प्रवासी श्रमिकों के पलायन का भारी असर उत्पादन पर

2019-12-01 0


टेक्सटाइल से जुड़े संगठनों का कहना है कि श्रमिकों की वर्तमान किल्लत मौसमी है और दशहरा तथा दीवाली के कारण प्रवासी श्रमिक अपने घर वापस गए हैं। कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ़ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सिद्धार्थ राजगोपाल ने कहा, ‘आमतौर पर हर साल श्रमिक अक्टूबर के दौरान तीन से चार महीने की छुट्टी पर जाते हैं और दीवाली के एक या दो महीने बाद वापस आते हैं। उद्योग इस महीने के लिए पहले से ही तैयारी करके रखता है ताकि श्रमिकों की कमी की वजह से आपूर्ति बाधिात न हो।

टेक्सटाइल के प्रमुख गढ़ गुजरात से बड़े पैमाने पर प्रवासी श्रमिकों के अपने राज्यों को लौटने से इस साल देश के टेक्सटाइल उत्पादन में 10 से 15 फीसदी की कमी आ सकती है। सेंचुरी टेक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आर के डालमिया ने कहा, ‘गुजरात टेक्सटाइल का प्रमुख उत्पादक राज्य है। ऐसे में श्रमिकों की कमी से टेक्सटाइल इकाइयों के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है।’ भारत में मुख्य रूप से गुजरात और महाराष्ट्र तथा चेन्नई एवं बेंगलूरु में टेक्सटाइल उद्योग का परिचालन होता है। इन उद्योगों में काम करने वाले अधिकांश श्रमिक बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से आते हैं। विकसित देशों से इतर भारत के टेक्सटाइल कारखाने पूरी तरह स्वचालित नहीं हैं और मुख्यतः श्रमिकों पर निर्भर हैं। श्रमिकों के गुजरात छोड़कर जाने की मुख्य वजह एक बच्ची के कथित बलात्कार के बाद प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ भड़की हिंसा को माना जा रहा है। गुजरात में तकरीबन 1 करोड़ प्रवासी श्रमिक होने का अनुमान है।

देश में कुल सिंथेटिक टेक्सटाइल्स के उत्पादन में गुजरात का योगदान करीब 80 फीसदी है। इन दिनों लगभग सभी सिंथेटिक टेक्सटाइल्स इकाइयां श्रमिकों की किल्लत का सामना कर रही हैं। बड़ी इकाइयां स्थायी नियुत्तिफ़यां करती हैं और श्रम कानूनों का सख्ती से पालन करती हैं लेकिन छोटी-मझोली इकाइयों को श्रमिकों की कम उपलब्धता से समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अधिकतर छोटी-मझोली इकाइयों का उत्पादन 20 से 25 फीसदी तक घट गया है और कई इकाइयों में तो इससे भी ज्यादा उत्पादन घट गया है।

हालांकि इस साल बड़े पैमाने पर श्रमिकों के जाने से व्यापक असर पड़ा है। श्रमिकों की कमी के कारण भारतीय टेक्सटाइल निर्यातकों के लिए निर्यात ऑर्डर को पूरा करना हमेशा ही समस्या रही है। डॉलर के मुकाबले रुपये में नरमी से टेक्सटाइल निर्यात का परिदृश्य में सुधार आया है लेकिन श्रमिकों की कमी से इसमें बाधा खड़ी हो सकती है।

सिंथेटिक ऐंड रेयान टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस क्षेत्र में हमेशा से ही श्रमिकों की किल्लत रही है। उन्होंने कहा, ‘प्रवासी श्रमिकों के वापस जाने से कुछ असर पड़ सकता है।’ इस बीच, रोजगार गारंटी योजनाओं के कारण श्रमिकों को अपने गृह शहर में भी अब रोजगार मिल रहा है। श्रमिकों में से कई कुुशल श्रमिक कृषि सहित अन्य उद्योगों में चले जाते हैं। भारतीय टेक्सटाइल उद्योग परिसंघ के आंकड़ों के अनुसार करीब 10 करोड़ लोगों को टेक्सटाइल उद्योग में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। सरकार के प्रयासों से टेक्सटाइल एवं परिधानों का निर्यात बढ़ा है। 



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