साइकिल चलाना, पैदल चलने से ज्यादा फ़ायदेमंद है

सुबह उठकर घड़ी की सुई से भी तेज भागना है और फि़टनेस से कोई समझौता भी नहीं करना है, तो अपनी लाइफ़स्टाइल में साइकिल को करें शामिल। हर साल 3 जून को यूएन मनाता है साइकिल दिवस।
याद कीजिए वह दौर, जब साइकिल घर के आंगन या दरवाजे की
शोभा बढ़ाया करती थी। जिसकी कब जरूरत पड़ जाये पता नहीं। आज भी गांवों और सुदूर
इलाकों में इसकी जरूरत कम नहीं हुई हैं लेकिन शहर में रहने वाले लोेग बिजी
लाइफस्टाइल के चलते फिटनेस पर खास ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में साइकिल की
सवारी उन्हें बिगड़ती लाइफस्टाइल को काफी हद तक ट्रैक पर ला सकती
है। साइकिल इंडस्ट्री भी इस फिटनेस फंडे को बखूबी समझ चुकी है और यही वजह है कि
कभी साधारण सी दिखने वाली साइकिल अब अल्ट्रा मॉडर्न होकर मार्केट की शान बन गई है।
दरअसल, साइकिल सेहत के लिए एक स्मार्ट चुनाव है, जिस किसी ने भी
इसे चुना उन्हें ही इसकी असली कीमत पता है। तभी तो विश्व साइकिल दिवस की थीम भी
इसकी इन्हीं खूबियों को बताती है जो है, ‘आसान, सस्ती, भरोसेमंद,
स्वच्छ
और पर्यावरण के अनुकूल’।
पैदल पर भारी पैडल
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, साइकिल
चलाना पैदल चलने से अधिक लाभकारी है। साइकिल के नियमित इस्तेमाल से कैंसर का खतरा 45
फीसदी और दिल की बीमारियों का खतरा 46 फीसदी तक कम हो जाता है। जबकि पैदल
चलने से दिल की बीमारियों का खतरा 27 फीसदी ही घटता है।
मूड बनाता है हैप्पी
यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के एक शोध के मुताबिक, साइक्लिंग से
दिमाग में सिरोटोनिन, डोपामान व फेनिलइथिलामीन जैसे रसायनों का उत्पादन बढ़ जाता है,
जिससे
तनाव कम होता है और मूड हैप्पी रहता है।
साइकिल चलाने से सेहत को होने वाले फायदे
1- कॉर्डियोवेस्कुलर फिटनेस को बढ़ाता है।
2- मसल्स को मजबूत और प्लेक्सिबल बनाता है।
3- जोड़ों को एक्टिव रखता है।
4- स्ट्रेस लेवल कम करता है।
5- हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंद है साइक्लिंग।
6- मोटापा कम करने में कारगर है साइक्लिंग।
7- कई सारी बीमारियों को साइक्लिंग से कर सकते हैं दूर।
इन बातों का रखें ध्यान
1- तेज धूप में सनस्क्रीन लोशन, सन ग्लास और पानी की बोतल साथ रखें।
2- सीट की ऊंचाई थोड़ी मुड़ी हुई हो।
3- पैडल पर पैरों को फिक्स करने के लिए क्लिप न चढ़ाएं। इससे दुर्घटना की
आशंक रहती है।
4- हेलमेट, आरामदायक जूते के साथ-साथ आरामदायक कपड़ों का प्रयोग करें।
5- राइडिंग करते वक्त कमर सीधी रखें ऐसा करने से कमर के निचले हिस्से के
दर्द होने से बचा जा सकता है।
बदला समय और अंदाज
साइकिल के प्रति आकर्षण यूं ही नहीं बढ़ा है। नई पीढ़ी को बाजार कई
तरीकों से साइकिल के प्रति आकर्षित कर रहा है। बाइक लाइब्रेरीज, बाइक
कैफे और सर्विसिंग के लिए अत्याधुनिक साज-सामानों से सजी वर्कशॉप तैयार हो रहे
हैं। गरीब आदमी की सवारी को तेजी से रिक्रिएट किया जा रहा है। अब तो सड़क पर चलाने
के लिए अलग साइकिल, पहाड़ों पर चलाने के लिए अलग प्रकार की साइकिलें आ रही हैं। साइकिल
शेयरिंग का विकल्प भी बढ़ा है। खासतौर पर पर्यटक स्थलों पर साइकिल टूर को खूब
प्रोत्साहित किया जाता है।
साइकिलों का देश
कोई देश या शहर अपनी इमारतों या प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता
है। मगर नीदरलैंड एकमात्र ऐसा देश है जो जाना जाता है बतौर साइकिलों का देश। दरअसल,
नीदरलैंड
में सबसे अधिक साइकिल कल्चर है। यहां की सबसे खास बात यहां के लोेगों का साइकिल
प्रेम है। यहां की सरकार ने देश की प्राकृतिक सुन्दरता को बचाने के लिए साइकिलों
को काफी प्रमोट किया है। यही वजह है कि केवल आम नागरिक ही नहीं, बल्कि
नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट साइकिल से ही दफ्तर जाते हैं। नीदरलैंड का
एम्स्टर्डम शहर साइकिल्स्ट का अड्डा कहा जा सकता है। जहां साइकिल वालों के लिए
विस्तृत लेन भी बनाई गई है। यहां तकरीबन एक चौथाई सफर साइकिलों से ही तय किया जाता
है। यहां 22,000 मील का साइकिल के लिए रास्ता बनाया गया है। न केवल सुरक्षा के लिहाज
से बल्कि पर्यावरण की रक्षा के मामले में भी यह देश हर किसी से ऊपर है। जहां
नागरिकों से ज्यादा संख्या में साइकिलें मौजूद हैं। हालांकि डेनमार्क के
कोपेनहेगेन को सबसे अधिक साइकिल फ्रैंडली देश माना जाता है। इसे ‘सिटी ऑफ
साइक्लिस्ट’ भी कहा जाता है। यहां की तकरीबन 52 प्रतिशत आबादी
नियमित साइकिल चला रही है, यानी तेल की बढ़ती-घटती कीमत इन्हें
परेशान नहीं करती।