नीट क्लीयर नहीं हुआ तो घबराएं नहीं, इसके अलावा और भी हैं बेहतर कोर्स

2019-07-01 0


कुछ छात्रों ने नीट क्लिीयर किया है तो वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं जो नीट नहीं क्लीयर कर पाये हैं। अगर आप भी उन छात्रें में शामिल हैं जो नीट नहीं क्लिीयर कर पाए हैं तो घबराएं नहीं, आपके पास भी हैं बेहतर विकल्प 

मेडिकल और डेंटल कोर्सों में भारत और विदेश में पढ़ाई करने के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट को क्लिीयर करना जरूरी है। नीट 2019 का रिजल्ट भी आ गया है। कुछ छात्रें ने नीट क्लीयर किया है तो वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं जो नीट नहीं क्लीयर कर पाए हैं। अगर आप भी उन छात्रें में शामिल हैं जो नीट नहीं क्लीयर कर पाये हैं तो घबराएं नहीं। नीट नहीं क्लिीयर कर पाने का मतलब नहीं है कि आपके लिए आगे के सारे रास्ते बंद हो गये हैं। ऐसे कई कोर्स हैं जो आप अब भी कर सकते हैं। आइए आज आपको मेडिकल के उन कोर्सों के बारे में बताते हैं 

बैचलर्स ऑफ वेटरिनरी साइंसेज एंड एनीमल हस्बैंड्र

बीवीएसी कोर्सों में पशु चिकित्सा विज्ञान से सम्बंधित पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। जिनमें घरेलू और जंगली जानवरों की बीमारियों का पता लगाना और उपचार करना है। बीमारियों की रोकथाम और सही दवाइयों के बारे में बताया जाता है। यह कोर्स पांच सालों का है। अगर  कोई छात्र एनीमल हस्बैंड्री नहीं रखना चाहता है तो उसके लिए बीवीएससी तीन सालों का कोर्स होता है।

बैचलर्स ऑफ फार्मेसी (बी- फार्मा)

इस फील्ड में दो सालों का डिप्लोमा और चार सालों का डिग्री कोर्स उपलब्ध है। बी- फार्मा के छात्रें के लिए बहुत संभावनाएं हैं। वे सरकारी या निजी अस्पतालों में जॉब कर सकते हैं। वे अपना स्टोर भी खोल सकते हैं। वे सरकारी और निजी कंपनियों के लिए रिसर्च कर सकते हैं। ज्यादातर कॉलेज छात्रें को 12वीं क्लास में उनके मार्क्स के आधार पर दाखिला देते हैं।

बॉटनी

पौधे, उनकी संरचना, प्रक्रियाओं, वृद्धि आदि का इसमें अध्ययन किया जाता है। बॉटनी लेने वालों को पौधों पर रिसर्च करना होता है। वे पौधों की नई प्रजातियों की खोज करते हैं। पौधों की संरचना और उनकी विभिन्न प्रक्रियाओं से सम्बंधित रिसर्च करते हैं। बॉटनी में डिग्री हो तो नेचुरल रिसोर्सेज सेंटर, इन्वायर्नमेंटल कंसल्टेंसीज में जॉब कर सकते हैं। वे रिसर्चर, टीचर/प्रोफेसर, टैक्सोनोमिस्ट, हॉर्टिकल्चरिस्ट, नर्सरी मैनेजर और इन्वायर्नमेंटल कंसल्टेंट के तौर पर काम कर सकते हैं।  

जूलॉजी

इस कोर्स में जानवरों के बारे में अध्ययन किया जाता है। उनकी बनावट, जीवन प्रक्रियाओं, जेनेटिक्स, शारीरिक संरचना, वर्गीकरण आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। जूलॉजी में डिग्री होने पर रिसर्चर, एनीमल ब्रीडर, वाइल्डलाइफ रिहैबिलिटेटर, वाइल्ड लाइफ बॉयोलॉजिस्ट, जू क्यूरेटर और कंजर्वेशनिस्ट के तौर पर काम कर सकते हैं। वे स्कूलों और कॉलेजों में टीचर/प्रोफेसर की जॉब भी कर सकते हैं।

माइक्रोबायलॉजी

इसमें सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणु, विषाणु, कवक और उनके इंसान, जानवर, पौधे एवं अन्य जीवों से सम्बंध का अध्ययन किया जाता है। माइक्रोबायलॉजिस्ट अनुसंधान करते हैं और पता लगाते हैं कि अलग-अलग सूक्ष्मजीवों का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है। इसमें कई सबफील्ड्स हैं जैसे वायरोलॉजी, इंडस्ट्रीज, ब्रेवरीज, डिस्टिलरीज, कृषि क्षेत्र में काम कर सकते हैं।

इनके अलावा भी आपके पास ऑप्शन हैं जैसे इंवायर्नमेंटल साइंस, जेनेटिक्स, बायोइन्फर्मेटिक्स, फिजियॉलजी, मरीन बायलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, बायोफिजिक्स, बायोमेडिकल साइंस, फूड एंड एग्रीकल्चर।



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