मौसम अनुकूल होने से रबी फ़सलों की बुआई पहले हो सकती है

2019-11-01 0

इस बार मानसून की अच्छी बारिश और खेतों की मिट्टी में पर्याप्त नमी के चलते रबी फसल मौसम में विभिन्न फसलों की बुआई पहले शुरु होने के आसार नजर आ रहे है। ऐसे में इस बार रबी फसलों की बुआई के रकबे में बढोत्तरी होने का अनुमान है। जिससे इस बार रबी फसल मौसम में उर्वरकों की मांग अधिक होने की उम्मीद है। जिसको लेकर उर्वरक उद्योग की तरफ से अगले रबी फसल मौसम की खेतों की जरुरतों को देखते हुए खाद की आपूर्ति बढ़ाने की तैयारी कर ली गई है।

दरअसल अगले रबी फसल अभियान को लेकर पिछले सप्ताह नई दिल्ली में राज्यों के कृषि मंत्रियों व सचिवों की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें अगले रबी फसल मौसम की तैयारियों को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा हुई। जिसमें सभी राज्यों से रबी फसलों की खेती के बारे में उनकी जरुरतें मांगी गई थी। हालांकि रबी फसल मौसम की तैयारी बैठक में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद की मांग 51-6 लाख टन रहने का अनुमान है। जबकि डीएपी की यह मांग पिछले वर्ष इसी मौसम में 46 लाख टन रही थी। वहीं उर्वरक कंपनियों ने मांग में बढोत्तरी को देखते हुए ही 50 लाख टन से अधिक एनपीके मिश्रित खाद का स्टॉक कर रखा है जो कि पिछले वर्ष के रबी फसल मौसम की मांग की तुलना में लगभग 17 प्रतिशत अधिक है। ऐसे में इस बार किसी भी तरह से किसानों को उर्वरक की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी। चूंकि इस बार मानसून मौसम में जुलाई से लेकर लगातार सितम्बर के अंत तक हो रही बारिश के चलते उर्वरक कंपनियों ने खाद का पर्याप्त स्टॉक कर लिया है। ऐसे में सरकारी आंकलन की तुलना में मांग अधिक रहने की संभावना है। इस वर्ष खेती को लेकर सभी तरह के उर्वरक में दो से तीन प्रतिशत की वृद्वि होने की उम्मीद है। बहरहाल चालू खरीफ मौसम में पिछले वर्ष के इसी मौसम की तुलना में खाद की मांग में अनपेक्षित कमी दर्ज की गई है। वहीं अगले रबी फसल मौसम की तैयारी बैठक में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने खरीफ मौसम के तहत कई राज्यों से यूरिया की कीम का उल्लेख करते हुए राज्यों को रबी फसल मौसम की तैयारी को पुख्ता बनाने की हिदायत दी गई। उन्होंने कहा कि रबी फसल मौसम शुरु होने से पहले ही खाद व बीजों की आपूर्ति राज्यों के निर्धारित केद्रों तक पहुंचा दी जाए। जिससे कि रबी फसलों की बुआई समय से पहले आपूर्ति सुनिश्चित कर देश ही आपूर्ति में किसी तरह की बाधा से बचने का सबसे अच्छा तरीका साबित होगा।

देश के कई भू भाग में पहले सूखा और फिर लगातार बारिश और बाढ की विभीषिका के चलते चालू खरीफ फसल मौसम 2019-20 की फसलों की पैदावार को विशेष रुप से प्रभावित किया है। जिसको लेकर केद्रीय कृषि मंत्रलय की तरफ से जारी खाद्यान्न उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान में खरीफ उत्पादन में कमी का अनुमान है। जिसके तहत खरीफ की सबसे बड़ी फसल धान की पैदावार में ही 18 लाख टन की कमी का अनुमान व्यत्तफ़ किया गया है।

दरअसल चालू खरीफ फसल मौसम 2019-20 के तहत सितम्बर के मध्य तक कुल चार प्रतिशत अधिक हो गई जो कि देश के कई हिस्सों में जारी रही है। हालांकि इस बार मानसून मौसम जुलाई में सक्रिय हुआ जिससे खरीफ फसलों की बुआई कई क्षेत्रें में प्रभावित हुई। बहरहाल मानसून की बारिश शुरु हुई तो कई राज्यों में बाढ की स्थिति पैदा हो गई। जिससे खेतों में खड़ी फसलें प्रभावित हुई है। जिससे खाद्यान्न जिंसों के प्रथम अग्रिम अनुमान में कमी दर्ज की गई है।

जिसके तहत खाद्यान्न जिंसों की कुल पैदावार 14-05 करोड़ टन होगी जो कि पिछले वर्ष 2018-19 की उपज 14-17 करोड़ टन की तुलना में मामूली रुप से कम होगी। वहीं खरीफ मौसम की बड़ी फसल धान की पैदावार में 18 लाख टन की गिरावट आने का अनुमान है। जिसके तहत इस बार 10-03 करोड़ टन धान का उत्पादन होगा। जबकि पिछले वर्ष की कुल धान पैदावार 10-21 करोड़ रही थी। मोटे अनाज की पैदावार 3-2 करोड़ टन होने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हेगी। हालांकि घरेलू मांग को पूरा करने को लेकर दलहनों की फसलों पर अधिक जोर दिया गया है। बहरहाल प्रथम अग्रिम अनुमान में दलहनों में गिरावट की उपज में गिरावट दर्ज की गई है। खरीफ दलहन फसल का उत्पादन 82-3 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि पिछले वर्ष के खरीफ फसल मौसम में दलहन की उपज का लक्ष्य 1-01 करोड़ रखा गया है। इसकी तुलना में तिलहन फसलों की पैदावार 2-24 करोड़ टन होने का अनुमान है। जबकि पिछले वर्ष तिलहन फसल का उत्पादन 2-21 करोड़ टन हुआ था। बहरहाल चालू खरीफ फसल मौसम को लेकर 2-58 करोड़ टन तिलहन की पैदावार का लक्ष्य निर्धारत किया गया है।  



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