गर्मी के कहर से बिहार में त्राहि-त्राहि सैकड़ों से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई सैकड़ों से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई

2019-07-01 0

- डॉ. संदीप कटारिया 

देश भर में गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है। बढ़ती हुई गर्मी से लोगों की जान जा रही है। 

लगभग पूरे देश में आज गर्मी लोग परेशान हो रहे हैं। कहीं लोग गर्मी की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं तो कहीं पानी की कमी से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।

गर्मी की वजह से केवल बिहार में सैकड़ों लोगों ने की जान चली गई। गर्मी का सबसे गहरा प्रकोप बिहार के गया, जहानाबाद और नवादा में देखने को मिला है। यहां अस्पताल में इतनी जगह नहीं है कि लू से प्रभावित लोगों को एडमिट कर लिया जाये।

गर्मी के कारण लू से मरने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। लेकिन इस पर भी अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। पूरी दुनिया को पता है कि ये सब ग्लोबल वार्मिंगकी ही देन है लेकिन हमारी सरकार उस पर कुछ नहीं कर रही है। बुड्ढे मरें या बच्चे इससे सरकार को कोई लेना देना नहीं है। राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार दोनों ही मौन हैं। सभी को चुनाव के वक्त ही लोगों की याद आती है। चुनाव खत्म होने पर आम जनता से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता है।

निरंतर वर्ष गत वर्ष लू से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन सरकार के पास अभी भी कोई ठोस उपाय नहीं है। पिछले 20-25 वर्षों में 20-25 हजार लोगों की जान लू की वजह से चली गई। ये वो लोग हैं जिनकी जान सरकारी अस्पताल में गई है। ज्यादातर लोग लू की वजह से अस्पताल पहुंच भी नहीं पाते हैं और घर पर ही उनकी मृत्यु हो जाती है। इसका तात्पर्य यह है कि मरने वालों की संख्या 25 हजार से भी ज्यादा हो सकती है।

जिस तरह गर्मी बढ़ रही है, लोगों की मौत हो रही है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बड़ी होती जा रही है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि अब हम अपने देश में इसके लिए तैयार रहें और इसे एक आपदा के रूप में समझें। गर्मी से बढ़ती समस्या को देखते हुए अब गर्मी को प्राकृतिक आपदा घोषित कर देना चाहिए।

जिस तरह बाढ़, तूफान जैसे प्राकृतिक आपदा में लोगों को बचाया जाता है या मदद पहुंचाई जाती है उसी प्रकार गर्मी को भी प्राकृतिक आपदा घोषित करने से लोगों को सहायता पहुंचाई जा सकती है तथा बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकती है।

अगर गर्मी को प्राकृतिक आपदा घोषित कर दिया जाता है तो आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत लोगों को बचाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया जा सकेगा।

इतना ही नहीं, केन्द्र और राज्य सरकार लू की स्थिति से निपटने के लिए संसाधनों की भी व्यवस्था करेंगी। केन्द्र और राज्य सरकार आपदा प्रबंधन के लिए विशेष बजट की घोषणा करती हैं और इस बजट का इस्तेमाल करके लू से प्रभावित लोगों को बचाया जा सकता है।

जिस तरह तूफान आने से पहले ही लोगों को अलर्ट कर दिया जाता है उसी तरह से गर्मी को भी मौसम विज्ञान की मदद से लोगों को अलर्ट किया जा सकता है जिससे लोगों को कम नुकसान हो और लू से मरने वालों पर नियंत्रण पाया जा सके।

अगर बिहार की बात की जाए तो बिहार के गया जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। ताकि लू जैसे महामारी से लोगों को बचाया जा सके।

धारा 144 तब लागू की गई जब सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। अगर लोगों को पहले ही अलर्ट कर दिया जाता तो शायद इतनी जान नहीं जाती। इसका एक पैमाना होना चाहिए। जैसे तटीय इलाकों में 450 से ज्यादा तापमान होने पर उस क्षेत्र को अलर्ट कर दिय जाता है और आपदा प्रबंधन सक्रिय हो जाता है जिससे बहुत हद तक लोगों की जान बच जाती है।

यह सिर्फ बिहार की बात नहीं है कमोबेश पूरे देश का मुद्दा है जिस पर सरकार को सोचना चाहिए। इस समस्या की असली जड़ हमारा दूषित पर्यावरण है। अब यह समझने का वक्त आ गया है कि हम पर्यावरण के महत्व को समझें और उसके बुरे परिणाम को भी समझें। आज न ही कोई राजनीतिक पार्टी, न तो हमारी सरकार कोई भी पर्यावरण पर बात नहीं करती है। ऐसा लगता है कि सरकार के लिए ये कोई मुद्दा ही नही है।

अभी कुछ दिन पहले ही लोकसभा का चुनाव समाप्त हुआ है। सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए एक से बढ़कर एक हथकंडे अपनाए। सभी पार्टियों के नेता लोगों के पास जाकर उसे लुभाने के लिए पानी, बिजली, रोजगार पर बात करते थे लेकिन किसी ने भी पर्यावरण पर बात नहीं की।

चूंकि गर्मी-लू जैसी भयावह महामारी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी है, इसलिए सरकार को इस तरफ ध्यान देना ही पड़ेगा तथा इससे निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम करना ही पड़ेगा। पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दे पर आम-जन तथा सरकार को आगे आना ही होगा इसी में हम सबका कल्याण है।



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