रेट कट नहीं होने से रियल एस्टेट सेक्टर में छाई मायूसी

डिवेलपर्स की आगे जल्द किसी कटौती की उम्मीद भी टूटी है। उनका कहना
है कि वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे सेक्टर को पटरी पर लाने में ब्याज दरों में
और नरमी बड़ा रोल अदा कर सकती थी।
लगातार छठे रेट कट की उम्मीद लगाए रियल एस्टेट डिवेलपर्स को आरबीआई के रुख से झटका लगा है। इस सेक्टर में प्रमुख उधरी दरों में कम से कम 25 बेसिस पॉइंट कटौती की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन अब डिवेलपर्स की आगे जल्द किसी कटौती की उम्मीद भी टूटी है। उनका कहना है कि वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे सेक्टर को पटरी पर लाने में ब्याज दरों में और नरमी बड़ा रोल अदा कर सकती थी।
नेशनल रियल एस्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल के प्रेसिडेंट निरंजन
हीरानंदानी ने कहा कि हम चाहते थे कि चैथाई पफीसदी की छोटी-छोटी कटौतियों के बजाय
एक बार में ही एक पफीसदी की कटौती हो। उन्होंने कहा कि ऐसा होता तो इकॉनमी में
तेजी लाने के लिए हाल में सरकार ने जितने भी पफैसले किए उन्हें प्रोत्साहन मिलता।
रेट नहीं घटाने का पफैसला चैंकाने वाला है। ब्याज दरों में कटौती से
लोन की मांग बढ़ती और अर्थव्यवस्था को ज्यादा निवेश मिलता। इससे ग्रोथ को नहीं दिशा
मिल सकती थी। उन्होंने कहा कि कम से कम रियल एस्टेट को एक और कटौती की दरकार थी।
ऐनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि रीपो
रेट में कटौती होती तो रियल एस्टेट के लिए बहुत अच्छा होता। 25
बेसिस पॉइंट्स की भी कटौती से होमलोन रेट 8% के नीचे आ जाते,
लेकिन
यह भी सच है कि सिपर्फ रेट कट से तेजी नहीं आने वाली थी। उन्होंने कहा कि पर्सनल
टैक्स में भी कटौती होनी चाहिए। इन दोनों कदमों से रियल एस्टेट में डिमांड तेजी
पकड़ सकती थी।
जेएलएल इंडिया के सीईओ रमेश नायर ने कहा कि पॉलिसी रेट में बदलाव
नहीं होना दिखाता है कि केंद्रीय बैंक का रुझान सभी क्षेत्राों के हितों का ध्यान
रखते हुए वृद्धि हासिल करना है। सीबीआरई के चेयरमैन ;भारतद्ध अंशुमान
मैगजीन ने कहा कि कटौती नहीं करना इस बात का संकेत है कि सरकार वृद्धि के साथ ही
महंगाई दर को लेकर भी सतर्क है।
इंडस्ट्री चैंबर भी हैरान
उद्योग संगठन पिफक्की के प्रेसिडेंट संदीप सोमानी ने कहा कि यह कदम हमारी उम्मीदों के उलट है। जीडीपी ग्रोथ में गिरावट के बाद तय माना जा रहा था कि लगातार छठी कटौती भी होगी। अब तक आरबीआई ने जितनी कटौतियां की थीं, बैंको ने उन्हें पूरा पासऑन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात में 75 से 100 बेसिस पॉइंट कटौती की जरूरत बनी रहेगी। पीएचडी चैंबर के प्रेसिडेंट डी के अग्रवाल ने कहा कि कम से कम 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती तो होनी ही थी। सिस्टम में अब भी लिक्विडिटी की दरकार है। मोतीलाल ओसवाल पफाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि शेयर मार्केट भी 25 बेसिस पॉइंट कटौती का इंतजार कर रहा था और ऐसा नहीं होने पर नेगेटिव बंद हुआ।