भारत में भुखमरी काफ़ी गंभीर स्तर पर है

भारत एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है और दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत दक्षिण एशिया में भी सबसे नीचे है।
कुछ दिनों पहले ही एक ऐसी सूची जारी की गई जिसने भारत को शर्मिंदा कर
दिया। भारत एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है और दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी लेकिन
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत दक्षिण एशिया में भी सबसे नीचे है। वैश्विक भुखमरी
सूचकांक यानी ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) में दुनिया के 117
देशों में भारत 102वें स्थान पर रहा है।
यह जानकारी साल 2019 के इंडेक्स में सामने आई है। वेल्थ
हंगरहिल्फे एंड कन्सर्न वर्ल्ड वाइड द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक
भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है जहां ‘भुखमरी काफी गंभीर स्तर पर है।’ साल 2015
में भूखे भारतीयों की संख्या 78 करोड़ थी और अब 82
करोड़। यानी जिस आंकड़े को घटना चाहिए वो बढ़ रहे हैं।
जीएचआई में भारत का खराब प्रदर्शन लगातार जारी है। साल 2018 के
इंडेक्स में भारत 119 देशों की सूची में 103वें स्थान पर था। इस साल की रिपोर्ट
में कहा गया है कि 2017 में इस सूचकांक में भारत का स्थान 100वां था लेकिन इस
साल की रैंक तुलनायोग्य नहीं है।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक लगातार 13वें साल तय किया
गया है। इसमें देशों को चार प्रमुख संकेतकों के आधार पर रैंकिग दी जाती है दृ अल्प
पोषण, बाल मृत्यु, पांच साल तक के कमजोर बच्चे और बच्चों
का अवरुद्ध शारीरिक विकास।
इस सूचकांक में भारत का स्थान अपने कई पड़ोसी देशों से भी नीचे है। इस
साल भुखमरी सूचकांक में जहां चीन 25वें स्थान पर है, वहीं
नेपाल 73वें, म्यांमार 69वें, श्रीलंका 66वें
और बांग्लादेश 88वें स्थान पर रहा है। पाकिस्तान को इस सूचकांक में 94वां
स्थान मिला है। जीएचआई वैश्विक, क्षेत्रीय, और राष्ट्रीय
स्तर पर भुखमरी का आकलन करता है। भूख से लड़ने में हुई प्रगति और समस्याओं को लेकर
हर साल इसकी गणना की जाती है।
जीएचआई को भूख के खिलाफ संघर्ष की जागरूकता और समझ को बढ़ाने, देशों
के बीच भूख के स्तर की तुलना करने के लिए एक तरीका प्रदान करने और उस जगह पर लोगों
का ध्यान खींचना जहां पर भारी भुखमरी है, के लिए डिजाइन किया गया है। इंडेक्स
में यह भी देखा जाता है कि देश की कितनी जनसंख्या को पर्याप्त मात्र में भोजन नहीं
मिल रहा है। यानी देश के कितने लोग कुपोषण के शिकार हैं।
ये तो रही महज आंकड़ों की बात। अब हम कुछ जमीनी स्तर पर भी इसकी पड़ताल
कर लें। भारत में भले ही विकास के नए आयामों को छू रहा है लेकिन विश्व-पटल में ऐसे
आंकड़े हमारी सारे किए कराए पर पानी फेर देते हैं। भले ही आप अमेरिका के ह्यूस्टन
की तस्वीर देखकर ये सोच रहे हों कि विदेशों में भी भारत का डंका बज रहा है। लेकिन
वहीं आप का देश भुखमरी में एशिया में सबसे नीचे हैं। आप उन देशों से भी पीछे हैं
तो किसी भी तरह भारत से मुकाबले करने के काबिल है ही नहीं।
भारत 2010 में 95वें नंबर पर था और 2019 में 102वें पर आ गया। 113
देशों में साल 2000 में जीएचआई रैंकिंग में भारत का रैंक 83वां था और 117
देशों में भारत 2019 में 102वें पर आ गया।
एक तरफ तो ये आंकड़ा और दूसरी तरफ एक और आंकड़ा देिखए। संयुत्तफ़ राष्ट्र
के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 40 फीसदी खाना बर्बाद हो जाता है। इन्हीं
आंकड़ों में कहा गया है कि यह उतना खाना होता है जिसे पैसों में आंके तो यह 50
हजार करोड़ के आसपास पहुंचेगा। विश्व खाद्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया
का हर 7वां व्यत्तिफ़ भूखा सोता है।
विश्व भूख सूचकांक में भारत का 67वां स्थान है।
देश में हर साल 25।1 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है लेकिन हर चौथा भारतीय भूखा सोता है। इंडियन इंस्टीटड्ढूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक
भारत में हर साल 23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल और 21
करोड़ टन सब्जियां वितरण प्रणाली में खामियों के कारण खराब हो जाती
हैं।