नये कश्मीर अभियान के तहत मोदी सरकार ने केसर की खेती को दो गुना करने का लक्ष्य रखा

2019-12-01 0


मोदी सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर में केसर की पैदावार बढाने को लेकर अभियान तेज कर दिया है। जिससे जम्मू कश्मीर की ठंडी आबोहवा में उगाई जाने वाली केसर से अब वादियों में बसने वाले किसानों की किस्मत महक उठेगी।

दरअसल मोदी सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर में केसर की पैदावार अगले कुछ वर्षों में बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। जिसको लेकर भारतीय कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया है कि एक एकड़ में केसर की खेती से किसान वर्ष में 24-27 लाख रुपए तक कमाई कर सकते है। चूंकि जम्मू-कश्मीर में कुदरती आबोहवा को लेकर दुनिया में सरजमीं पर जन्नत के नाम से मशहूर कश्मीर की दशा सुधारकर जम्मू-कश्मीर को नई दिशा देने की योजना प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल में बनाई थी। जिसको लेकर पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर दौरे पर प्रधानमंत्री ने केसर क्रांति लाने का आह्नान किया था। जिसके तुरन्त बाद जम्मू कश्मीर सरकार के साथ मिलकर स्पाइस बोर्ड ने जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में केसर उत्पादन एवं निर्यात विकास एजेंसी (एसपीईडीए) बनाने की घोषणा की थी। जिसको लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, नई दिल्ली के प्रधान (बागवाणी) विक्रमादित्य पांडेय ने कहा कि केसर क्रांति लाने को लेकर राष्ट्रीय केसर मिशन शुरु किया गयाजिसमें केद्रीय शीतोष्ण बागवानी अनुसंधान संस्थान अहृम भूमिका निभा रहा है। ऐसे में इस संस्थान की तरफ से जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहन देने और पैदावार बढ़ाने को लेकर एकीकृत उत्पादन प्रणाली अपनाई गइढ है जिसमें टपक सिंचाई काफी कारगर साबित हो रही है।उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ केसर की खेती बढाने में कारगर है बल्कि इससे उर्वरक के उपयोग में 25-30 प्रतिशत की कमी और पानी की एक तिहाई बचत होती है।वहीं कश्मीर में कृषि विभाग के निदेशक अल्ताफ एजाज अंद्राबी ने कहा कि भारत में केसर की खेती सिर्फ जम्मू-कश्मीर में होती है जिसको लेकर जम्मू कश्मीर की दुनिया में विशेष पहचान है। कश्मीरी केसर की मुरीद पूरी दुनिया में है। जिसे इंग्लैंड,अमेरिका, मध्य-पूर्व के देशों सहित पूरी दुनिया में केसर निर्यात करता है और विश्व बाजार में इसकी कीमत देसी करेंसी के रुप में पांच लाख रुपए किलो है। वहीं घरेलू बाजार में तीन लाख रुपए किलो है। उन्होंने कहा कि एकीकृत खेती के माध्यम से केसर की पैदावार बढ़ाने का प्रयास हाल के वर्षो में हुई है। जिससे केसर की पैदावार दो किलो प्रति हेक्टेयर से बढकर 4-5 किलो प्रति हेक्टेयर हो गई है और आगामी वर्षो में इसकी पैदावार बढकर 8-9 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि कश्मीर को गोल्डन स्पाइस कहा जाता है जिसको लेकर उन्होंने कहा कि दुनिया में जम्मू कश्मीर का केसर गुणवत्ता के मामले में सर्वाेत्तम माना जाता है और उपज के लिहाज से भी भारत ईरान के बाद दूसरा दुनिया में दूसरे पायदान पर है। उन्होंने कहा कि केद्र सरकार जिस तरह से केसर की खेती को बढावा दे रही है जिससे आगामी वर्षो में भारत में केसर का उत्पादन 17 टन से बढकर 34 टन होने की संभावना है और वह दिन दूर नहीं कि भारत ईरान को पीछे छोड़ दुनिया में केसर का सबसे बड़े उत्पादक देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लगभग 32,000 किसान परिवार केसर की खेती से संबंधित है और 3700 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में केसर की खेती होती है। केसर की खेती मुख्य रुप से जम्मू कश्मीर के चार जिलों पुलवामा, बड़गाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ में होती है। 



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