भारत-रूस संबंधा रक्षा क्षेत्र से बढ़कर व्यापार क्षेत्र में पहुंचे

2019-10-01 0

अब तक सिर्फ सैन्य या असैन्य परमाणु सहयोग के चश्मे से देखे जाने वाले भारत-रूस संबंधों में भविष्य में व्यापार सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र बनने जा रहा है

दोनों देशों के बीच सहयोग के सैन्य और असैन्य परमाणु सौदे भी अब तक एकतरफा मार्ग रहे हैं जिसमें भारत खरीदार और रूस विक्रेता रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से अपने दो-दिवसीय दौरे पर कहा कि अब इसे बदलना है और खरीददार-विक्रेता के रिश्ते को बदलकर एक सहयोगी का रिश्ता बनाने पर जोर दिया। उन्होंने दोनों देशों के बीच रिश्तों को सैन्य और असैन्य परमाणु व्यापार से आगे बढ़ा और विस्तृत कर व्यवसाय और निवेश पर फोकस करने की बात कही।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी सहमति जताई कि दोनों पुराने सहयोगियों के बीच 11 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार बहुत कम है। इसलिए दोनों नेताओं ने अगले छह सालों में 30 अरब डॉलर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। गुरुवार को मोदी ने ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (ईईएफ) में मेजबान पुतिन की मौजूदगी में संबोधित करते हुए कहा कि वे दोनों सहमत हुए हैं कि दोनों देशों के बीच पिछले सात दशकों से करीबी रिश्तों को देखते हुए व्यापार का वर्तमान स्तर बहुत कम है। मोदी ने कहा, ‘(भारत-रूस संबंधों में) काफी संभावनाएं हैं। अब तक, पूरी क्षमता नहीं दिखाई गई है। गति बहुत धीमी है।’

उन्होंने ऊर्जा और खनिज क्षेत्रें में काफी संभावनाएं जताईं। उन्होंने कहा कि रूस इन क्षेत्रें में काफी समृद्ध है और भारत इन क्षेत्रें में निवेश कर सकता है। अपने रूस दौरे पर मोदी ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रें में लगभग 50 समझौते हुए हैं, जिनसे अरबों डॉलर के निवेश की उम्मीद है। उपस्थित जनसमूह से उन्होंने कहा, ‘मैं यहां सिर्फ भाषण देकर जाने के लिए नहीं हूं।’ उन्होंने कहा कि उनमें और पुतिन में एक खासियत है कि ‘हम दोनों कभी संतुष्ट नहीं होते।’

अक्टूबर 2018 में भारत दौरे पर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ इनवेस्ट इंडिया सम्मेलन में भी हिस्सा लिया था।

दोनों नेताओं ने बुधवार को अपनी बातचीत के दौरान सहयोग बढ़ाने का रोडमैप बनाया। सहयोग बढ़ाने के लिए अन्य क्षेत्रें में कृषि, फार्मा और इंफ्रास्ट्रक्चर हैं। उन्होंने भारतीय उद्योगपतियों के लिए वीजा नियमों को आसान बनाने और मुद्रा संबंधी मामलों को सरल बनाने पर भी चर्चा की। उल्लेखनीय रूप से मोदी ने भारतीय श्रमशत्तिफ़ को रूस भेजने का प्रस्ताव दिया और बताया कि कैसे खाड़ी देशों जैसे देशों की आय में वृद्धि हुई है। भारतीय प्रवासी दूसरे देशों से धन भेजकर भारत की आय भी बढ़ा रहे हैं।

भारत और रूस के फार ईस्ट के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बीच जल मार्ग शुरू करने का भी निर्णय लिया गया। भारत फार ईस्ट में विभिन्न क्षेत्रेंखासकर ऊर्जा तथा खनन में निवेश करेगा। रूसी राष्ट्रपति ने ऊर्जा क्षेत्र के बारे में बात की और कहा कि उनका देश विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है। उन्होंने फार ईस्ट और आर्कटिक क्षेत्रें में ऊर्जाखासकर तरलीकृत प्राकृति गैस (एलएनजी) के क्षेत्र में सहयोग की बड़ी संभावना का उल्लेख किया।

दोनों नेता पांच-वर्षीय रोडमैप पर ऊर्जा क्षेत्र में दोहरे निवेश को बढ़ाने पर सहमत हुए। भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने संवाददाताओं से कहा कि आर्थिक संबंधों को रफ्रतार देने के निर्णय से दोनों देशों के बीच संबंधों को नए आयाम मिलेंगे। मोदी और पुतिन ने भारत में पर्यटन के उद्देश्य से अंतर्देशीय जल-मार्ग में रूस की भागीदारी की संभावनाओं पर चर्चा की।

रूस के प्रति भारत की गंभीरता को समझाते हुए मोदी ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का उल्लेख किया, जो पिछले महीने चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत 150 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ रूस आए थे। मोदी ने कहा कि यह एक अद्वितीय कदम था। प्रतिनिधि मंडल ने 11 प्रांतों के 11 गवर्नरों से मुलाकात कर वाणिज्यिक अवसरों पर चर्चा की थी और भारत अब उन गवर्नरों की भारत यात्र की अपेक्षा कर रहा है। 



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