नहीं रहे खय्याम

पद्म भूषण, ‘हृदयनाथ मंगेशकर अवार्ड’, राष्ट्रीय पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी अवार्ड और फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार खय्याम का कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया।
खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहुर ‘खय्याम’ हाशमी है। उनका जन्म अविभाजित पंजाब के नवांशहर जिले के राहोन में हुआ था। आजादी के बाद वह भारत आ गए। जबकि उनका पूरा परिवार, बहन वगैरह पाकिस्तान में ही रहे। उन्हाेंने 17 साल की उम्र में लुधियाना से संगीत की दुनिया में कदम रखा था। मजेदार बात यह है कि खय्याम साहब संगीतकार की बजाय अभिनेता बनना चाहते थे। वह लाहौर फिल्मों में अभिनेता बनने के लिए ही गए थे, मगर लाहौर में बाबा चिश्ती से संगीत की शिक्षा ग्रहण की थी। 1943 में वह लुधियाना आ गए थे। बाद में उन्होंने पंडित अमरनाथ से भी संगीत सीखा। बीस साल की उम्र में यानी कि 1947 में उन्होंने फिल्म ‘रोमियो एंड जूूलिएट’ मे गीत गाया। फिर 1948 में ‘हीर रांझा’ में संगीतकार शर्माजी वर्माजी जोड़ी के शर्मा जी बनकर संगीत दिया। 1950 में फिल्म ‘बीवी’ और 1951 में फिल्म ‘प्यार की बातें’ में अपने नाम से संगीत दिया। मगर 1953 में फिल्म ‘फुटपाथ’ में संगीतकार के रूप में उन्हाेंने अपना नाम खय्याम कर लिया था।
बतौर संगीतकार खय्याम को 1958 में पहचान मिली
राज कपूर और माला सिन्हा अभिनीत फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ से। इस फिल्म का गीत ‘वह
सुबह कभी तो आएगी’ आज भी लोगों की जुबां पर है। उसके बाद से वह लगातार संगीत जगत
में हावी रहे। उन्होने ‘शोला और शबनम’, ‘आखिरी खत’, ‘प्यासा दिल’,
‘कभी
कभी’, ‘त्रिषूल’, खानदान’, ‘नूरी’, ‘थोड़ी
सी बेवफाई’, ‘बाजार’, ‘आहिस्ता आहिस्ता’, ‘रजिया सुल्तान’, ‘बेपनाह’
सहित पचास से अधिक चर्चित और शानदार फिल्मों में सगीत दिया।
1981 में प्रदर्शित बॉलीवुड फिल्म ‘उमराव जान’ ने बाक्स ऑफिस पर धमाल
मचाने के साथ खय्याम को संगीतकार के रूप में एक नया मुकाम दिलाया। इस फिल्म के गाने
आज भी इंडस्ट्री और संगीत प्रेमियों के दिलों में जगह बनाए हुए हैं। इस फिल्म के
लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ ही फिल्मफेयर पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
गैर फिल्मी गीत भी लोकप्रियः
संगीतकार खय्याम के सिर्फ फिल्मी ही नहीं गैर
फिल्मी गीत भी काफी लोकप्रिय हैं। जिनमें ‘पांव पड़ूं तोर’, ‘बृज में लौट चलो’ और ‘गजब किया तेरे वादे पर एतबार किया’ का
समावेश है। उन्होंने 1971 में मीना कुमारी की कविताओं के अलबम
को भी संगीत से संवारा था, जिन्हें खुद मीना कुमारी ने गाया था।
राजेश खन्ना ने उपहार में दी कार
1967 में राजेश खन्ना ने फिल्म ‘आखिरी खत’ से बॉलीवुड में कदम रखा था। इस
फिल्म को संगीत से खय्याम ने संवारा था। फिल्म के संगीत को काफी सराहा गया। उसके बाद आठ
साल तक खय्याम साहब ने फिल्मी दुनिया से संन्यास ले लिया था। जब उन्होंने वापसी
की तो राजेश खन्ना की फिल्म ‘मजनून’ को खय्याम ने संगीत से संवारा था, जिससे खुश होकर राजेश खन्ना ने खय्याम साहब को कार उपहार में दी थी। मगर यह फिल्म आज तक प्रदर्शित नहीं हो पायी।
बेटे के लिए बने फिल्म निर्माताः
खय्याम साहब ने अपने इकलौटे बेटे स्व- प्रदीप खय्याम को बतौर
अभिनेता बॉलीवुड में लांच करने के लिए 1990 में ‘जाने वफा’ नामक फिल्म का निर्माण
किया था और इसे संगीत से भी संवारा था। इस फिल्म में स्व- प्रदीप खय्याम के अलावा रति अग्निहोत्री, फारूख शेख, शफी इनामदार,
प्रदीप
कुमार इफ्रतकार ने भी अभिनय किया था। मगर इस फिल्म ने बॉक्स आफिस पर पानी नहीं
मांगा और प्रदीप खय्याम का अभिनय कैरियर डूब गया। उसके बाद प्रदीप ने दो-तीन फिल्मों में
बतौर सहायक संगीतकार खय्याम साहब के साथ काम किया था।
बेटे की मौत से टूट गए थेः
2012 अचानक अपने इकलौटे बेटे प्रदीप खय्यामकी मौत से खय्याम साहब टूट गए थे। फिर भी 2014 में उन्होंने प्रेमचंद की कहानी पर
बनी फिल्म ‘बाजार ए हुश्न’ और 2016 में ‘गुलाम बंधू’ को संगीत से संवारा।
नब्बे साल की उम्र में अपनी चल और अचल संपत्ति का बनाया ट्रस्ट अपने 89
साल पूरे होने परखय्याम साहब व उनकी पत्नी ने अपनी सारी चल व अचल संपत्ति का खय्यामकेपीजे ट्रस्ट’ नामक ट्रस्ट बना दिया था। इस ट्रस्ट में अनूप जलोटा, तलत
अजीज व राज शर्मा ट्रस्टी हैं।
‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने इंम्पलाइज’ को दिया डेड़ लाख का चेक खय्याम और उनकी पत्नी जगजीत कौर ने 2016 में ट्रस्ट
बनाने के बाद से फिल्म इंडस्ट्री के जरूरतमंदों के लिए डेड़ लाख का चेक अपने खय्याम केपीजे चौरिटेबल ट्रस्ट’ की तरफ से ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्पलाइज’ को
हर साल देते आ रहे थे। 2018 में डेड़ लाख का चेक देते हुए खय्याम साहब ने कहा था- ‘हमें फिल्म इंडस्ट्री ने इतना कुछ दिया है कि अब हम लोगों ने
सोचा अब फिल्म इंडस्ट्री को वापस किया जाए। इसीलिए यह कदम उठाया है। हम लोग चाहते
हैं कि अन्य लोग आगे आएं और फिल्म इंडस्ट्री की भलाई के लिए कुछ करें। हम रहें या
ना रहें, लेकिन हमारा ट्रस्ट चलता रहेगा। यह ट्रस्ट लोगों की मदद करता रहेगा।
हमारे निधन के बाद हमारी पूरी चल-अचल संपत्ति को बेचकर नगद राशि के
रूप में बदलकर ट्रस्ट के नाम पर बैंक में फिक्स डिपॉजिट किया जाएगा। इससे जो फायदा
होगा उसमें से 5 लाख रुपए प्रधानमंत्री कोष में, पांच लाख रुपए
मुख्यमंत्री कोष में और इंडस्ट्री के जरूरतमंद लोगों को एक लाख रुपए की जीवन में
एक बार मदद करेगा।’’
खय्याम की चंद लोकप्रिय फिल्मेंः
‘आखिरी रात’ के गीतकार कैफी आजमी थे। इसके गीत ‘बहारों मेरा जीवन भी
संवारो ‘को लता मंगेशकर ने गाया था। जबकि भूपेन्द्र सिंह ने बतौर पार्श्व गायक
करियर की शुरूआत की थी। खय्याम ने अमिताभ बच्चन की फिल्म
‘कभी-कभी’ को संगीत दिया था। इस फिल्म को सर्वश्रेठ गीतकार, सर्वश्रेठ
संगीतकार, सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक के तीन फिल्मफेयर अवार्ड्स मिले।
रेखा के करियर की सफलतम व यादगार फिल्म ‘उमराव जान’ के संगीतकार खय्याम थे। मजेदार बात यह है कि पहले इस फिल्म के संगीतकार कोई और थे पर खय्याम को मौका मिला। इस फिल्म ने खय्याम को सर्वश्रेठ संगीतकार का
राष्ट्रीय और फिल्मफेयर पुरकार दिला दिया।
‘फिर सुबह होगी’ के लिए गीतकार साहिर लुधियानवी ने खय्याम का नाम सुझाया था। इस फिल्म के गाने ‘चीन ओ अरब हमारा’ और डुएट ‘वो शाम कभी तो
आएगी’ काफी लोकप्रिय हुए। फिल्म ‘बाजार’ के कई गाने लोकप्रिय हुए। लेकिन जिस गाने
को लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया वह था ‘करोगे याद तो हर बात’ था। यह गाना
नसीरुद्दीन शाह और स्मिता पाटिल पर फिल्माया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहां
खय्याम के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर श्रद्धांजलि
देते हुए दुःख व्यत्तफ़ किया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- ‘‘सुप्रसिद्ध संगीतकार खय्याम साहब के निधन से अत्यंत दुःख हुआ है। उन्होंने अपनी यादगार धुनों से अनगिनत गीतों
को अमर बना दिया। उनके अप्रतिम योगदान के लिए फिल्म और कला जगत हमेशा उनका ऋणी
रहेगा। दुःख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके चाहने वालों के साथ हैं।
लता मंगेशकर ने कहा
प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर ने भी महान संगीतकार के निधन पर शोक व्यत्तफ़ किया। उन्होंने ट्वीट किया- ‘महान संगीतकार और बहुत ही नेक दिल इंसान खय्याम साहब आज हमारे बीच नहीं रहे। यह सुनकर मुझे इतना दुःख हुआ है जो मैं बयां नहीं कर सकती। खय्याम साहब के साथ संगीत के एक युग का अंत हुआ है। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।