म्यूचुअल फंड का लम्बा साथ आपको देगा बड़ा फायदा

2018-08-20 0

म्यूचुअल फंड का लम्बा साथ आपको देगा बड़ा फायदा

म्यूचुअल फंड स्कीमों को चुनना अब आसान हो गया है। इसका पूरा श्रेय बाजार नियामक सेबी और म्यूचुअल फंड एडवाइजरी कमेटी को जाता है। पहले स्कीमों की फेहरिस्त उस रेस्तरां के भारी-भरकम मेन्यू की तरह थी, जिसे चुनने के लिए वेटर की मदद लेनी पड़ती थी। अब निवेशकों को मेनू की चुनिन्दा स्कीमों में से अपने लिए चयन करना है। इसमें हर एक आइटम का संक्षिप्त में विवरण दिया गया है। देश में म्यूचुअल फंडों की तमाम कैटेगरी को बिल्कुल साफ परिभाषित कर दिया गया है। इसमें उलझन की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई है। सेबी ने सुनिश्चित किया है कि हर स्कीम का एसेट आवंटन और निवेश रणनीति अलग-अलग हो। नियामक चाहता था कि म्यूचुअल फंडों की कैटेगरी और स्कीमों में पारदर्शिता लाई जाए।

निवेशकों को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। वे विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन करके उसी के हिसाब से निवेश का निर्णय ले सकेंगे। यह सही भी है। बतौर उद्योग, म्यूचुअल फंड कंपनियों को निवेशकों के लिए चीजें आसान बनानी चाहिए। बजाय इसके अभी तक वे निवेशकों के सामने स्कीमों की लम्बी फेहरिस्त रखकर कन्फयूज करती रहीं हैं, जबकि इन स्कीमों में एक ही जैसी थीम और उद्देश्य होते थे। सरल शब्दों में कहें तो स्कीमों की साफ  पैकेजिंग नहीं थी।

अभी तक म्यूचुअल फंडों के बारे में ऑनलाइन सर्च करने वाले निवेशकों को एक बड़ी समस्या होती थी। एक वेबसाइट पर किसी स्कीम को लार्जकैप बताया जाता था। वहीं, दूसरी वेबसाइट पर इसी को मिडकैप के तौर पर पेश किया जाता था।

अब इस तरह की उलझन की गुंजाइश नहीं बचेगी। सेबी ने म्यूचुअल फंड को सभी श्रेणियों का वर्गीकृत कर दिया है। नए वर्गीकरण के अनुसार, इक्विटी कैटेगरी में 10 सब कैटेगरी हैं, डेट कैटेगरी की 16 सब-कैटेगरी हैं। इसी तरह हाइब्रिड में छह और सॉल्यूशन आधरित श्रेणी में दो सब-कैटेगरी हैं। इंडक्स फंड, एक्सचेंज फंड और फंड ऑफ फंड्स की दो-दो सब-कैटेगरी हैं।

इनमें हुए हैं बदलाव

द्य इनवेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव्स

द्य इनवेस्टमेंट स्ट्रेटजी

द्य बेंचमार्क (लार्ज/मिड/स्मॉलकैप का वर्गीकरण)

म्यूचुअल फंड कंपनियों का संगठन एम्पफी हर छह महीने में लार्ज/मिड/स्मॉलकैप की सूची अपडेट करेगा। म्यूचुअल फंडों को एक महीने के भीतर स्कीम में इसी के अनुसार जरूरी बदलाव करने होंगे।

म्यूचुअल फंडों के दोबारा वर्गीकरण के बाद कुछ ने केवल नाम बदले हैं। वहीं, तमाम ने कैटेगरी में बदलाव किया है। कई फंडों का दूसरों में विलय हुआ है।

बतौर निवेशक आपको क्या करना चाहिए?

पहली बात तो यह है कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है न ही हड़बड़ी में कोई फै सला लेने की आवश्यकता है। आपको इन बातों को देखना चाहिए-

द्यआप जिन स्कीमों में निवेश कर रहे हैं क्या उनमें बदलाव हुआ है।

द्यइस बात को समझने की कोशिश करें कि जोखिम और निवेश को लेकर अब आप कहां खड़े हैं।

द्यजिन एसेट में आपने पैसा लगाया है, उनका मूल्यांकन करें।

द्ययह देखें कि अभी उन्हें कहां होना चाहिए। तभी उन स्कीमों को संतुलित करने का कदम उठाएं, नहीं तो निवेश को बनाए रखें।

अच्छा होगा कि आप किसी सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर या पंजीकृत निवेश सलाहकार से सलाह लें। गलत फैसला करने पर आपको बाद में पछतावा होगा।

बतौर निवेशक आपको कुछ बातें हमेशा याद रखनी चाहिए। सबसे पहली बात कि निवेश अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को देखते हुए ही करें। यह भी देखें कि आप वित्तीय लक्ष्य से कितने दूर हैं। विषय का मकसद क्या है। इसी के अनुसार स्कीमों में अपने एसेट लगाए। समय-समय पर अपने निवेश की समीक्षा जरूर करें।

याद रखें कि किसी भी एसेट क्लास की तुलना में शेयर लम्बे समय में सबसे अच्छा रिटर्न देते हैं। जब आप लम्बे समय तक म्यूचुअल फंडों के साथ बने रहेंगे तो निश्चितरूप से आपको इसका फायदा होगा। बस, सही दिशा और सही फंडों को लेकर चलना जरूरी है। समय-समय पर इनकी समीक्षा भी महत्वपूर्ण है। हमेशा याद रखें कि जैसे मुश्किल समय में लोगों को मार्गदर्शक की जरूरत होती है, ठीक वही बात निवेशकों पर भी लागू होती है। उन्हें भी सही सलाहकार रास्ता दिखाने का काम करता है। 



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