संपर्क टूटा पर संकल्प नहींः लैंडर से संपर्क साधाने की कोशिश जारी

जिस बहुप्रतीक्षित मिशन को लेकर आधी रात तक पूरा देश आंखे लगाए बैठा
था उसका अधूरा रह जाना हर देशवासी के लिए दुखद जरूर है लेकिन यह मिशन पूरी तरह से
असफल नहीं हुआ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख के- सिवन ने शनिवार
को कहा कि चंद्रयान-2 से लैंडर ‘विक्रम’ का संपर्क टूटना ना तो विफलता है और ना ही झटका
है। उन्होंने कहा कि लैंडर से संपर्क साधने की कोशिशें जारी हैं और हम इसके प्रति
आशावान हैं।
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-2 के
लैंडर विक्रम का इसरो मुख्यालय से संपर्क उस वक्त टूट गया, जब
वह चांद की सतह से केवल 2-1 किलोमीटर की दूरी पर था। इसरो के
अध्यक्ष के- सिवन ने लैंडर से संपर्क टूटने की घोषणा करते हुए कहा कि विक्रम लैंडर
योजना अनुरूप उतर रहा था और गंतव्य से 2-1 किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन
सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। डेटा का
विश्लेषण किया जा रहा है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की रात 1
बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी, लेकिन इसका समय बदलकर 1
बजकर 53 मिनट कर दिया गया था। हालांकि, यह समय बीत जाने
के बाद भी लैंडर विक्रम की स्थिति पता नहीं चल सकी। पांच प्रतिशत ही हुआ नुकसान
978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ
समाप्त नहीं हुआ है। मिशन का सिर्फ पांच प्रतिशत -लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर
को नुकसान हुआ है, जबकि बाकी 95 प्रतिशत चंद्रयान-2
ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।
जब रो पड़े इसरो प्रमुख तो प्रधानमंत्री ने गले लगाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने के बाद
भावुक दिखे इसरो प्रमुख के सिवन को काफी देर तक आत्मीयता से गले लगाया। मोदी ने
इसरो केंद्र में दिए अपने संबोधन को पूरा किया तो सिवन उन्हें छोड़ने के लिए साथ
आए। जब प्रधानमंत्री अपनी कार में बैठने जा रहे थे तो उन्होंने सिवन को आत्मीयता
से गले लगाते हुए उन्हें दिलासा दिया। सिवन उस वत्तफ़ रो पड़े। सिवन इस
महत्वाकांक्षी मिशन के योजना के अनुसार न जाने की अपनी निराशा को छिपा नहीं सके।
वहीं विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइट पर इस भावुक पल का वीडियो सबसे ज्यादा साझा किया
गया।
भारत ही नहीं दुनिया के कई देश अंतरिक्ष मिशन से चूके
चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2-1 किमी दूर था और
हम अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचने के करीब थे, लेकिन ऐसा करने
से हम चूक गए। हालांकि, इससे घबराने की जरूरत नहीं। विज्ञान प्रयोगशाला है। इसमें प्रयोग
जारी रहते हैं। भारत से पहले अमेरिका, रूस, जापान और इजरायल
जैसे देश भी कई बार अपने कई अंतरिक्ष मिशनों में असफल साबित हुए। नेशनल एरोनोटिक्स
एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने कई सफलता के झंडे गाड़े, लेकिन कोलंबिया
स्पेस शटल 1 फरवरी 2003 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस मिशन
में भारतीय मूल की कल्पना चावला का निधन हुआ था। इसी तरह से रूस (उस समय सोवियत
संघ) के लूना चार दिन बाद और अपोलो 11 से 72 घंटे पहले यह
यान चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हो गया, लेकिन सतह पर पहुंचने की कोशिश में यह
नष्ट हो गया। इसी साल यानी अप्रैल 2019 में इजरायल ने भी अपना स्पेसक्राफ्रट
बेरेशीट चांद पर भेजा था। जो लैंड करते वत्तफ़ क्रैश हो गया। यह दुनिया का पहला
निजी चंद्र अभियान था। जापान की स्पेस एजेंसी जैक्सा ने साल 2016
में हिटोमी सैटेलाइट को ब्लैक होल्स के एक्सरे पाने के लिए मिशन पर भेजा था,
लेकिन
यह मिशन भी असफल रहा।
आशा, निराशा और उम्मीद के पल
लैंडिंग का निर्धारित समय बीत जाने के बाद शनिवार तड़के विक्रम की
स्थिति पता नहीं चल सकी। जिसके बाद इसरो के सेंटर में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा
गया। इसरो प्रमुख के सिवन कुछ देर के लिए शांत बैठे दिखे। ऐसी ही कुछ तस्वीरें
वैज्ञानिकों और दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों व छात्रें की भी देखी गईं। देर रात
कंट्रोल सेंटर में छाई निराशा सुबह होते-होते छंटने लगी। वैज्ञानिक देशवासियों का
साथ पाते ही नए उत्साह से लबरेज हो गए।
- 01:38 बजे लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई।
- 01:44 बजे लैंडर विक्रम ने रफ ब्रेकिंग के चरण को पार कर लिया था, इसके
बाद वैज्ञानिकों ने रफ्रतार धीमी करनी शुरू की।
- 01:49 बजे विक्रम लैंडर ने सफलतापूर्वक अपनी गति कम कर ली थी और वह चांद
की सतह के बेहद करीब पहुंच चुका था।
- 01:53 बजे विक्रम लैंडर चांद पर उतरने के अंतिम चरण में पहुंच चुका था लेकिन उसके बाद उसका संपर्क इसरो से टूट गया।