आर्थिक सुस्ती खरीदारी और निवेश करने का बेहतरीन समय

इन दिनों हर सेक्टर में मंदी का दौर चल रहा है, आर्थिक
सुस्ती को लेकर हर कोई चिंता कर रहा है। अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की कोशिश
निश्चित रूप से होनी चाहिए। आर्थिक सुस्ती या मंदी से कंपनियों, उत्पादकों
या सेवा प्रदाताओं का लाभ घटता है या फिर उन्हें नुकसान होता है, पर
उपभोत्तफ़ाओं को फायदा ही फायदा है क्योंकि ऐसे समय में आप उन चीजों को सस्ते भाव
पर खरीद सकते हैं, जिन्हें पहले खरीदने की आप हसरत रखते थे और आपके पास उसके लिए समुचित
पैसा नहीं था।
फ्रलैट व जमीन
रियल्टी सेक्टर में सुस्ती से फ्रलैट व जमीन के भाव काफी गिर जाते
हैं। ऐसे वक्त में आप घर या जमीन खरीदने का सपना साकार कर सकते हैं।
कार
कार बाजार में सुस्ती के कारण कंपनियां छूट और आकर्षक ऑफर दे रही
हैं। माना जा रहा है कि इस कारोबारी साल के अंत तक कारों पर भारी छूट मिल सकती है।
इस बेहतरीन अवसर का लाभ उठाइए।
एफएमसीजी
हाल में कई कंपनियों ने साबुनों के भाव घटा दिए हैं। कुछ कंपनियों ने
बिस्कुट की भी कीमत घटा दी है।
स्टील
फिच ने इस साल स्टील के भाव कम रहने का अनुमान दिया है क्योंकि स्टील
उद्योग में सुस्ती का माहौल है। ऐसे में आप घर बनाने या स्टील से जुड़े अन्य काम कर
लेने के अवसर का लाभ उठा सकते हैं।
शेयर
शेयर बाजार में जब सुस्ती आती है, तो अठन्नी के
शेयर चवन्नी के रह जाते हैं। ऐसे समय में ढेर सारे अच्छे शेयर खरीद कर लंबे समय के
लिए रख सकते हैं। जब बाजार में तेजी आएगी, तो ये शेयर फिर से महंगे हो जाएंगे। आप
इन्हें ऊंचे भाव पर बेचकर मालामाल हो सकते हैं।
क्या होती है आर्थिक सुस्ती
आर्थिक सुस्ती उस माहौल को कहते हैं, जब आपूर्ति के
मुकाबले मांग कम हो जाती है। यानी बाजार में बिकने के लिए सामान तो होते हैं,
पर खरीदने वाले नहीं होते हैं या बहुत कम होते हैं। इसी की औपचारिक अवस्था है मंदी।
ब्रिटेन में लगातार दो तिमाही जीडीपी में गिरावट को मंदी कहा जाता है। मांग घटने
के कारण ऐसे वक्त में उत्पादों की कीमत काफी घट जाती है। कंपनियों को छूट,
ऑफर
और गिफ्रट देकर सामान बेचने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में कंपनियों का लाभ घट जाता है।
या फिर उन्हें घाटा होता है। इससे सरकार की टैक्स आय भी घट जाती है। इसलिए मंदी और
सुस्ती को लेकर कंपनियां और सरकार काफी संवेदनशील होती हैं।
किन क्षेत्रें में है आर्थिक सुस्ती
कार, ट्रक, हल्के कॉमर्शियल वाहन, एल्यूमीनियम उत्पाद, वित्तीय निवेश, बिजली के उपकरण, रिल्टी, एफएमसीजी, साबुन, रिटेल, बिस्कुट, उर्वरक, धातु, स्टील और रिफायनरी जैसे कई सेक्टर इन दिनों सुस्ती की गिरफ्रत में हैं। गत 10 महीने से कारों की बिक्री में गिरावट दर्ज की जा रही है। जुलाई में कारों की बिक्री में 19 साल की सबसे बड़ी गिरावट रही। कोर सेक्टर यानी, प्रमुख आठ इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की विकास दर भारी गिरावट के साथ जुलाई में 2-1 फीसदी पर आ गई है। अगस्त के पीएमआई सर्वेक्षण नतीजे के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की उत्पादन विकास दर 15 महीने के निचले स्तर पर है।