भारतीय फ़ंड का विदेश में पलायन संभव

2019-09-01 0


भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने इस साल के बजट में आयकर की ऊंची दरें रखे जाने पर सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि इस वजह से फंड का विदेश में पलायन हो सकता है। जालान ने ऊंची आयकर दरों पर अपनी चिंता जताते हुए कहा, ‘सिद्धांत रूप में कर दरें बहुत अधिक होने पर लोग ऐसे देशों की ओर देखने लगते हैं जहां ब्याज दरें कम हैं और उन्हें आयकर से छूट भी मिलती हो।’ आरबीआई के रिजर्व कोष से सरकार को अधिक हिस्सा हस्तांतरित किए जाने के बारे में सुझाव देने के लिए गठित पैनल के प्रमुख जालान ने एक साक्षात्कार में यह आशंका जताई है।

दरअसल वर्ष 2019-20 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक करोड़ रुपये से अधिक आय वाले लोगों पर कर को बढ़ाकर न्यूनतम 42.7 फीसदी कर दिया है। इनमें ट्रस्ट के तौर पर पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भी शामिल हैं। विश्लेषकों के मुताबिक इस घोषणा की ही वजह से विदेशी निवेशक जुलाई में भारतीय इक्विटी बाजार से 30 अरब रुपये से अधिक फंड निकाल चुके हैं। इसका नतीजा बीएसई सूचकांक में चार फीसदी की गिरावट के तौर पर सामने आया है। 10 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले भारतीय नागरिकों को 30 फीसदी कर देने के अलावा उस राशि पर चार फीसदी अतिरिक्त  कर भी देना पड़ता है। बजट में घोषणा की थी कि 50 लाख रुपये से अधिक सालाना आय वाले लोगों को 10 फीसदी, 1 करोड़ रुपये से अधिक कमाई वालों को 15 फीसदी अतिरिक्त अधिभार देना होगा।

जालान ने कहा, ‘निश्चित रूप से घरेलू रूप से उधार लेने या निवेश करने का प्रोत्साहन उच्च करों से प्रभावित होता है। इसलिए निवेशक पैसा विदेश भेज सकते हैं लेकिन उम्मीद है कि इससे राउंड ट्रिपिंग की नौबत नहीं आएगी।’ सीतारमण ने चार अरब रुपये से कम सालाना बिक्री वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दी है लेकिन इसके बावजूद भारत उन 10 देशों में शामिल है जहां कॉरपोरेट कर सर्वाधिक है। कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि निजी निवेश में सुस्ती के पीछे बड़ी वजह यह है कि देश में कॉरपोरेट कर बहुत ज्यादा है। 

विदेशों में सॉवरिन बॉन्ड जारी करने की सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना के बारे में जालान ने कहा कि इसमें ज्यादा जोखिम नहीं होगा बशर्ते सरकार 15 साल या उससे अधिक परिपक्वता अवधि के साथ प्रतिभूतियों की बिक्री करे। 1997 से लेकर 2003 तक आरबीआई के गवर्नर रहे जालान ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि विदेशी सॉवरिन बॉन्ड हमें ज्यादा कमजोर बनाते हैं। हमारा स्वर्ण भंडार मजबूत है, चालू खेते का घाटा कम है और महंगाई भी नियंत्रण में है। इसलिए यह लंबी अवधि की उधारी होनी चाहिए।’



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