नए उपभोक्ता संरक्षण कानून से आपको क्या फ़ायदा होगा ?

2019-10-01 0


अब कहीं से भी उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकता है। उपभोक्ताओं के नजरिए से यह बड़ी राहत है।

प के लिए अच्छी खबर है। हाल में तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 को बदल दिया गया है। इसकी जगह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 ने ली है। नए कानून में उपभोक्ताओं  के हित में कई कदम उठाए गए हैं। पुराने नियमों की खामियां दूर की गई हैं।

नए कानून की कुछ खुबियों में सेंट्रल रेगुलेटर का गठन, भ्रामक विज्ञापनों पर भारी पेनाल्टी और ई-कॉमर्स फर्मों और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बेचने वाली कंपनियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश शामिल हैं। आइए, नए उपभोक्ता संरक्षण कानून की कुछ और खास बातों पर नजर डालते हैं।

कहीं से भी उपभोक्ता  दर्ज करा सकता है शिकायत

उपभोक्ताओं की शिकायतें निपटाने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता अदालतें (कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन) हैं। नए कानून में क्षेत्रधिकार को बढ़ाया गया है। ‘चूंकि राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालतों के मुकाबले जिला अदालतों तक पहुंच ज्यादा होती है। लिहाजा, अब जिला अदालतें 1 करोड़ रुपये तक के मामलों की सुनवाई कर सकेंगी।’

कानून में एक और बड़ा बदलाव हुआ है। अब कहीं से भी उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकता है। उपभोक्ताओं के नजरिए से यह बड़ी राहत है। पहले उपभोक्ता वहीं शिकायत दर्ज कर सकता था, जहां विक्रेता अपनी सेवाएं देता है। ई-कॉमर्स से बढ़ती खरीद को देखते हुए यह शानदार कदम है। कारण है कि इस मामले में विक्रेता किसी भी लोकेशन से अपनी सेवाएं देते हैं। इसके अलावा कानून में उपभोक्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी सुनवाई में शिरकत करने की इजाजत है। इससे उपभोक्ता का पैसा और समय दोनों बचेंगे।

नए कानून में क्या बदला है?

कंपनी की जवाबदेही तय की गई है

मैन्यूफैक्चरिंग में खामी या खराब सेवाओं से अगर उपभोक्ता को नुकसान होता है तो उसे बनाने वाली कंपनी को हर्जाना देना होगा। मसलन, मैन्यूफैक्चरिंग में ऽराबी के कारण प्रेसर कुकर के फटने पर उपभोक्ता को चोट पहुंचती है तो उस हादसे के लिए कंपनी को हर्जाना देना पड़ेगा। पहले कंज्यूमर को केवल कुकर की लागत मिलती थी। उपभोक्ताओं को इसके लिए भी सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। मामले के निपटारे में सालों साल लग जाते थे।

इस प्रावधान का सबसे ज्यादा असर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर होगा। कारण है कि इसके दायरे में सेवा प्रदाता भी आ जाएंगे। ‘प्रोडक्ट की जवाबदेही अब मैन्यूफैक्चरर के साथ सर्विस प्रोवाइडर और विक्रेताओं पर भी होगी। इसका मतलब है

कि ई-कॉमर्स साइट खुद को एग्रीगेटर बताकर पल्ला नहीं झाड़ सकती हैं।’

ई-कॉमर्स कंपनियों पर कसा है शिकंजा

ई-कॉमर्स कंपनियों पर डायरेक्ट सेलिंग पर लागू सभी कानून प्रभावी होंगे। दिशा-निर्देश कहते हैं कि अमेजन, फ्रिलपकार्ट, स्नैपडील जैसे प्लेटफॉर्म को विक्रेताओं के ब्योरे का खुलासा करना होगा। इनमें उनका पता, वेबसाइट, ई-मेल इत्यादि शामिल हैं।

ई-कॉमर्स फर्मों की ही जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि उनके प्लेटफॉर्म पर किसी तरह के नकली उत्पादों की बिक्री न हो। अगर ऐसा होता है तो कंपनी पर पेनाल्टी लगेगी। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर नकली उत्पादों की बिक्री के मामले बढ़े हैं।

अलग रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव

कानून में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) नाम का केंद्रीय रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव है। यह उपभोक्ता के अधिकारों, अनुचित व्यापार व्यवहार, भ्रामक विज्ञापन और नकली उत्पादों की बिक्री से जुड़े मसलों को

देखेगा।



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