विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा भारत

2019-07-01 0


 अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनी सिस्को के चेयरमैन एवं सीईओ चक रॉबिन्स ऐसे समय में भारत आए जब दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगली सरकार बनाने की कवायद चल रही है। उनका मानना है कि कारोबारी सुगमता के मोर्चे पर उन्होंने अभूतपूर्व काम किया है। प्रस्तुत है रॉबिन्स से बातचीत के मुख्य अंशः

सवालः आप प्रधानमंत्री से पहले कई बार मिल चुके हैं और हाल मेें ट्विटर पर भी आपकी बातचीत हुई थी। कारोबारी सुगमता के मोर्चे पर आप उन्हें कैसा मानते हैं?

जवाबः मैं समझता हूं कि आपके प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) ने अभूतपूर्व काम किया है और उसकी झलक हाल में संपन्न चुनाव परिणामों में भी दिखी है। आज की दुनिया में एक दमदार नेता और एक खास अवधि तक लगातार नेतृत्व मिलना काफी फायदेमंद है। यहां आप विकास की लहर के दूसरे चरण में प्रवेश कर रहे हैं और संभवतः पिछली रणनीति को रफ्रतार दी जाएगी। मैं समझता हूं कि भारत अब काफी अच्छी स्थिति में है। प्रधानमंत्री के साथ हमारी बातचीत मुख्य तौर पर उनकी दिलचस्पी वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के आसपास रही। उदाहरण के लिए, पूरी डिजिटल इंडिया पहल पर बातचीत हुई।

सवालः भारत में बड़ी सरकारी और रक्षा परियोजनाओं में सिस्को को कितनी संभावनाएं दिख रही हैं?

जवाबः जब आप अपेक्षित जीडीपी वृद्धि और भारत में अपेक्षित डिजिटल पैठ के बारे में सोंचेंगे तो आपको इन सबकी दरकार होगी। इसके

लिए बुनियादी ढांचे में निवेश की जरूरत होगी। भारत में सबसे अच्छी बात यह है कि आपके पास स्मार्ट बुनियादी ढांचे में निवेश के विकल्प मौजूद थे। मैं समझता हूं कि आपने एसएमई को चुना। दुनिया भर में इस क्षेत्र में काफी रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं। वास्त में हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इन नई संभावनाओं का फायदा उठाने और उन्हें डिजिटल बुनियादी ढांचा एवं दक्षता उपलब्ध कराने के लिए साथ मिलकर काम करें।

सवालः सिस्को का सीईओ बनते समय आपने एक महत्वाकांक्षी योजना  की रूपरेखा तैयार की थी ताकि क्लाउड कंप्यूटिंग और सॉफ्रटवेयर सबस्क्रिप्शन में मौजूद अवसरों को भुनाया जा सके। इसमें चुनौतियों के बारे में आप क्या कहेंगे?

जवाबः ऐसी कोई चुनौतियां नहीं हैं। मैं बदलाव शब्द को लेकर अधिक उत्साहित नहीं होता क्योंकि आप एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां चीजें लगातार बदल रही हैं। जब मैं सीईओ बना था तो कई ताकतें साथ मिल गई थीं-चाहे क्लाउड कंप्यूटिंग हो या सॉफ्टवेयर -डिफाइंड नेटवर्किंग अथवा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशील लर्निंग, बिडेटा या कुछ और। ये सभी ताकतें साथ मिल रही थीं जिससे एक ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने लगी जहां हमें काफी कुछ बदलाव करने की जरूरत महसूस होने लगी।

सवालः इस बदलाव में भारत की क्या भूमिका आपको दिख रही है? सिस्को की वैश्विक रणनीति के लिहाज से भारत मेें कर्मचारियों की संख्या कितना उपयुक्त है?

जवाबः हमारी नजर अपने कर्मचारियों के वैश्विक पैठ पर होती है लेकिन हम इस पर अधिक ध्यान नहीं देते। इसी तरह भारत हमारे करोबार के उस हिस्से को प्रस्तुत नहीं करता जो वास्तव में जबर्दस्त है क्योंकि इससे हमें प्रतिभाओं को तलाशने और आकर्षित करने में काफी मदद मिलती है। हमने कंपनी को इस तरीके से तैयार किया है जो काफी विकेन्द्रीकृत तरीके से परिचालन करती है। भारत में हमारे पास पर्याप्त इंजीनियरिंग संसाधन मौजूद हैं और यहां हमने काफी महत्वपूर्ण तकनीकी तैयार किया है। मैं समझता हूं कि यहां मौजूद हमारे 60 फीसदी इंजीनियर सॉफ्रटवेयर पर काम कर रहे हैं। लेकिन हम काफी हार्डवेयर भी तैयार कर रहे हैं। यदि आप इंटरनेट ट्रैफिक पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि उसमें कमी नहीं, बल्कि वृद्धि हो रही है। भारत में काफी प्रतिभाएं मौजूद हैं यहां हमारे पास परिचालन प्रतिभा, आंतरिक आईटी प्रतिभा, ग्राहक सेवा के लिए प्रतिभा और इंजीनियरिंग के लिए प्रतिभा मौजूद है। इसका दायरा काफी व्यापक है और हम यहां निवेश जारी रखेंगे।

सवालः 5जी प्रौद्योगिकी को भुनाने के लिए सिस्को  दूरसंचार कंपनियों के साथ मिलकर किस प्रकार काम कर रही है?

जवाबः अंततः 5जी काफी हाई-स्पीड ऐक्सेस प्रौद्योगिकी है। उपभोक्ता और ग्राहक जो कुछ भी कर रहे हैं उसके लिए उचित मात्र में बैंडविड्थ चाहते हैं। इसके लिए 5जी एक विकल्प है। भारत में कई सेवा प्रदाताओं ने व्यापक फाइबर नेटवर्क तैयार किया है और इसलिए उनके पास बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने की क्षमता मौजूद है। जहां तक 5जी का सवाल है तो जाहिर तौर पर हम अपने सेवा प्रदाता साझेदारों के साथ मिलकर बुनियादी ढांचा तैयार कर रहे हैं। फिलहाल आपको सबसे अहम मुद्दा उठाने की जरूरत है जो दूरसंचार कंपनियों के निवेश पर रिटर्न है



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