कश्मीर के पुंछ जिले में अब मक्का नहीं सेब की खेती होती है

कृषि विज्ञान केंद्र की टीम ने इलाके का दौरा कर हमें सेब की पैदावार के लिए प्रेरित किया। उस समय किसी ने इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया। बाद में कुछ किसानों ने पिछले तीन-चार वर्षाे में लगातार सेब के बाग तैयार किए हैं। इससे किसानों को लाभ पहुंचा है। आर्थिक हालत में भी सुधाार हुआ है, जिसे देखकर गांव के अन्य किसान भी आगे आए और सेब के बाग लगाने में जुट गए हैं।
कश्मीर सेब के उत्पादन के लिए मशहूर है, लेकिन कुछ जिलों को छोड़कर पूरे प्रदेश में सेब की खेती नहीं होती थी, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मदद से पुंछ जिले के किसान भी सेब की खेती करने लगे हैं।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के मंडी तहसील के अजमाबाद के किसान मक्का
की फसल छोड़कर सेब की खेती शुरू कर दी है। कृषि विज्ञान केंद्र, पुंछ
के सहयोग से किसानों ने सेब के दस बाग तैयार किए हैं। किसानों के अनुसार मक्का की
फसल को खराब मौसम और जंगली जानवरों से भारी नुकसान उठाना पड़ता था। मेहनताना ओर खर्च भी पूरा नहीं होता था, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र की टीम ने
इलाके का दौरा कर हमें सेब की पैदावार के लिए प्रेरित किया। उस समय किसी ने इस तरफ
ध्यान नहीं दिया। सेब किसान नाजिम अली बताते हैं, ‘‘हमारे इलाके का
मौसम कश्मीर से थोड़ा अलग है जिस कारण हमारे इलाके का सेब कश्मीर से जल्दी तैयार हो
जाता है और अच्छी कीमतें दे जाता है, सिर्फ थोड़ी मेहनत की जरूरत है।
जम्मू और कश्मीर में बारामूला, शोपियां,
कुलगाम
और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है। दुनिया में भारत इसका पांचवां
सबसे बड़ा उत्पादक रहा था। भारत में सबसे ज्यादा सेब उत्पादन जम्मू-कश्मीर में होता
है जहां देश का 80 फीसदी उत्पादन होता है। वहीं हिमाचल प्रदेश का कुल पैदावार में 16-17
फीसदी योगदान है। भारत के कुल 24 लाख टन सेब उत्पादन में बाकी
हिस्सेदारी उत्तर भारत में उत्तराखंड और अन्य राज्यों की है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ- मुजफ्रफर मीर ने बताया,
‘‘पहले
सेब के उत्पादन के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था कुछ किसानों ने अपने खेतों में सेब
के बाग तैयार किए जिसके लिए हमने अच्छी पैदावार ओर बढ़िया किस्म के पेड़ किसानों को
लाकर दिए हैं और अब अच्छी पैदावार को देखकर गाँव का हर एक किसान अपने खेतों में
सेब के अलावा अन्य फलों की पैदावार में जुटे हुए हैं और अपने खेतो में जी-तोड़
मेहनत कर रहे हैं यही नहीं लगभग पूरे गांव के किसानों ने सेब का उत्पादन शुरू कर
दिया है और उनके घर का खर्च भी सेब की पैदावार पर निर्भर कर रहा है।’’
‘‘किसानों ने मक्का की खेती छोड़ दी है क्योंकि एक कनाल जमीन से एक कुंतल मक्का की पैदावार होती थी जबकि एक कनाल (0-5 बीघा) जमीन से सौ पेटी के लगभग सेब का उत्पादन हो रहा है, जिससे गाँव के किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हुई हैं। वहीं विभाग के अधिकारी समय-समय पर गांव का दौरा कर मौसम के हिसाब से पेड़ों में कीटनाशक दवाइयों की किसानों को जानकारी देते हैं ताकि किसानों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं उठाना पड़े।’’