कैंसर पीड़ितों के लिए ऐसे काम कर रही हैं राशि जैन

भारत और अमेरिका के हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स के अलावा पफार्मा कंपनियों में 10 वर्ष काम करने का अनुभव इसमें काम आया।
हेल्थकेयर इंडस्ट्री में दस वर्ष से अध्कि का अनुभव बटोरने के बाद
राशि ने खुद का स्टार्टअप लॉन्च करने का पफैसला लिया और नींव पड़ी ऑनको डॉट कॉम
की। इस प्लेटपफॉर्म से अब तक 35000 से अधिक कैंसर मरीज सेवाएं ले चुके
हैं।
इसके अलावा, यह हर महीने करीब 10
हजार कैंसर मरीजों को विभिन्न प्रकार के चिकित्सकीय परामर्श व सुविधएं उपलब्ध् करा
रहा है। कंपनी की सह-संस्थापक एवं सीईओ राशि जैन के अनुसार, भारत के अलावा अफ्रीका,
मध्य
एशिया, बांग्लादेश समेत 15 देशों के मरीज उनके प्लेटपफॉर्म से
लाभान्वित हो रहे हैं। वे कहती हैं, एंटरप्रेन्योरशिप में करियर बनाना कहीं
से आसान नहीं है। यह एक लंबे सपफर के समान है, जिसमें कई
उतार-चढ़ाव आते हैं। इसलिए धैर्य एवं विजन की स्पष्टता चाहिए होती है, तभी
हम जिम्मेदारी संभाल पाते हैं और काम को एंजॉय कर पाते हैं। मेरे लिए सक्सेस का
मतलब है लोगों के जीवन में सार्थक बदलाव लाना।
मैंने आइआइटी कानपुर से बायोटेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की है। पढ़ाई
के बाद भिन्न-भिन्न प्रोपफाइल्स पर हेल्थकेयर सेक्टर में काम करना हुआ। जेपी
मॉर्गन में हेल्थकेयर एनालिस्ट के तौर पर काम किया। वहां से बायोकॉन में जाना हुआ,
जहां
ब्रेस्ट कैंसर ड्रग से जुड़े प्रोजेक्ट को बतौर प्रोडक्ट मैनेजर संभाला। इसके बाद,
अमेरिका
के वार्टन स्कूल से एमबीए ;हेल्थकेयर मैनेजमेंट मेंद्ध करने चली
गई। एमबीए के चैथे सेमेस्टर के दौरान ही कुछ बिजनेस आइडियाज पर काम करना शुरू कर
दिया था। इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद जब भारत लौटी, तो उद्यमी के
रूप में एक नई शुरुआत हुई। भारत और अमेरिका के हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स
के अलावा पफार्मा कंपनियों में 10 वर्ष काम करने का अनुभव इसमें काम
आया।
बायोकॉन में मिला एक्सपोजर
मैंने वेंचर शुरू करने के बाद कभी खुद को इस सांचे में नहीं रखा कि
एक महिला पफाउंडर हूं। हमेशा खुद को एक एंटरप्रेन्योर माना। बड़ा करने की कोशिश की।
इसके पीछे शायद पूर्व के अनुभव रहे। मुझे जेपी मॉर्गन में कल्पना जी और बायोकॉन
में डॉ. किरण मजूमदार शॉ की लीडरशिप में काम करने का अवसर मिला। दोनों ही जगहों से
बहुत कुछ सीखा। मजबूत ट्रेनिंग मिली। लीडरशिप एक्सपोजर मिला। कैंसर मरीजों के लिए
प्लेटपफॉर्मः मैंने दो कारणों से एंटरप्रेन्योरशिप को चुना। पहला, मैं
हेल्थकेयर में कुछ अपना शुरू करना चाहती थी, क्योंकि मुझे इस
इंडस्ट्री के बारे में अच्छी जानकारी व समझ थी।
दूसरा कारण थोड़ा निजी था। खासतौर पर आॅनकोलॉजी के क्षेत्रा को चुनना।
दरअसल, मेरे ससुर जी को कैंसर था और उनके इलाज के दौरान हमने पाया कि इस
बीमारी को लेकर सही सूचनाओं का कितना अभाव है। मरीज के साथ उनके परिवार को कितना
कुछ झेलना पड़ता है। उपचार तक की सही जानकारी नहीं मिल पाती। इसके बाद, हमने
ऐसा बीटुसी प्लेटपफॉर्म बनाने के बारे में सोचा, जहां कैंसर,
इसके
इलाज, टेस्ट आदि से संबंध्ति सारी जानकारियां उपलब्ध् हों। इसके अलावा,
हम
मरीजों को सही डॉक्टर एवं अस्पताल से कनेक्ट कर पाएं। इसके बाद मेरी मुलाकात,
कंपनी
के सह-संस्थापक डॉक्टर अमित से हुई, जो तब रेडियो आॅनकोलॉजी के प्रैक्टिशनर
थे। बातचीत के बाद वे भी मेरे विजन से सहमत हो गए और हम दोनों ने मिलकर सितंबर 2016
में ऑनको डॉट कॉम की नींव रखी। आज बड़ी संख्या में मेट्रो एवं टियर 2 व 3
सिटीज के मरीज हमारे प्लेटपफॉर्म की अलगअलग प्रकार से सेवाएं ले रहे हैं।
विशेषज्ञ चिकित्सकों से बढ़ी विश्वसनीयता
अमेरिका में काम करने के दौरान ही मैंने देखा था कि कैसे टेक्नोलॉजी
के कारण हेल्थकेयर सिस्टम में क्रांति-सी आ रही है। मैंने उसी से प्रेरणा लेकर
भारत में हेल्थकेयर टेक स्टार्टअप करने का मन बनाया। यहां की जरूरत दूसरे देशों की
तुलना में कहीं अध्कि गंभीर थी। विकसित देशों की तुलना में विशेषज्ञ चिकित्सकों तक
पहुंचना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन हम दोनों संस्थापक सेल्पफ मोटिवेटेड थे कि कैंसर
मरीजों की मदद करनी है। हमने सीनियर डॉक्टर्स, हॉस्पिटल्स,
मेडिकल
इंस्टीटड्ढूट्स से संपर्क किया। उन्हें अपने प्लेटपफॉर्म से जोड़ा। धीरे-धीरे जब
मरीजों को इन अनुभवी डॉक्टरों से मार्गदर्शन मिलने लगा, तो कंपनी की
विश्वसनीयता कापफी बढ़ गई।
छोटे शहरों को मिला फायदा
यह सही है कि आज भी बहुसंख्य भारतीय ऑनलाइन मेडिकल कंसल्टेंसी पर विश्वास नहीं कर पाते। लेकिन हमने देखा है कि कैंसर और इसके इलाज के बारे में जानने की उत्सुकता लोगों में बढ़ रही है। वे इसके लिए कापफी ऑनलाइन सर्च कर रहे हैं। ऑनको के प्लेटपफॉर्म पर हम उन्हें पिफजिकल कंसल्टेशन के लिए सही डॉक्टर, लैब व अस्पताल से कनेक्ट करने में मदद करते हैं।