हमारा जीवन साथी

- कमल हंसपाल
मनुष्य के जन्म के साथ ही कई रिश्ते उससे जुड़ जाते हैं। माता-पिता,
भाई-बहन,
बुआ,
मौसी
और अन्य कई ऐसे रिश्ते। इन सब रिश्तों के बावजूद हम जानते हैं कि हमारा असली जीवन
साथी कौन है?
गहरी सांस लेते हुए, आंखें बंद करके दो मिनट सोचिए। हमें
नहीं पता कि आपने क्या सोचा। लेकिन हमारे अनुसार हमारा सच्चा जीवन साथी हमारा शरीर
है। जी हां! हमारा शरीर ही हमारा सच्चा जीवन साथी है। हम, हमारा वजूद,
हमारा
अस्तित्व, हमारी जिन्दगी शरीर के ही साथ है। अगर शरीर ही नहीं तो क्या हम,
हमारा
वजूद, हमारा अस्तित्व है? जी नहीं, बिल्कुल नहीं।
जिन्दगी की भागदौड में शामिल होना जितना सहज, प्राकृतिक व सरल
प्रक्रिया है उसकी कशमकश में से निकलना उतना ही कठिन। जीवन में परेशानियों की
झुंझलाहट, जिम्मेदारियों का बोझ, दिन-रात की भागदौड़ में अक्सर हम इस
जीवन साथी को भूल जाते हैं कि इसकी तरफ भी हमें ध्यान देना चाहिए। हम अक्सर अपनी
सेहत से खिलवाड़ करते हैं जो सर्वथा अनुचित है।
अन्य रिश्तों के साथ-साथ इस शरीर को भी महत्व देना बहुत जरूरी है।
हमारा शरीर ताउम्र हमारा साथ देता है। हमारी मौत तक चुपचाप हमारे साथ चलता है।
हमारी आत्मा के इस पवित्र स्थान का यानी हमारे शरीर का ध्यान रखना
बहुत जरूरी है। जितना हम इसका ध्यान रखेंगे उतना ही हमारा शरीर हमें आगे लेकर
जाएगा।
जितना शरीर तुम्हारा साथ देता है उतना कोई भी नहीं। आज ही शरीर की
देखरेख के लिए निम्न बातों पर ध्यान दें -
प्राणायाम - फेफड़ों के लिए
ध्यान साधना - मस्तिष्क के लिए
योगासन - शरीर के लिए
चहलकदमी - अच्छे व स्वस्थ दिल के लिए
अच्छा भोजन - हमारी अंतड़ियों के लिए
अच्छी सोच - अच्छी आत्मा के लिए
अच्छे करम - एक सुन्दर समाज के लिए
ये सब तभी संभव है जब हम अपने शरीर का ध्यान रखेंगे। लिखित विचारों के तालमेल से, ये हमारा जीवन साथी हमारे अच्छे समाज की नींव रखने में सहायक हो सकेगा।