विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इससे सम्बंधित नियम जान लेना जरूरी है

2019-07-01 0


भारत के लोगों की विदेशों में खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लंदन, न्यूयार्क, सिंगापुर और दुबई भारतीयों की पहली पसंद हैं।

विदेशी में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जान लीजिए इससे जुड़े नियम, टैक्स के साथ होगी यह जानकारी विदेशों में भारतीय खूब प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। भारत के लोगों की विदेशों में खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लंदन, न्यूयॉर्क, सिंगापुर और दुबई प्रॉपर्टी खरीदने के लिए भारतीयों की पहली पंसद हैं। विदेशों में प्रॉपर्टी खरीदने का फैसला करने से पहले संबंधित देशों के फॉरेन एक्सजेंच नियम और टैक्स प्रावधानों को पढ़ना हर किसी के लिए संभव नहीं है। भारत के संबंध में हम यहां आपको कुछ नियमों की जानकारी दे रहे हैं, जो विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने में आपकी मदद कर सकते हैं।

फॉरेन एक्सचेंज विनियमनः इंडियन फॉरेन एक्सचेंज विनियमन के तहत एक वित्त वर्ष मेें एक व्यक्ति भारत के बारह (प्रॉपर्टी में निवेश सहित) केवल 250,000 डॉलर ही भेज सकता है। विदेश में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए एक परिवार में प्रत्येक सदस्य अपने-अपने एकाउंट से एक वित्त वर्ष के 250,000 डॉलर भेज सकते हैं। उदाहरण के तौर पर एक परिवार में यदि चार सदस्य हैं, तो चारों सदस्य एक वित्त वर्ष में कुल 10 लाख डॉलर भारत से बाहर भेज सकते हैं।

रेंटल इनकम पर टैक्सः यदि एक व्यक्ति विदेश में किसी अचल संपत्ति में निवेश करता है और वहां रेेंटल इनकम हासिल करता है, तब उसे भारत का नागरिक होने के नाते इसकी घोषणा करनी होगी। सामान्य तौर पर दुनियाभर से होने वाली कमाई पर प्रत्येक नागरिक को इन्कम टैक्स देना पड़ता है। इसके मुताबिक विदेशी में प्रॉपर्टी से होने वाली रेंटल इनकम पर भारत में टैक्स देना होगा। भारत ने तमाम देशों के साथ टैक्स समझौते किए हैं, इससे दोनों देशों को टैक्स के अधिकार मिल जाते हैं। इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति ने विदेश में टैक्स दिया है तो वह भारत में देय टैक्स पर छूट का दावा कर सकता है। इसके लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, जैसे विदेश में जमा किए गये टैक्स का प्रमाण।

विदेशी संपत्ति और इन्कम की घोषणाः प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने इन्कम टैक्स रिटर्न में भारत के बाहर निवेश किए गये देश का नाम, प्रॉपर्टी का पता, खरीदने की तारीख, कुल इन्वेस्टमेंट, प्रॉपर्टी की प्रकृति और उससे होने वाली इन्कम शामिल है, देनी होती है।

वेल्थ टैक्स हुआ खत्मः वेल्थ टैक्स कानून, 1957 को एक अप्रैल 2015 से खत्म कर दिया गया है। इससे पहले यदि एक व्यक्ति (भारतीय नागरिक) अपने नाम पर विदेश में प्रॉपर्टी खरीदता था और उसके पास भारत में पहले से ही कोई प्रॉपर्टी है, तो उस पर टैक्स देनदारी होती है। (एक प्रॉपर्टी इस दायरे से बाहर थी)। वेल्थ टैक्स की दर एक फीसदी थी। वेल्थ टैक्स खत्म होने के बाद अब कोई भी व्यक्ति विदेश में प्रॉपर्टी खरीद सकता है और उस पर कोई वेल्थ टैक्स नहीं देना होगा।

कैपिटल गेन छूटः पहले, कैपिटन गेन को विदेश में हाउस प्रॉपर्टी में दोबारा निवेश करने को लेकर इन्कम टैक्स प्रावधान में अस्पष्टता थी, धारा 54/54एफ के तहत कैपिटल गेन टैक्स छूट का लाभ मिलता था। फाइनेंस एक्ट 2014 में संशोधन के बाद कैपिटल गेन छूट का दावा वित्त वर्ष 2014-15 से ही प्रभावी हो गया है और इसे केवल भारत में रिहायशी घर के खरीदने और निर्माण पर ही किया जा सकता है। विदेश में स्थिर घर पर इस छूट का दावा नहीं किया जा सकता। 



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