अरबी की खेती के लिए अभी से तैयारी करें किसान

अरबी जिसे घुइयां के नाम से जाना जाता है, किसान अभी इसकी
बुवाई कर सकते हैं खरीफ में घुइयां की बुवाई जून से 15 जुलाई तक की
जाती है
नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या
द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र द्वितीय के अध्यक्ष वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो-
रवि प्रकाश मौर्य बताते हैं, ‘‘अरबी गर्मी और वर्षा दोनों में मौसम
में उगाई जाती है, अरबी के लिए पर्याप्त जीवांश और उचित जल निकास युक्त रेतीली दोमट
भूमि उपयुक्त रहती है। खेत की तैयारी के समय तीन कुंतल गोबर की सड़ी खाद प्रति
बिस्वा अर्थात 125 वर्ग मीटर के हिसाब से अरबी बुवाई के 15-20 दिन पहले खेत
में मिला देनी चाहिए।’’
वो आगे बताते हैं कि मिट्टी की जांच के बाद ही उर्वरकों का प्रयोग
करन चाहिए। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए यूरिया 1-00 किग्रा- सिंगल
सुपर फॉस्फेट 4-70 किग्रा- और म्यूरेट आफ पोटाश 2-00 किग्रा- की
मात्र बुवाई के पहले खेत में मिला देना चाहिए। आधा-आधा किग्रा- यूरिया बुवाई के 35-40
दिन और 70 दिनों बाद खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए।
खरीफ के लिए जून से 15 जुलाई तक बुवाई की जाती है। बुवाई के
लिए अंकुरित कंद 10-15 किग्रा- प्रति बिस्वा में जरूरत पड़ती है। बोने से पहले कंदों को
मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू- पी- 1 ग्राम/लीटर पानी के घोल में 10
मिनट डुबोकर उपचारित कर बुवाई करना चाहिए। समतल क्यारियों में कतारों की आपसी दूरी
45 सेमी- और पौधों की दूरी 30 सेमी- और कंदों की 05
सेमी की गहराई पर बुवाई करनी चाहिए। या 45 सेमी की दूरी पर मेड़ बनाकर दोनों
किनारों पर 3 सेमी- की दूरी पर कंदों की बुवाई करें। बुवाई के बाद कंद को मिट्टी
से अच्छी तरह ढक देना चाहिए।
उन्नत किस्में
अरबी की किस्मों में नरेन्द्र अरबी - 1, 2 पंचमुखी,
सफेद
गौरैया, सहस्रमुखी, सी-9, बापटला सलेक्शन
प्रमुख हैं। खरीफ में अरबी की फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। अच्छे
उत्पादन के लिए बारिश न होने पर 10-12 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार
सिंचाई करें।
खरपतवारों का करे प्रबंधन-खरपतवारों को नष्ट करने के लिए कम से कम दो
बार निराई-गुड़ाई करें और अच्छी पैदावार के लिए दो बार हल्की गुड़ाई करें। पहली
गुड़ाई के 40 दिन बाद व दूसरी 60 दिन के बाद करें। फसल में एक बार
मिट्टी चढ़ा दें। यदि तने अधिक मात्र में निकल रहे हों, तो एक या दो
मुख्य तनों को छोड़कर शेष की छंटाई कर देनी चाहिए।
पौध संरक्षण
झुलसा रोग से पत्तियों में काले-काले धब्बे हो जाते हैं। बाद में
पत्तियां गलकर गिरने लगती हैं। इसका उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी रोकथाम के
लिए 15-20 दिन के अंतराल पर मैकोजेब, 2-5 ग्राम/लीटर
पानी के घोल का छिड़काव करते रहें। साथ ही फसल चक्र अपनाएं।
सूंडी व मक्खी कीट
अरबी की पत्तियों को खाने वाले कीड़ों सूंडी व मक्खी कीड़ों द्वारा
हानि होती है क्योंकि यह कीड़े नई पत्तियोें को खा जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए
ट्रायजोफास 40 प्रतिशत ई-सी- 2 मि-ली-/लीटर पानी में घोल बनाकर
छिड़काव करें।
खुदाई और उपज
अरबी की खुदाई कंदों के आकार, प्रजाति,
जलवायु
और भूमि की उर्वरा शक्ति पर निर्भर करती है। साधारणतः बुवाई के 130-140
दिन बाद पत्तियां सूख जाती है तब खुदाई करनी चाहिए। उपज उन्नत तकनीक का खेती में
समावेश करने पर 3-4 कुंतल/बिस्वा तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
भण्डारण
अरबी के कंदों को हवादार कमरों में फैलाकर रखें। जहां गर्मी न हो। इसे कुछ दिनों के अंतराल में पलटते रहना चाहिए। सड़े हुए कंदों को निकालते रहें और बाजार मूल्य अच्छा मिलने पर शीघ्र बिक्री कर दें।