सल्फ़र की कमी दूर करने और मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ाने के लिए खेतों में लगाएं हरी खाद

2019-09-01 0

हरीखाद को एक शुद्ध फसल के रूप में खेत की उपजाऊ शक्ति, भूमि के पोषक और जैविक पदार्थाे की पूर्ति करने के उदेश्य से की जाती है। हरी खाद से भूमि का संरक्षण होता है और खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। आजकल भूमि में लगातार फसल चक्र से उस खेत में उपस्थित फसल की पैदावार और बढ़वार के लिए आवश्यक तत्व नष्ट होते जाते हैं। इनकी आपूर्ति और पैदावार को बनाए रऽने के लिए हरी खाद एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

देशभर में रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग होने से मिट्टी में सल्फर और जिंक सल्फेट की कमी हो जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए ढैंचा यानी हरी खाद मददगार है। खेती माहिरों का मानना है कि मिट्टी में सल्फर, जिंक सल्फेट की कमी को पूरा करने के लिए किसान ढैंचा बोकर हरी खाद बनाएं, तिल की खेती करने वाले किसान भी हरी खाद बनाएं। इससे कार्बन जीवांश की मात्र बढ़ेगी।

गेहूं के बाद धान की रोपाई से पहले खेतों में ढैंचा की बुआई कर सकते हैं। जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए खाली खेतों में ढैंचा सहित तिलहनी फसलें फायदेमंद है। हरी खाद से मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ाने और जैविक पदार्थों की पूर्ति में मदद मिलती है।

इसलिए अच्छी होती है सेहत

ढैंचा और सन की जड़ों में बैक्टीरिया होते हैं। वह वातावरण से नाइट्रोजन को खींचकर जमीन में फिक्स करती हैं। इन फसलों के पौधों को मिट्टी में कुतरने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

जीवाणु बढ़ाता है मिट्टी की उर्वरता

सन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार सन की बुआई से अगली फसल के लिए हरी खाद मिलती है। इनकी जड़ों में राइजोबियम जीवाणु होता है जो नाइट्रोजन की मात्र बढ़ाता है।

ऐसे लगा सकते हैं ढैंचा

यह एक यह एक दलहनी फसल है। यह सभी प्रकार के जलवायु और मिट्टी में विकसित हो जाती है। यह फसल एक सप्ताह में 60 सेमी तक जल भराव को भी सहन कर लेती है। ऐसे में ढैंचा के तने से जड़ निकलकर मिट्टी में पकड़ मजबूत बना लेती है। जो उसे तेज हवा चलने पर भी गिरने नहीं देती।

अंकुरित होने के बाद यह सूखे को सहन करने की क्षमता रखती है। ये क्षारीय और लवणीय मृदाओं में भी अच्छी तरह से तैयार हो जाती है। ऊसर में ढैंचा से 45 दिन में 20-25 टन हरी खाद और 85-100 किलो तक नाइट्रोजन मिल जाता है। धान और सोयाबीन की बुआई पहले ढैंचा को पलटने से खरपतवार भी नष्ट हो जाते हैं। 



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