सउदी अरब से भारत में सबसे बड़ा निवेश

14 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुजफ्फ़राबाद में असेंबली को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर पर दुनिया के सवा अरब मुसलमान एकजुट हैं लेकिन दुर्भाग्य से शासक चुप है।
कश्मीर पर इमरान खान मुस्लिम देशों से लामबंद होने की अपील लगातार कर रहे हैं लेकिन इसी बीच मुकेश अंबानी ने घोषणा कर दी कि सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको अब तक का सबसे बड़ा निवेश भारत में करने जा रही है।
यह सऊदी की सरकारी कंपनी है और इस पर नियंत्रण किंग सलमान का है। यह
घोषणा इमरान खान की चाहत के बिल्कुल उलट रही।
एक वक्त था जब तेल को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। 1973
में सऊदी ने इसराइल को समर्थन करने वाले देशों में तेल की आपूर्ति बंद कर दी थी।
इसे लेकर अमरीका काफी नाराज भी हुआ था। इसके बाद से सऊदी ने तेल का इस तरह से
इस्तेमाल कभी नहीं किया।
इमरान खान अक्सर मुस्लिम वर्ल्ड का जिक्र करते हैं लेकिन सऊदी अरब
में भारत के राजदूत रहे तलमीज अहमद कहते हैं कि मुस्लिम वर्ल्ड हकीकत में कुछ है
ही नहीं।
वो कहते हैं, ‘‘जब हम मुस्लिम वर्ल्ड कहते हैं तो ऐसा
लगता है कि कोई एकीकृत और एकजुट दुनिया है जिसमें सारे मुस्लिम देश हैं, जो
कि है नहीं क्योंकि दुनिया की राजनीति मुनाफे के आधार पर आगे बढ़ रही न कि मजहबी
समानता के आधार पर।’’
इसी साल 19 फरवरी को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान जब पहली बार
आधिकारिक दौरे पर भारत आए तो प्रधानमंत्री मोदी एयरपोर्ट पर स्वागत में खड़े थे।
प्लेन की सीढ़ी से उतरते ही पीएम मोदी ने क्राउन प्रिंस को गले लगा लिया।
फाइनैंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार क्राउन प्रिंस सलमान से इसी
दो दिवसीय दौरे में मुकेश अंबानी की मुलाकात हुई थी और अंबानी की फ्लाइट मुंबई
में देर हुई तो सलमान ने इंतजार भी किया।
इसी मुलाकात में सऊदी की तेल कंपनी अरामको और मुकेश अंबानी की कंपनी
आरआईएल ऑइल-टु-केमिकल के बीच डील की बुनियाद रखी गई।
अब तक का सबसे बड़ा एफडीआई
संयुक्त राष्ट्र की ट्रेड रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल भारत में
कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई 42 अरब डॉलर आए। 2017
में यह रकम 40 अरब डॉलर थी।
12 अगस्त 2019 को एशिया के सबसे अमीर शख्स और
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपने शेयर होल्डर्स के साथ वार्षिक
बैठक में घोषणा करते हुए बताया कि सऊदी की तेल कंपनी अरामको आरआईएल ऑइल-टु-केमिकल
का 20 फीसदी शेयर खरीदेगी। इसे भारत में इतिहास का सबसे बड़ा निवेश बताया
जा रहा है।
आरआईएल ऑइल-टु-केमिकल 75 अरब डॉलर की कंपनी है और इसका 20
फीसदी शेयर अरामको खरीदने जा रही है। यानी अरामको 15 अरब डॉलर का
निवेश करेगी।
2018 में कुल 42 अरब डॉलर का निवेश और 2019
में एक ही कंपनी से 15 अरब डॉलर का निवेश आया है। इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा
रहा है। इससे पहले एस्सार की तेल और गैस कंपनी में रूस की रॉसनेफ्रट कंपनी ने 12
अरब डॉलर का निवेश किया था।
सऊदी ने इतना बड़ा निवेश क्यों किया
मुकेश अंबानी की रिलायंस और अरामको की डील को दुनिया के सबसे बड़े तेल
उत्पादक देश सऊदी अरब और सबसे बड़े ऊर्जा उपभोत्तफ़ा में से एक भारत के बीच काफी
अहम माना जा रहा है।
अरामको दुनिया की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी है। पिछले साल
अरामको को 111-1 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ था। यह किसी भी एक कंपनी की सबसे बड़ी कमाई
है। इससे पहले यह उपलब्धि एप्पल आईफोन के नाम थी। 2018 में एप्पल की
कमाई 59-5 अरब डॉलर ही थी।
इसके साथ ही अन्य तेल कंपनियां रॉयल डच शेल और एक्सोन मोबिल भी इस
रेस में बहुत पीछे हैं। दूसरी तरफ मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं
और भारत में उनका कारोबार कई क्षेत्रें में फैला हुआ है। इसलिए भी दोनों के गठजोड़
को काफी अहम माना जा रहा है।
आखिर सऊदी ने भारत में इतना बड़ा निवेश क्यों किया? यह
निवेश किसके हक में ज्यादा है? इन सवालों के जवाब में तेल इंडस्ट्री
की अर्थव्यवस्था पर करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता
कहते हैं कि सऊदी या खाड़ी के देशों के लिए एशिया ही बाजार है। वो कहते हैं कि
पश्चिम में तेल का बाजार सिमट रहा है। ऐसे में भारत में इतना बड़ा निवेश चौंकाता
नहीं है लेकिन यह भारत के भी हक में है।
वो कहते हैं, ‘‘जामनगर में मुकेश अंबानी की दुनिया की
सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से
ज्यादा तेल आयात करता है। इसका बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया और गल्फ से आ रहा है। सऊदी
और अमरीका के संबंध भी अच्छे हैं इसलिए यह एक लंबी अवधि का रिश्ता बनने जा रहा है।
हम केवल तेल आयात ही नहीं कर रहे बल्कि रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी से तेल विदेशों
में निर्यात भी होता है।’’
वहीं तलमीज अहमद कहते हैं, ‘‘हम सालों से कोशिश कर रहे थे कि किसी
हिन्दुस्तानी कंपनी और जहां से हम तेल खरीदते हैं, वहां की किसी
कंपनी से करीब का रिश्ता होना चाहिए। अब तक हमारा रिश्ता खरीदार और विक्रेता का
रहा है लेकिन हमारी चाहत थी कि यहां की कंपनियां भारत के तेल या दूसरे सेक्टर में
निवेश करे। हम ये भी चाहते थे कि हमारी कंपनियों को खाड़ी के देशों के तेल
प्रोजेक्ट में शामिल किया जाए।’’
तलमीज अहमद कहते हैं, ‘‘अरामको के साथ कारोबार साझेदारी की
घोषणा हमारी योजना के मुताबिक’’ है। रिलायंस सऊदी से बहुत तेल खरीदती है और इसके
जामनगर रिफाइरी में आधा से ज्यादा तेल सऊदी अरब से ही आता है। इस करार के बाद
दोनों कंपनियों में भरोसा और बढ़ेगा। हमें पूरी तरह से इसका वेलकम करना चाहिए।’’
एक बात यह भी कही जा रही है तेल के वैश्विक अर्थशास्त्र में बुनियादी
परिवर्तन आया है। तेल के मामले में अमरीका ने खुद को आत्मनिर्भर बना लिया है।
पिछले साल दिसंबर के दूसरे हफ्रते में अमरीका तेल का निर्यातक देश बन गया था। ऐसा
पिछले 75 सालों में पहली बार हुआ है क्योंकि अमरीका अब तक तेल के लिए विदेशों
से आयात पर ही निर्भर रहता था।
अमरीका में तेल उत्पादन नाटकीय रूप से बढ़ा है। टेक्सस के पेरमिअन
इलाके में, न्यू मेक्सिको, उत्तरी डकोटा के बैकन और पेन्सोवेनिया
के मर्सेलस में तेल के हजारों कुंओं से तेल निकाले जा रहे हैं। पिछले 50
सालों से ओपेक दुनिया भर में तेल की राजनीति का केंद्र रहा है लेकिन रूस और अमरीका
में तेल के बढ़ते उत्पादनों से ओपेक की बादशाहत को चुनौती मिलना तय था। इसी वजह से
तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक कमजोर भी हुआ है।
अमरीका के स्वतंत्र ऊर्जा शोध संस्थान रिस्ताद एनर्जी की 2016 एक
रिपोर्ट में बताया गया था कि अमरीका के पास 264 अरब बैरल तेल
भंडार है। इसमें मौजूदा तेल भंडार, नए प्रोजेक्ट, हाल में खोजे गए
तेल भंडार और जिन तेल कुओं को खोजा जाना बाकी है, वे सब शामिल
हैं।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस और सऊदी से ज्यादा अमरीका के पास
तेल भंडार है। रिस्ताद एनर्जी के अनुमान के मुताबिक रूस में तेल 256
अरब बैरल, सऊदी में 212 अरब बैरल, कनाडा में 167
अरब बैरल, ईरान में 143 और ब्राजील में 120
अरब बैरल तेल है।
तलमीज अहमद का भी कहना है कि पश्चिम के देशों में तेल का बाजार सिकुड़
रहा है यानी आयात कम हो रहा है। ऐसे में सऊदी का पूरा ध्यान एशिया पर है। एशिया
में चीन, भारत और जापान सबसे ज्यादा तेल आयात करते हैं।
वो कहते हैं, ‘‘अमरीका तेल के मामले में आत्मनिर्भर बन
चुका है। जो थोड़ी जरूरत भी पड़ती है तो कनाडा और मैक्सिको से खरीद लेता है। दूसरी
तरफ यूरोप में तेल का आयात लगातार कम हो रहा है। ऐसा इसलिए है कि वो तेल का
इस्तेमाल कम कर रहे हैं। यहां लोग अक्षय ऊर्जा की ओर शिफ्रट हो रहे हैं। ऐसे में
पश्चिम एशिया के तेल निर्यातक देशों के लिए एशिया से बड़ा बजार कोई नहीं है और
एशिया में भारत जैसा उभरता बड़ा बाजार कोई नहीं है। पश्चिम एशिया के कुल कच्चे तेल
का 62 फीसदी हिस्सा एशिया में आता है। चीन के बाद भारत इनके लिए सबसे बड़ा
तेल बाजार है।’’
तेल कारोबार के अध्येता और बीजेपी नेता नरेंद्र तनेजा का कहना है कि
इस करार से किसी को एकतरफा फायदा नहीं है। वो कहते हैं कि दोनों के लिए यह लाभकारी
करार है। नरेंद्र तनेजा कहते हैं, ‘‘रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी को अरामको
लंबे समय तक कच्चा तेल देगी और यह डील का हिस्सा है।’’
तनेजा कहते हैं, ‘‘तेल इंडस्ट्री कोई उगता हुआ सूरज नहीं
है। ये डूबता हुआ सूरज है। आने वाले 20 सालों में इस इंडस्ट्री की वो अहमियत
नहीं होगी जो आज है। अब वैकल्पिक एनर्जी यानी सौर और पवन ऊर्जा का दायरा बढ़ रहा
है। आने वाले वक्त में आण्विक ऊर्जा का योगदान भी बढ़ेगा। किसी भी हालत में अगर एक
रिफानइरी को सऊदी तेल की आपूर्ति करता रहेगा तो यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए
अच्छी बात है।’’
मुकेश अंबानी का कहना है कि अरामको से निवेश आने के बाद रिलायंस कर्ज
मुत्तफ़ कंपनी होने की तरफ बढ़ेगी। रिलायंस अरामको से हर दिन पाँच लाख बैरल तेल खरीदेगी, जो कि वर्तमान खरीदारी से दोगुनी होगी।
लंबे समय तक भारत सबसे ज्यादा तेल आयात इराक से करता रहा है। सऊदी
हमेशा से नंबर दो पर रहा है लेकिन रिलायंस और अरामको के बीच इस करार के बाद क्या
भारत के तेल बाजार में सऊदी और रिलायंस का एकाधिकार हो जाएगा?
इस सवाल के जवाब में ठाकुरता कहते हैं, ‘‘यह इस पर निर्भर
करता है कि दोनों के बीच हुआ समझौता कितने वक्त के लिए है। क्या-क्या शर्ते हैं।
संभव है कि ये शर्तें कभी सार्वजनिक ही नहीं हों। एक बात तो स्पष्ट है कि सऊदी अरब
आने वाले वक्त में भारत के लिए सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश रहेगा। जाहिर है कि यह
ईरान और इराक के लिए सुखद नहीं है। हमें इस नजरिए से भी इस करार को देखना होगा कि
सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
बीच संबंध काफी बेहतर हैं। दोनों देशों के रिश्तों में आई करीबी का भी यह परिचायक
है।’’
सऊदी अरामको के शेयर को स्टॉक मार्केट में लाने पर विचार कर रहा है।
पांच फीसदी शेयर निवेशकों को देने की बात कही जा रही है। अगर अरामको शेयर बाजार
में लिस्टिंग के नियमों का पालन करती है तो उसे तेल भंडार के बारे में जानकारी को
साझा करना होगा।
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि आरामको के शेयर बाजार में आने के बाद
भी ज्यादा पारदर्शिता की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सऊदी में तेल का भंडार कितना
है और कब तक चलेगा, यह अब भी रहस्य बना हुआ है।
अरामको और रिलायंस में करार पर तनेजा कहते हैं, ‘‘एक
फायदा यह भी है कि अगर सऊदी भारत में इतनी बड़ी रकम लगाता है तो वो किसी अहम मसले
पर हमारे खिलाफ नहीं जाएगा। वो चाहे कश्मीर का मामला हो या कोई अन्य मामला। सऊदी
भारत में 50 अरब डॉलर निवेश करने वाला है। बात मित्रता से आगे की है। कूटनीति और
ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से ये बहुत अच्छा है। भारत में रिलायंस के जो पेट्रोल पंप
हैं और उनमें भी अरामको हिस्सेदारी ले रही है। यानी आने वाले वक्त में भारत में
अरामको के पेट्रोल पंप भी दिखेंगे।’’
भारत कच्चे तेल का आयातक देश है लेकिन रिफाइन किए तेल यानी पेट्रोल
और डीजल का निर्यातक देश भी है।
तनेजा कहते हैं, ‘‘हम 106 देशों में
पेट्रोल और डीजल का निर्यात करते हैं। रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी से ही 103
देशों में पेट्रोल और डीजल का निर्यात होता है। पेट्रोल, डीजल और टर्बाइन
फ्रयूल का भारत बड़ा निर्यातक देश है। यहां से जर्मनी, जापान, यूरोप
और अफ्रीका तक पेट्रोल, डीजल और टर्बाइन फ्रयूल बेचे जाते हैं। ऐसा इसलिए भी है कि विकसित
देश अपने यहां रिफाइनरी प्रदूषण की वजह से लगाना नहीं चाह रहे।’’
तनेजा कहते हैं कि अरामको लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत एशिया में रुख कर
रही है न कि उसे भारत से कोई विशेष लगाव हो गया है। वो कहते हैं, ‘‘ये
भविष्य की योजनाओं की बुनियाद है। तेल का भविष्य भारत में ही है। आने वाले 20
सालों में खुद खाड़ी के देशों को सोचना होगा कि वो अपना तेल कहां बेचें।’’
फाइनैंशियल टाइम्स से रिलायंस के कार्यकारी निदेशक पीएमएस प्रसाद ने
कहा है, ‘‘हमारी घरेलू मौजूदगी बहुत मजबूत है और हमारे पार्टनर्स इसका फायदा
उठा सकते हैं। यहां उन्हें सब कुछ जोखिम से मुत्तफ़ मिल रहा है। सऊदी अरामको डील
से कर्ज कम करना एक पहलू है। सच तो यह है कि यह एक रणनीतिक करार है न कि कर्ज
चुकाने के लिए।’’
कर्ज के कारण ही मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी जेल जाते-जाते
बचे और बचाया मुकेश अंबानी ने ही। अरामको से डील कारोबार की दुनिया में मुकेश
अंबानी की दूरर्शिता से जोड़कर देखा जा रहा है।