बुलंद हौंसले और बहादुरी की अनूठी मिसाल ‘नीरजा भनोट’

- मिना कौंडल
नीरजा भनोट किसी परिचय की मोहताज नहीं है जिन्होंने सिर्फ 23
साल की उम्र में अपनी बहादुरी दिखाकर 359 जिंदगियां बचाई थी। हालांकि
आतंकवादियों ने भनोट की इस दौरान गोली मारकर हत्या कर दी थी और वह शहीद हो गई थी।
अपनी बहादुरी से 359 लोगों की जान बचाने वाली एयर होस्टेस नीरजा भनोट को भला कौन भूल
सकता है। वर्ष 1986 में एक प्लेान के कराची एयरपोर्ट से हाईजैक हो जाने के बाद नीरजा ने
आतंकवादियों से लड़ते हुए 359 लोगों की जान बचाई थी लेकिन इस जंग
में वे अपनी जान गवां बैठी थी। नीरजा भनोट उस समय 23 साल की होने
वाली थी। उसकी सालगिरह से दो दिन पहले 5 सितंबर को उसकी छोटी सी बेमिसाल
जिंदगी खत्म हो गई। वो मुंबई से न्यूयॉर्क जाने वाले विमान की मुख्य सहायिका थी।
कराची के एयरपोर्ट पर विमान को हाईजैक कर लिया गया।
मुंबई के पत्रकार हरीश भनोट और रमा भनोट की बेटी नीरजा का जन्म 7
सितंबर 1963 को चंडीगढ़ में हुआ था। नीरजा ने बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से स्कूलिंग
करके सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। उनके माता-पिता उनको प्यार से
‘लाडो’ बुलाते थे। 21 साल में नीरजा की शादी हो गई थी और वह पति के साथ वेस्टर्न एशिया
चली गई थीं। लेकिन दहेज की मांग के चलते वह मुंबई वापस आ गईं। यहां आकर वह पैन
अमेरिकन एयरवेज में नौकरी करने लगीं। कहते हैं जब ट्रेनिंग के दौरान नीरजा को
एंटी-हाईजैकिंग कोर्स में दाखिला लेना पड़ा तो उनकी मां ने उनसे नौकरी छोड़ने को कहा,
तो
नीरजा का जवाब था- अगर सब माँएं ऐसे ही सोचेंगी तो इस देश का भविष्य क्या होगा?
एयर-होस्टेस
बनने से पहले उन्होंने बेंजर सारीज, बिनाका टूथपेस्ट, गोदरेज
बेस्ट डिटरजेंट, वैपरेक्स और विको टरमरिक क्रीम जैसे उत्पादों के लिए मॉडलिंग की थी।
नीरजा सबसे युवा और प्रथम महिला थीं, जिन्हें अशोक चक्र मिला (मृत्यु
उपरांत)। अशोक चक्र भारत का शांति के समय का सबसे ऊंचा वीरता का पदक है।
अशोक चक्र के साथ-साथ नीरजा को फ्रलाइट सेफ्रटी फाउंडेशन हिरोइजम
अवॉर्ड, यूएसए, तमगा-ए-इंसानियत-पाकिस्तान, जस्टिस फॉर क्राइम्स अवॉर्ड, यूनाइटेड
स्टेट्स अटॉर्नीज ऑफिस फॉर द डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया, स्पेशल करेज
अवॉर्ड, यूएस गवर्नमेंट और इंडियन सिविल एवियेशन मिनिस्ट्रीज अवॉर्ड जैसे
सम्मानों से भी नवाजा गया।
1986 में 5 सितंबर को इस फ्रलाइट को चार आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था।
नीरजा सभी मुसाफिरों की जान बचाते-बचाते शहीद हो गई थी।
गौर हो कि 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़,
पंजाब
में जन्मी नीरजा को मृत्युपरान्त कई वीरता अवॉर्ड दिए गए। इनमें भारत की ओर से
उन्हें अशोक चक्र अवॉर्ड दिया गया। इतनी कम उम्र में पहले कभी किसी को यह पुरस्कार
नहीं मिला। नीरजा को पाकिस्तान की तरफ से भी तमगा-ए-इंसानियत दिया गया था।
नीरजा भनोट से जुड़ी कुछ अहम बातें
- नीरजा का जन्म 7 सितम्बर 1964 को चंडीगढ़ में हुआ था।
- उनके पिता का नाम हरीश भनोट और माँ का नाम रमा भनोट था।
- नीरजा को बचपन से ही प्लेेन में बैठने और आकाश में उड़ने की इच्छा थी।
- एयरहोस्टेबस बनने से पहले नीरजा ने बिनाका टूथपेस्ट, विको टरमरिक क्रीम, वैपरेक्स और गोदरेज बेस्ट डिटरजेंट के विज्ञापन में भी नजर आ चुकीं थीं।
- वर्ष 1985 में नीरजा की शादी हो गई थी लेकिन दहेज के दबाव के कारण उनके रिश्तोंक में खटास आ गई और वे शादी के दो महीने बाद ही मुबंई लौट आई थी।
- 1986 में नीरजा की इच्छा पूरी हुई और उन्हों ने एयर लाइन्स पैन एम ज्वाइन की।
- नीरजा ने बतौर एयरहोस्टेस पैन एम एयर लाइन्सर ज्वाइन की।
- 5 सितंबर 1986 का दिन उनके लिए इस दुनियां का आखिरी दिन था।
- इसी दिन को उनके बलिदान के लिए जाना जाता है। उन्होिंने अपनी जान की परवाह किये बिना आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उनकी यह बहादुरी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई।
- नीरजा के बलिदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें सर्वाेच्च नागरिक सम्मान अशोक चक्र प्रदान किया वहीं पाकिस्तान की सरकार ने भी नीरजा को तमगा-ए-इन्सानियत प्रदान किया।