नीम कोटेड यूरिया पर मिलावट का लेप

देश में यूरिया की खपत के मुकाबले नीम तेल का उत्पादन मुश्किल से 15 फ़ीसदी, फि़र कैसे हो रही है 100 फ़ीसदी नीम कोटिंग?
केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 5 वर्षों में खेती-किसानी के मामले में एक चीज पर काफी जोर दिया है। नीम कोटेड यूरिया!
प्रधानमंत्री के तमाम भाषणों और सरकारी दावों में नीम कोटेड यूरिया के फायदे गिनाए
गए।
दरअसल, यूरिया के लिए सरकार किसानों को सब्सिडी देती है। लेकिन किसानों का
तो बस नाम है। यह सब्सिडी असल में मिलती है फर्टीलाइजर कंपनियों को। हर साल करीब 65-70
हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टीलाइजर कंपनियों को दी जाती है। यह रकम देश के
कृषि बजट से भी बड़ी है तो घपले-घोटाले भी बड़े ही होंगे। सरकारी सब्सिडी से बने
यूरिया का गैर-कृषि कार्यों जैसे नकली दूध बनाने, कैमिकल बनाने
आदि में डायवर्ट होना और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में तस्करी आम बात हो गई।
देश पर यह दोहरी मार थी। एक तरफ, सब्सिडी का
यूरिया देश से बाहर जाने लगा। तो दूसरी तरफ, किसानों के लिए
यूरिया की किल्लत होने लगी। यूरिया की तस्करी और कालाबाजारी की यह समस्या काफी
पुरानी है। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार ने आते ही इसका तोड़ निकाल लिया। ये तोड़ था
नीम कोटेड यूरिया। हालांकि, नीम
कोटेड यूरिया की शुरुआत यूपीए सरकार के समय हो गई थी, लेकिन मोदी
सरकार ने यूरिया को 100 फीसदी नीम कोटेड करने का फैसला किया। जो बड़ा कदम था।
साल 2015 में सरकार ने देश में यूरिया के संपूर्ण उत्पादन को नीम लेपित करना
अनिवार्य कर दिया। आयात होने वाले यूरिया पर भी निंबोलियों के तेल यानी नीम तेल का
स्प्रे करना जरूरी था। नीम के इतने ज्यादा अच्छे दिन कभी नहीं आए थे। सरकार का
दावा था कि नीम कोटेड यूरिया से मिट्टीकी सेहत सुधरेगी और फसल की पैदावार
बढ़ेगी। क्योंकि नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है जिसके कारण फसलों
की जरूरत के हिसाब से नाइट्रोजन की खुराक मिलती रहती है। नीम कोटिंग से यूरिया के
औद्योगिक इस्तेमाल और कालाबाजारी पर अंकुश लगने का दावा भी किया गया।
सरकार का मानना है कि नीम कोटिंग के जरिए यूरिया की कालाबाजारी रुकने
से सालाना करीब 20,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। बेशक, आइडिया अच्छा
था। लागू भी 100 परसेंट हुआ। लेकिन एक नई समस्या खड़ी हो गई।
विज्ञान और पर्यावरण की जानी-मानी पत्रिका डाउन टू अर्थ ने
हिसाब-किताब लगाया है कि देश में यूरिया की जितनी खपत है उसे नीम कोटेड करने के
लिए जितना नीम तेल चाहिए उतना तो देश में उत्पादन ही नहीं है। जबकि सरकार का दावा
है कि आजकल 100 फीसदी यूरिया नीम कोटेड है।
अगर सरकार की बात सही मानें तो सवाल उठता है कि जब देश में यूरिया के
समूचे उत्पादन और आयातित यूरिया की कोटिंग के लिए पर्याप्त नीम तेल ही उपलब्ध नहीं
है तो फिर नीम कोटिंग हो कैसे रही है? अब या तो यूरिया की 100
फीसदी नीम कोटिंग का सरकारी दावा गलत है या फिर नीम कोटिंग के लिए मिलावटी नीम तेल
का इस्तेमाल हो रहा है।
सरकार ने जब यूरिया की नीम कोटिंग का फैसला किया, ये सवाल कुछ लोगों ने तब भी उठाया था कि यूरिया की इतनी बड़ी मात्र पर नीम स्प्रे के लिए नीम तेल कहां से आएगा? तब सिर्फ संदेह था, अब हमारे सामने डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट है। वो भी पूरी कैलकुलेशन के साथ!