MSME अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी है

2019-08-01 0


भारत की अर्थव्यवस्था में डैडम् सेक्टर किसी देश के आर्थिक विकास में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वह चाहे विकसित देश हो या विकासशील। इसमें भारत भी शामिल है। डैडम् भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में अहम योगदान देते हैं और औद्योगिक व सेवा क्षेत्रें में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं। कढ़ाई-बुनाई से लेकर दवाई तक खेत-खलिहान से लेकर खेल के मैदान तक, वस्त्र से लेकर शस्त्र तक अनेक क्षेत्रें में डैडम् ने अपनी अहम भूमिका निभाकर देश की प्रगति को गति देने का काम किया है। आइए जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में डैडम् सेक्टर कैसे रीढ़ की हड्डी है।

रोजगार का सृजन करे

किसी भी देश के लिए रोजगार एक जरूरी विषय होता है, जिसके बिना अर्थव्यवस्था की पटरी आगे नहीं बढ़ सकती है। भारत देश में रोजगार हमेशा से ही ज्वलंत विषय रहा है। डैडम् सेक्टर कई बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा करता है। यह कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा ऐसा सबसे बड़ा सेक्टर है, जो लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। इसी साल उद्योग मंडल सीआईआई ने एक सर्वेक्षण में दावा किया कि डैडम् क्षेत्र ने पिछले चार वर्षों में 13-5 मिलियन से 14-9 मिलियन नए रोजगार सृजित किए हैं। ऐसे में यदि देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देनी है, तो डैडम् सेक्टर को मजबूत करना बहुत ही जरूरी है।

निर्यात को दे बढ़ावा

किसी देश की तरक्की की गाथा तभी लिखी जा सकती है जब वहां की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़े। डैडम् सेक्टर न केवल रोजगार के क्षेत्र में, बल्कि निर्यात के क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका निभाकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। डैडम् कुल निर्यात का 45» अकेले योगदान देता है। विनिर्माण, निर्यात और रोजगार में डैडम् के योगदान को देखते हुए, अन्य क्षेत्र में भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। 

समावेशी विकास को करे प्रोत्साहित

आर्थिक असमानता दुनिया में बड़े पैमाने पर मौजूद है और भारत भी इसका बड़ा उदाहरण है। अमीरों और गरीबों के बीच खाई को कम करने के लिए  डैडम् सेक्टर का मजबूत होना बहुत जरूरी है। पिछले कई वर्षों से डैडम् मंत्रलय एजेंडे में समावेशी विकास शीर्ष पर है। इस दिशा मेें सरकार काम कर रही है और डैडम् सेक्टर की ग्रोथ के लिए कई योजनाएं भी लेकर आई है।

मेक इन इंडिया का सपना करे पूरा

किसी भी देश के नागरिक का सपना होता है कि उसके देश में बनी बस्तुएं पूरी दुनिया में परचम लहराएं। यह तभी संभव है जब डैडम् सेक्टर का विकास तेजी से हो। हालांकि यहां डैडम् सेक्टर को कई तरह की चुनौतियोें का सामना करना पड़ता है, जिसमें बुनियादी ढांचा और नवीनतम तकनीक की कमी शामिल है। आज भी भारत में ऐसी कई छोटी कंपनियां हैं, जिनके पास मूलभूत तकनीकी सुविधाएं नहीं हैं। एक बात तो सच है कि आधुनिक बिजनेस सूचना प्रौद्योगिकी की मदद के बिना संभव नहीं है, इसलिए यदि आप छोटा बिजनेस भी चला रहे हैं तो तकनीकी मदद लेनी बहुत जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए डेल कंपनी छोटे कारोबारियों की मदद कर रही है। बता दें कि डेल ने कंप्यूटर रिफ्रेश प्रोग्राम के तहत पुराने कंप्यूटर को नए कंप्यूटर में बदलने की व्यवस्था की है। यह व्यवस्था दूसरे तकनीकी प्रोडक्ट्स के लिए भी है अगर आप अपने तकनीकी प्रोडक्ट को अपग्रेड करवाते हैं तो आपको आकर्षक एक्सचेंज वैल्यू मिलेगा। इसके कई फायदे हैं जैसे,

1- इसके मूल्य पर दो गुना ज्यादा लाभ मिलेगा

2- अपग्रेड कराने पर कोई परेशानी नहीं होगी और डाटा सुरक्षित रहेगा

3- बेकार पड़े इलेक्ट्रॉनिक समान से निजात मिलेगा।

डैडम् की संरचना बहुत सरल

छोटा बिजनेस शुरू करने के लिए एक बड़ी पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है। सीमित संसाधनों से ही बिजनेस की शुरुआत की जा सकती है। एक बड़ी कंपनी को संगठनात्मक संरचना के कारण प्रत्येक विभागीय कामकाज के लिए एक विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है। वहीं दूसरी ओर छोटी कंपनी को प्रबंधन के लिए एक बाहरी विशेषज्ञ को नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें मालिक खुद ही प्रबंधन कर सकता है। इस तरह देखा जाए तो डैडम् की संरचना बहुत ही सरल है। इसे कम पूंजी से ही शुरू किया जा सकता है। 

किसी भी देश में डैडम् सेक्टर गाड़ी के इंजन की तरह होता है इसलिए आर्थिक विकास के लिए इस सेक्टर की ग्रोथ बहुत जरूरी है। तकनीकी स्तर पर जिस तरह से दुनिया आगे बढ़ रही है। ऐसे में डैडम् भी तकनीक की अनदेखी नहीं कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि छोटे व्यापारी अपने बिजनेस को तकनीक से जोड़ें और लागत व समय बचाकर देश के विकास में भागीदार बनें। 



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