुशबू अली ने बताया, ‘यहाँ सब बोलते हैं कि इंडियंस ने बहुत हेल्प की है मालदीव की पहले से, अभी भी कर रहा है। लेकिन काम के बारे में थोड़ा ज्यादा बेहतर हो सकता है। बारह घंटे का ड्यूटी है इधर, अच्छा नहीं है थोड़ा कम होना चाहिए। थोड़ा सैलरी भी कम है इंडियन आदमी का, टेक्नीशियन का, लेबर का। थोड़ा ज्यादा होना चाहिए’।

मैंने पूछा, ‘प्रधानमंत्री मोदी आ रहे हैं, पता है।’

जवाब मिला, ‘क्यों नहीं पता होगा। अब देखिए यात्रा से क्या निकलता है।’

मालदीव ही क्यों?

लगातार दूसरी बार आम चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए मालदीव को चुना है।

नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरे शपथ ग्रहण समारोह में पिछली बार की तरह दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के नहीं बल्कि बिमस्टेक देशों के समूह के नेताओं को बुलाया जिसमें थाईलैंड और म्यांमार जैसे मुल्क शामिल हैं, लेकिन मालदीव इसमें नहीं है।

जाहिर है, भारतीय विदेश नीति को अंजाम देने वालों के मन में ये बात रही होगी कि ये कदम कहीं मालदीव को खटक न जाए।

मालदीव की दक्षिण एशिया और अरब सागर में जो स्ट्रेटेजिक (सामरिक) लोकेशन है वो भारत के लिए अब पहले से कहीं ज्यादा अहम है। मालदीव में भारतीय राजदूत संजय सुधीर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं।

‘मालदीव हमारी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी का बड़ा हिस्सा है। हमारा जितना भी तेल और गैस का एक्सपोर्ट मध्य-पूर्व से आता है उसका बहुत बड़ा हिस्सा ए डिग्री चैनल, यानी मालदीव के बगल से होकर गुजरता है। साथ ही, बहुत जरूरी है भारतीय महासागर के इस इलाके में पीस-स्टेबिलिटी रहे। उसके साथ-साथ इंडिया मालदीव में एक भरोसेबंद डिवेलपमेंट पार्टनर की भूमिका भी निभाता है।’

भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने भी इस बात पर जोर दिया था कि, ‘प्रधानमंत्री की यात्रा  के दौरान विकास और सुरक्षा संबंधी कुछ अहम समझौते होंगेे।

मालदीव को प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा  के लिए चुने जाने के पीछे चीन भी एक बड़ा कारण बताया जाता है। चीन ने पिछले एक दशक से हिंद महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ने की मुहिम तेज कर रखी है। श्रीलंका को इस कड़ी का पहला हिस्सा बताया जाता है जिसके बाद उसका ध्यान मालदीव पर भी रहा है।

व्यापार, आर्थिक मदद और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान के जरिए चीन इन देशों में तेजी से अपना पांव जमाने में कुछ हद तक कामयाब भी रहा है।

हालाँकि ये दोनों देश चीन के मुकाबले न सिर्फ भौगोलिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और छोटे-व्यापारों के मद्देनजर भारत के ज्यादा करीब रहे हैं। लेकिन मालदीव पर भारत का प्रभाव कुछ वर्षों के लिए थोड़ा धीमा पड़ गया था।

2013 से 2018 के दौरान यहाँ की अब्दुल्ला यामीन सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए जो भारत को रास नहीं आए थे। इसमें प्रमुख था चीन से नजदीकियाँ।

मालदीव में भारत के पूर्व राजदूत गुरजीत सिंह भी इस बात को मानते हैं।

उन्होंने कहा, ‘अगर सभी सार्क देशों की बात की जाए तो पिछले कई वर्षों में पाकिस्तान के बाद मालदीव ही वो देश था जिसके साथ भारत के संबंध खासे खराब हो गए थे। इसलिए ये यात्रा एकदम सही समय पर हुई।

बदलाव का असर

मालदीव में 2018 के चुनावों में सत्ता परिवर्तन हुआ और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण में आकर एक कूटनीतिक संदेश दिया।

इसके जवाब में राष्ट्रपति सोलिह ने पिछले साल के दिसंबर महीने में भारत की आधिकारिक यात्रा की जिसमें बड़े व्यापारिक समझौते भी हुए।

उस यात्रा के समापन के पहले भारत की चैन की साँस को प्रधानमंत्री मोदी के इन शब्दों से समझा जा सकता है, ‘आपकी इस यात्रा से आपसी भरोसे और दोस्ती की झलक मिलती है जिन पर भारत-

मालदीव संबंध आधारित हैं’।

माहौल

बहरहाल, पिछले कुछ दिनों से मालदीव की राजधनी माले को सजाने-सँवारने का काम जारी है। सड़कों की सफाई और इमारतों को चमकाने का काम जारी है। पिछले आठ वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली आधिकारिक यात्रा जो है। दोनों देशों के झंडे सड़कों के इर्द-गिर्द गाड़ दिए गए हैं और सड़कों पर पहरा बढ़ चुका है।

माले के एक मशहूर होटल में मुलाकात कोलकाता से नौकरी करने आए अमित कुमार मंडल से हुई जो पीएम मोदी की यात्रा को लेकर खासे उत्साहित दिखे ।

उन्होंने कहा, ‘दूसरी सरकार आने के बाद स्थिति बहुत अच्छी है यहाँ और नरेंद्र मोदी भी आ रहे हैं कल। हम लोगों के लिए अच्छा ही है। पहले हम लोग का स्कोप नहीं था इधर, उस हिसाब से ठीक है, पहले से बेहतर है’। 

 

 



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