साइकॉलजी में खूब है स्कोप, जानें कोर्स के बारे में

2019-11-01 0

तेजी से हो रहे डिवेलपमेंट के बीच इंसान ने अपने लिए तमाम तरह की सुख-सुविधााएं जुटा ली हैं। लेकिन इसके साथ ही टेंशन, डिप्रेशन, फ़ैमिली टेंशन, कॉम्पिटिशन और क्राइम जैसी चीजें भी बढ़ रही हैं।

 

साइकॉलजी एक ऐसा साइंस है, जो इंसान और उसके बॉडी पार्ट्स पर स्टडी करता है। एक सर्वे के मुताबिक, आज 78-3 फीसदी लोग साइकॉलजी से जुड़ी प्रॉब्लम्स से घिरे हैं। इसी वजह से साइकॉलजी के फील्ड के स्पेशलिस्ट की डिमांड दिन-ब-दिन बढ़ रही है---

तेजी से हो रहे डिवेलपमेंट के बीच इंसान ने अपने लिए तमाम तरह की सुख-सुविधाएं जुटा ली हैं। लेकिन इसके साथ ही टेंशन, डिप्रेशन, फैमिली टेंशन, कॉम्पिटिशन और क्राइम जैसी चीजें भी बढ़ रही हैं। बेशक, डेली लाइफ में बढ़ रही टेंशन की वजह से ही आजकल साइकॉलजिस्ट की डिमांड लगातार बढ़ रही है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले तक लोग साइकॉलजिस्ट के पास तभी जाते थे, जब कोई सीरियस प्रॉब्लम हो जाती थी। लेकिन इन दिनों इनकी डिमांड इतनी बढ़ गई है कि यूनिवर्सिटीज, स्कूल और ऑफिसेज में साइकॉलजिस्ट को परमानेंट अपॉइमेंट किया जाने लगा है।

करियर काउंसिलर

आगे बढ़ने के कॉम्पिटीशन में लोग तेजी से जॉब बदल रहे हैं। आपको अपने मन मुताबिक सही जॉब दिलाने में हेल्प करते हैं करियर काउंसिलर। करियर काउंसिलर आपको आपकी पर्सनैलिटी, कपैसिटी और कोर्स के मुताबिक सही तरीके से गाइड करने का काम करता है। यही नहीं, करियर काउंसिलर की मदद से आप इंटरव्यू की तैयारी से लेकर रिटर्न पेपर तक में सही गाइडेंस पा सकते हैं।

क्रिमिनल व चाइल्ड क्रिमिनल

अपराधियों एवं बाल अपराधियों में किसी भी वजह से अपराध फैलने के बाद हीन भावना और उग्रता आदि दूर करने एवं इसी के साथ उनमें बढ़ रही क्रिमिनल थिंकिंग पर रोक लगाने के लिए भी साइकॉलजिकल प्रयास किए जाते हैं। इसके अलावा, क्रिमिनल काउंसिलर का काम बच्चों की एजुकेशन, ऐकडेमिक और सोशल प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना है। यही नहीं, स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ को समझकर उनको गाइड करने का काम भी काउंसिलर ही करता है। काउंलिसर कई तरह की प्रॉब्लम्स, मैरिज, फैमिली, इमोशनल, एजुकेशनल और दूसरे कई मामलों में मदद करता है। बहुत बड़ी तादाद में काउंसिलर हेल्थ और सोशल वेलफेयर भी काम करते हैं। ऐसे बच्चे, जिनको पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर होता है, उन्हें काउंसलिंग की जरूरत होती है।

हेल्थ की फील्ड में

आजकल लोगों में मेंटल प्रॉब्लम या बिहेवियर में बदलाव खूब देखने को मिलता है। इसलिए ऐसे ढेरों क्लिनिक खुलते जा रहे हैं, जो लोगों की इन प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर रहे हैं। क्लिनिक्स के अलावा, स्कूल और सरकारी एजेंसियों में भी हेल्थ काउंसिलर के तौर पर आपको जॉब मिल सकती है।

सर्वे, डिजाइन और रिसर्च

सर्वे, डिजाइन और रिसर्च में भी साइकॉलजिस्ट की डिमांड लगातार बढ़ रही है। भले ही इंडिया में इसके अभी कम स्कोप हैं, लेकिन विदेशों में इस तरह के जॉब ऑप्शन लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें करियर ऑप्शन भी काफी हैं।

क्राइम पर स्टडी

क्रिमिनल्स के बिहेवियर को समझने के लिए उनके बिहेवियर पर स्टडी की जाती है। यह क्राइम और उससे जुड़े तथ्यों की स्टडी करती है। इस फील्ड का एक्सपर्ट सुरक्षा सेवाओं जैसे क्षेत्रें में रोजगार पा सकता है। इसमें सरकारी सेवा में 15 हजार से 20 हजार रुपये तक कमाए जा सकता है और अन्य सुविधाएं व भत्ते अलग से हैं।

क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट

यूनिवर्सिटी के अलावा अस्पताल, मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राइवेट क्लिनिकों जैसे अन्य संगठनों में क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट की डिमांड हमेशा ही बनी रहती है।

अपसेट यूथ

यंगस्टर्स को जॉब नहीं मिलने की वजह से उनमें फ्रस्टेशन बढ़ रहा है। उनको इससे निजात दिलाने में साइकॉलजिस्ट बेहद मदद करता है। इसमें उनकी साइकॉलजी को समझकर उनकी क्षमताओं का विकास किया जाता है।

सैलरीः इस फील्ड में 20- 25 हजार रुपये से लेकर 50- 50 हजार रुपये महीना आप कमा सकते हैं। इसके अलावा, आपकी सैलरी उस कंपनी पर भी काफी हद तक डिपेंड करती है, जहां आप काम करते हैं। 



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