मुझे ज्यादा लोग भीम के नाम से ही जानते हैं-प्रवीण कुमार

2018-08-21 0

मुझे ज्यादा लोग भीम के नाम से ही जानते हैं- प्रवीण कुमार

प्रवीण कुमार ने बताया कि स्कूल के जमाने में उन्हें एथलेटिक्स का कोई शौक नहीं था। यहां तक कि जब उनके स्कूल के हेडमास्टर ने हैमर और डिस्कस थ्रो करने के लिए कहा, तो उन्होंने पूछा, श्श्यह क्या चीज होती है।्य्य लेकिन जब उन्हें यह सब पता चला तो बस इससे इश्क हो गया। बाकी इसके बाद तो इतिहास बन गया। दो बार डिस्कस में एशियन गेम्स गोल्ड मेडल, राष्ट्रमंडल खेलों का रजत पदक, अर्जुन पुरस्कार और अनगिनत दूसरे खिताब उनकी उपलब्ध्यिों में शामिल हैं।

एथलेटिक्स की तरह एक्टिंग में भी प्रवीण कुमार का कोई लेना-देना नहीं था। भीम का रोल उनकी झोली में अचानक ही अपने आप आ गिरा। वह बताते हैं, श्श्पंजाबी फि़ल्मों के स्टार मनोहर दीपक मेरे जानने वाले थे। एक दिन पटियाला में उन्होंने मुझे बताया कि फि़ल्म निर्देशक बीआर चोपड़ा भीम के रोल के लिए एक लम्बे तगड़े इंसान को तलाश रहे हैं और मैं भी उसके लिए कोशिश करूं। दीपक के काफ़ी कहने के बाद मैं चोपड़ा जी से मिला और बस एक ही मुलाकात में उन्होंने मुझे साइन कर लिया। 6 फ़ुट, 7 इंच लम्बे और 123 किलो के प्रवीण से मिलने के बाद चोपड़ा ने किसी और से मिलने की जरूरत ही नहीं समझी। प्रवीण बताते हैं, श्श्मुझे ज्यादा लोग भीम के नाम से ही जानते हैं। अगर बोलो प्रवीण, तो लोग पूछते हैं कौन?

महाभारत सीरियल के अलावा प्रवीण ने फि़ल्मों में भी काम किया लेकिन उन्हें बॉलीवुड पर खास भरोसा नहीं है। वह कहते हैं, श्श्वहां सच को सच बोलने वाला कोई नहीं है। अगर स्पोर्ट्स के बाद मैंने किसी चीज को इन्जॉय किया है तो वह है महाभारत सीरियल, जिसमें काम करना मेरे लिए एक सुखद अनुभव था।्य्य

भारतीय खेलों की विडम्बना

एक खास मुलाकात में भारतीय खेलों की विडंबना भी बयान की। उन्हें आज भी वह दिन याद है जब 1968 के मैक्सिको ओलंपिक में जाने के लिए भारतीय टीम को लंदन में रुकना था, लेकिन दल के नेता और तत्कालीन खेल मं=ी मनोहर सिंह ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि होटल के लिए पैसे नहीं हैं।

प्रवीण पुरानी यादों में खोते हुए कहते हैं, श्श्एथलीटों को किसी भारतीय के घर रुकना पड़ा। ओलंपिक जाने वाली देश की टीम के सदस्य सिर पर अपने टूटे हुए सूटकेस लादकर किसी तरह एक हिन्दुस्तानी के घर पहुंचे। लेकिन तीन दिन खाने के पैसे अपनी जेब से ही देने पड़े। ऐसी दुर्दशा में क्या मेडल आ सकते हैं?्य्य 63 वषÊय प्रवीण कुमार कहते हैं कि खेलों को लेकर सरकार का रवैया अच्छा नहीं रहा है। खेलों के कड़वे सच को उजागर करते हुए प्रवीण ने कहा, श्श्मैंने मैक्सिको पहुंचकर सबसे पहले अपने आपको गाली थी कि मैं यहां क्यों आया। वह कहते हैं कि खेल अधिकारियों के ऐसे रवैये की वजह से भारतीय खिलाड़ी जल्द से जल्द मेडल जीतकर पैसे कमाने की होड़ में नशीले पदार्थों की तरफ़ भागते हैं। प्रवीण के मुताबिक, श्श्मैं दावे से कह सकता हूं कि यह सब अधिकारियों की मिली भगत से ही होता है और सब खेल अधिकारियों को इसका पता है।्य्य

कई लोगों को यह बात हैरान करने वाली हो सकती है कि जिस लम्बे-तगड़े प्रवीण कुमार को श्महाभारत्य के भीम के किरदार में देखा, वह देश के लिए खेलों में कई पदक जीत चुके हैं। एशियन गेम्स में दो गोल्ड मेडल के अलावा उन्होंने 1966 के कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल भी जीता। 2013 में प्रवीण कुमार आम आदमी पाटÊ में शामिल हो गये। उन्होंने दिल्ली विधनसभा चुनावों में आप के टिकट पर वजीरपुर निर्वाचन क्षे= से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गये। अगले साल वह भारतीय जनता पाटÊ द्धबीजेपीऋ में शामिल हो गये। 



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