शानदार करियर के लिए 12वीं साइंस के बाद उपयोगी हैं ये कोर्स
साइंस की पढ़ाई 10वीं या 12वीं क्लास तक
करने के बाद इंजीनियर या डॉक्टर का ही नहीं, साइंटिस्ट बनने
का भी विकल्प मौजूद रहता है। यदि आप भी रिसर्च एंड डेवलपमेंट में रुचि रखते हैं,
तो
इन ऑप्शंस पर गौर कर साइंस में अच्छा करियर बना सकते हैं।
साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद अक्सर स्टूडेंट्स
डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी स्टूडेंट्स हैं जो डॉक्टर,
इंजीनियर
तो बनना नहीं चाहते लेकिन उन्हें इसके
अलावा दूसरा कोई ऑप्शन भी समझ में नहीं आता है और करियर को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं। असल में साइंस एक
बहुत बड़ी स्ट्रीम हैं जिसमें एक या दो नहीं बल्कि ढेरों विकल्पं मौजूद हैं। हम
यहां पर आपको कुछ ऐसे ही ऑप्शंस के बारे में बता रहे हैं जो आपको अपने करियर में
एक अलग मुकाम हासिल करने में मदद करेंगेः
नैनो-टेक्नोलॉजीः
ग्लोबल इनफॉर्मेशन इंक की रिसर्च के मुताबिक, नैनो टेक्नोलॉजी
इंडस्ट्री के 3-3 से ज्यादा ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। नैस्कॉम के
मुताबिक 2015 तक इसका कारोबार 180 अरब डॉलर से बढ़कर 890
अरब डॉलर के करीब हो गया। ऐसे में इस फील्ड में 10 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। 12वीं के बाद नैनो टेक्नोलॉजी में बीएससी
या बीटेक और उसके बाद इसी सब्जेक्ट में
एमएससी या एमटेक करके इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है।
स्पेस साइंसः
यह बहुत ब्रॉड फील्ड है। इसके तहत कॉस्मोलॉजी, स्टेलर साइंस,
प्लैनेटरी
साइंस, एस्ट्रोनॉमी जैसे कई फील्ड्स आते हैं। इसमें तीन साल की बीएससी और
चार साल के बीटेक से लेकर पीएचडी तक के कोर्सेज खास तौर पर इसरो और बेंगलुरु स्थित IISL में कराए जाते हैं।
एस्ट्रो-फिजिक्सः
अगर आप सितारों और गैलेक्सी में दिलचस्पी रखते हैं तो 12वीं
के बाद एस्ट्रो-फिजिक्स में रोमांचक करियर बना सकते हैं। इसके लिए आप चाहें तो
पांच साल के रिसर्च ओरिएंटेड प्रोग्राम (एमएस इन फिजिकल साइंस) और चार या तीन साल
के बैचलर्स प्रोग्राम (बीएससी इन फिजिक्स) में एडमिशन ले सकते हैं। एस्ट्रोफिजिक्स
में डॉक्टरेट करने के बाद स्टूडेंट्स इसरो जैसे रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन में साइंटिस्ट
बन सकते हैं।
एनवायर्नमेंटल साइंसः
इस स्ट्रीम में पर्यावरण पर इंसानी गतिविधियों से होने वाले असर का
अध्ययन किया जाता है। इसके तहत इकोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, वाइल्ड
लाइफ मैनेजमेंट, पॉल्यूशन कंट्रोल जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। इन सभी सब्जेक्ट्स में
एनजीओ और यूएनओ के प्रोजेक्ट्स बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में जॉब की अच्छी
संभावनाएं हैं।
वॉटर साइंसः
यह जल की सतह से जुड़ा विज्ञान है। इसमें हाइड्रोमिटियोरोलॉजी, हाइड्रोजियोलॉजी, ड्रेनेज बेसिन मैनेजमेंट, वॉटर क्वॉलिटी मैनेजमेंट, हाइड्रोइंफॉर्मेटिक्स जैसे विषयों की पढ़ाई करनी होती है। हिमस्लखन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए इस फील्ड में रिसर्चर्स की डिमांड बढ़ रही है।
माइक्रो-बायोलॉजीः
माइक्रो-बायोलॉजी की फील्ड में एंट्री के लिए बीएससी इन लाइफ साइंस
या बीएससी इन माइक्रो-बायोलॉजी कोर्स कर सकते हैं। इसके बाद मास्टर डिग्री और
पीएचडी भी का ऑप्शीन भी है। इसके अलावा पैरामेडिकल, मरीन बायोलॉजी,
बिहेवियरल
साइंस, फिशरीज साइंस जैसे कई फील्ड्स हैं, जिनमें साइंस में
रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स अच्छा करियर बना सकते हैं।
डेयरी साइंसः
डेयरी प्रोडक्शन के क्षेत्र में भारत अहम देश है। भारत डेयरी
प्रोडक्शन में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। डेयरी टेक्नोलॉजी या डेयरी साइंस
के तहत मिल्क प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग,
स्टोरेज
और डिस्ट्रिब्यूशन की जानकारी दी जाती है। भारत में दूध की खपत को देखते हुए इस
क्षेत्र में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की डिमांड बढने लगी है। साइंस सब्जेक्ट से 12वीं
करने के बाद स्टूडेंट ऑल इंडिया बेसिस पर एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद चार
वर्षीय स्नातक डेयरी टेक्नोलॉजी के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। कुछ
Institute डेयरी टेक्नोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी ऑफर करते हैं।
रोबोटिक साइंसः
रोबोटिक साइंस का क्षेत्र काफी तेजी से पॉपुलर हो रहा है। इसका
इस्तेमाल इन दिनों तकरीबन सभी क्षेत्रों में होने लगा है। जैसे- हार्ट सर्जरी,
कार
असेम्बलिंग, लैंडमाइंस। अगर आप इस फील्ड में आना चाहते हैं तो इस क्षेत्र से जुड़े
कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्स भी कर सकते हैं। जैसे ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स,
एडवांस्ड
रोबोटिक्स सिस्टम। कम्प्यूटर साइंस से स्नातक कर चुके स्टूडेंट्स इस कोर्स के लिए योग्य माने जाते हैं। रोबोटिक में एमई की डिग्री हासिल कर चुके स्टूडेंट्स को इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थाीन में रिसर्च वर्क की नौकरी मिल सकती है।