फ्री हेल्थ चेकअप में भी जुड़ी होती हैं शर्तें

- कुछ पॉलिसी में दी जाने वाली राशि काफी कम होती है या देरी से मिलती है
- सबसे ज्यादा ध्यान स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा मुहैया कराए जाने वाले बुनियादी कवर पर देना चाहिए, जबकि मुफ्रत स्वास्थ्य जांच जैसे अतिरित्तफ़ लाभों को गौण मानना चाहिए
इन दिनों बहुत सी बीमा कंपनियां मुफ्रत स्वास्थ्य जांच को अपनी पॉलिसी की खूबी के रूप में पेश कर रही हैं। नियमित जांच से बीमारी का जल्दी पता लगाने में मदद मिल सकती है। ये जांच विशेष रूप भारत जैसे देश में ज्यादा उपयाेगी होती हैं, जहां लोग अपना पैसा खर्च कर नियमित स्वास्थ्य जांच नहीं कराते हैं। हालांकि आपको मुफ्रत स्वास्थ्य जांच की खूबी वाली कोई पॉलिसी खरीदने से पहले इसके ब्योरे का ठीक से पता लगाना चाहिए। स्वास्थ्य खर्च तेजी से बढ़ रहा है और उतनी ही तेजी से जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। किसी भी बीमारी का देरी से इलाज कराने पर लागत काफी बढ़ जाती है। अगर किसी बीमारी का शुरुआत में जांच से पता चल जाए तो खर्च काफी कम आता है।
रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ अनुज गुलाटी कहते हैं,
‘जीवनशैली
से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, इसलिए साल में कम से कम एक बार
स्वास्थ्य जांच जरूर करानी चाहिए।’ पॉलिसीएक्स डॉट कॉम के सीईओ नवल गोयल कहते हैं,
‘ऐसी
जांच से आप स्वास्थ्य की हालत के बारे में ज्यादा जागरूक हो जाते हैं।’ वे कहते
हैं, ‘वे आपको यह समझने में मदद करते हैं कि उम्र बढने के साथ आपकी
स्वास्थ्य जरूरतें कैसे बदल रही हैं और इनकी मदद से आप सही समय पर अपनी वर्तमान
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में बदलाव कर सकते हैं।’ उदाहरण के लिए आप उम्र बढ़ने के साथ
अपनी बीमित राशि बढ़ा सकते हैं।
भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के मुताबिक इस समय
देश में महज 3-49 फीसदी लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा है। उद्योग के एक विशेषज्ञ ने
कहा कि 10 फीसदी से भी कम पॉलिसी धारकों को अपनी बीमा कंपनियों से मुफ्रत
स्वास्थ्य जांच का लाभ मिलता है। आमतौर पर किसी क्लीनिक या अस्पताल से पूरे शरीर
की जांच की लागत 1,600 रुपये से 3,000 रुपये तक आती है। पॉलिसी धारकों को
साल में एक बार या नवीनीकरण के समय अपनी बीमा कंपनियों से इस लाभ के बारे में
पूछताछ करनी चाहिए।
जितनी राशि की मुफ्रत जांच की पेशकश की जाती है, वह
व्यत्तिफ़गत और फैमिली फ्रलॉटर पॉलिसी में अलग-अलग होती है। इस लिहाज से बीमा
कंपनियों के बीच भी फर्क होता है। आमतौर पर यह लाभ पॉलिसी लेने के एक निश्चित समय
के बाद ही मिलता है। उदाहरण के लिए एचडीएफसी एर्गाे जनरल इंश्योरेंस यह लाभ पॉलिसी
लेने के चार साल बाद मुहैया कराती है। दूसरी ओर रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी
लेने के साथ ही यह लाभ मुहैया कराना शुरू कर देती है। कई बार जितनी राशि की मुफ्रत जांच मुहैया कराई
जाती हैं, वह परिवार के सभी बीमित लोगों के लिए नाकाफी होती है। तीन लाख रुपये
की बीमित राशि वाली स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की एक फैमिली फ्रलोटर पॉलिसी परिवार के
सभी सदस्यों के लिए महज 750 रुपये मुहैया कराती है। एक अन्य
दिक्कत यह है कि मुफ्रत स्वास्थ्य जांच के लिए बीमा कंपनी जो राशि मुहैया कराती है,
वह
आपकी शुरुआती बीमित राशि पर निर्भर करती है। अगर नो क्लेम बोनस के कारण बीमित राशि
बढ़ती है तो मुफ्रत स्वास्थ्य जांच की राशि में उसी अनुपात में बढ़ोत्तरी नहीं होती
है।
कुछ पॉलिसी में यह लाभ हर साल नहीं मुहैया कराया जाता है बल्कि हर दो
साल में दिया जाता है। उदाहरण के लिए अपोलो म्यूनिक बीमित राशि के एक फीसदी तक
मुफ्रत स्वास्थ्य जांच मुहैया कराती है, जिसकी अधिकतम सीमा प्रत्येक व्यत्तिफ़
के लिए 5,000 रुपये है। यह लाभ हर दो साल में मिलता है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं
कि पॉलिसी की इस खूबी से स्वास्थ्य जांच मुफ्रत मिलती है, लेकिन केवल इसके
आधार पर ही कोई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी न लें। पॉलिसी लेते समय पहले की बीमारियों
को शामिल न करने, दावा प्रक्रिया, इंतजार अवधि, अस्पताल नेटवर्क,
अस्पताल
में भर्ती होने से पहले और बाद का कवर और आजीवन नवीनीकरण जैसी चीजों पर ज्यादा
ध्यान देना चाहिए।
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के प्रमुख (उत्पाद एवं नवप्रवर्तन) वैद्यनाथन रमानी ने कहा, ‘यह युवा परिवारों और नियमित जांच की जरूरत वाले उम्रदराज लोगों के लिए आवश्यक खूबी हो सकती है। अन्य के लिए यह बिना पैसे खर्च किए जांच के लिए प्रोत्साहित करने का जरिया है।’ रमानी ने कहा कि सबसे ज्यादा ध्यान स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा मुहैया कराए जाने वाले बुनियादी कवर पर देना चाहिए, जबकि मुफ्रत स्वास्थ्य जांच जैसे अतिरित्तफ़ लाभों को गौण मानना चाहिए।