एक गुमनाम हीरो जिसने हिंदुस्तान को दिया तिरंगा---

देश को भाईचारे और एकता के एकसूत्र में पिरोने वाले तीन रंग के कपड़े
को तो (जिसे आप तिंरगा कहते हैं) हर कोई जानता है, लेकिन देश को
तिरंगे जैसा बेमिसाल तोहफा देने वाले शख्स को शायद मुट्ठी भर लोग ही
जानते होंगे।
हर हिंदुस्तानी की आन-बान-शान का प्रतीक, हर देशवासी का
फख्रा, सरहद पर खड़े सैनिकों के मन में वतन की खातिर मरने-मिटने का जज्बा
देने वाला और देश को भाईचारे और एकता के एकसूत्र में पिरोने वाले तीन रंग के कपड़े
को तो (जिसे आप तिंरगा कहते हैं) हर कोई जानता है, लेकिन देश को
तिरंगे जैसा बेमिसाल तोहफा देने वाले शख्स को शायद मुट्ठी भर लोग ही
जानते होंगे। आज हम अपनी खबर में आपको उस गुमनाम हीरो के बारे में बताएंगे जिसने
तिरंगे को अंतिम रूप देने के लिए काफी सारे देशों के झंडों पर शोध तक कर डाला।
इन्होंने बनाया हर किसी को जोश से भर देने वाला तिरंगाः
जिस तिरंगे को हवा में फहराता देख आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं उसे
आंध्रप्रदेश के मछलीपट्नम पास के एक गांव में रहने वाले शख्स
पिंगाली वेंकैया ने तैयार किया था। उनका जन्म 2 अगस्त 1876 को
हुआ था। वो 19 साल की उम्र में ब्रिटिश आर्मी में नायक बन गए थे। दक्षिण अफ्रीका
में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान उनकी मुलाकात भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
से हुई। फिर वो हमेशा के लिए भारत लौट आए और स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने।
पिंगाली वैंकैया ने 45 साल की उम्र में भारत के राष्ट्र ध्वज तिरंगे का निर्माण किया था।
तिरंगे के लिए पिंगाली ने किया गहन अध्ययनः
हिंदुस्तान की अस्मिता का प्रतीक माने जाने वाले तिरंगे को बनाने से पहले पिंगाली ने 1916 से 1921 तक करीब 30 से ज्यादा देशों के राष्ट्रीय ध्वज को बारीकी से परखा और उस पर शोध किया। पिंगाली ने भारत की धर्मनिरपेक्षता को झंडे में समेटने की बखूबी कोशिश की। झंडे में उन्होंने तब हिंदुओं के प्रतिनिधित्व के लिए लाल रंग का इस्तेमाल किया, हरा रंग मुस्लिमों के लिए और सफेद रंग का चयन बाकी के धर्मों के लिए किया। वहीं देश की प्रगति को दर्शाने के लिए उन्होंने झंडे की सफेद पट्टी में चरखे को भी स्थान दिया।